जेवर एयरपोर्ट के 20 किमी क्षेत्र में कंस्ट्रक्शन पर रोक! निवेशकों और स्थानीय लोगों में बढ़ी चिंता, जानें क्या हैं नए नियम
जेवर एयरपोर्ट के 20 किलोमीटर तक कंस्ट्रक्शन पर रोक लगने से लोगों में कई तरह की आशंकाएं हैं, जिन निवेशकों ने मुनाफे की उम्मीद में प्लॉट या प्रोजेक्ट में पैसा लगाया वो घबराए हुए हैं कि उनके निवेश का क्या होगा.
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जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास जमीन खरीदने और रियल एस्टेट में निवेश करने वालों के लिए एक बड़ी चिंता की खबर सामने आई है. एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने जेवर एयरपोर्ट के 20 किलोमीटर के दायरे में ऊंचाई को लेकर कड़े निर्माण नियम लागू कर दिए हैं. इस निर्णय का सीधा असर इलाके में चल रहे और प्रस्तावित कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स पर पड़ रहा है.
क्या है नया नियम?
एयरपोर्ट अथॉरिटी के अनुसार, एयरपोर्ट से 20 किलोमीटर के क्षेत्र में किसी भी नई इमारत या निर्माण कार्य के लिए विशेष अनुमति लेनी होगी, और उसकी ऊंचाई तय मानकों से अधिक नहीं हो सकती. यह कदम हवाई यातायात की सुरक्षा और रनवे के आसपास के एयरस्पेस को साफ रखने के लिए उठाया गया है.
निवेशकों की बढ़ी चिंता
इस फैसले के बाद सबसे ज्यादा चिंता उन निवेशकों को हो रही है, जिन्होंने इस क्षेत्र में भारी मुनाफे की उम्मीद से प्लॉट खरीदे थे या रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में पैसा लगाया था. ग्रेटर नोएडा वेस्ट निवासी और निवेशक अमित सिंह बताते हैं, “हमने सोचा था कि एयरपोर्ट के पास प्रॉपर्टी लेने से कीमतें आसमान छूएंगी. लेकिन अब अगर कंस्ट्रक्शन ही न हो सके, तो निवेश फंस सकता है.”
बिल्डर्स की भी बढ़ी परेशानी
कई रियल एस्टेट डेवलपर्स के मुताबिक, प्रोजेक्ट की प्लानिंग पहले से हो चुकी थी, लेकिन अब उन्हें नक्शा पास कराने में कठिनाई हो रही है. इसके चलते निर्माण कार्य रुक गया है और परियोजनाओं में देरी हो सकती है. एक डेवलपर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “सरकार को स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करने चाहिए कि कौन से क्षेत्र में क्या संभव है, ताकि निवेशकों और बिल्डरों को रास्ता मिल सके.”
स्थानीय लोगों को भी हो रही परेशानी
इस क्षेत्र के ग्रामीण और स्थानीय लोग, जिन्होंने उम्मीद की थी कि एयरपोर्ट के कारण उन्हें रोज़गार और विकास के अवसर मिलेंगे, अब अनिश्चितता में हैं. कई लोगों ने अपने खेतों की जमीन बेच दी थी, और अब उन्हें लग रहा है कि शायद उन्हें उचित लाभ नहीं मिलेगा.
क्या कहती है अथॉरिटी?
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AAI का कहना है कि यह कदम केवल सुरक्षा मानकों के तहत उठाया गया है और हर निर्माण को केस-टू-केस आधार पर अनुमति दी जा सकती है. लोगों से अपील की गई है कि वे बिना अनुमति के कोई निर्माण कार्य न करें.
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