Advertisement

उत्तरकाशी में नहीं फटा बादल...! मौसम वैज्ञानिक ने बताई धराली में आई त्रासदी की असल वजह, जानें क्या कुछ कहा

धराली गांव में रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है. गुरुवार को मौसम साफ होने के कारण राहत कार्य तेज़ हुआ. वैज्ञानिकों के अनुसार, यह त्रासदी 2.7mm सामान्य बारिश के बावजूद आई. अब इस आपदा के पीछे की असली वजह भूगर्भ वैज्ञानिकों ने बताई है. उनके मुताबिक श्रीखंड पर्वत के हैंगिंग ग्लेशियर का टूटना और जलवायु परिवर्तन बताया जा रहा है.

Image: File Photo / Hanging Glacier

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में आई भयावह आपदा के बाद राहत कार्य पूरे जोर-शोर से जारी हैं. बादल फटने के कारण आई विनाशकारी बाढ़ ने न सिर्फ गांव की शक्ल बदल दी, बल्कि सैकड़ों लोगों की जान जोखिम में डाल दी. मगर अब राहत की बात यह है कि मौसम ने रुख बदला है और रेस्क्यू ऑपरेशन ने रफ्तार पकड़ ली है.

हेलिकॉप्टर से हो रहा रेस्क्यू

गुरुवार सुबह से ही आसमान साफ हुआ तो राहत बचाव कार्य फिर से गति पकड़ गया. हेलिकॉप्टर से लोगों को बाहर निकालने का काम शुरू हो गया. सेना, ITBP और SDRF की टीमों ने अब तक 400 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया है. इनमें 11 सेना के जवान भी शामिल हैं जिन्हें एयरलिफ्ट कर सुरक्षित जगह पहुंचाया गया है.

वैज्ञानिकों ने बताया त्रासदी की असली वजह

इस आपदा को लेकर लोगों के मन में कई सवाल थे. क्या ये सिर्फ बारिश से हुई तबाही थी? मौसम विभाग के डायरेक्टर डॉ. विक्रम सिंह ने बताया कि मंगलवार को केवल 2.7 mm बारिश हुई थी, जो सामान्य मानी जाती है. फिर इतनी बड़ी आपदा कैसे आई? इस सवाल का जवाब भूगर्भ वैज्ञानिक डॉ. एसपी सती ने दिया. उन्होंने कहा कि यह त्रासदी मौसमीय नहीं, बल्कि भूगर्भीय और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी है.

ग्लेशियर टूटने से आया कहर

डॉ. सती के अनुसार, श्रीखंड पर्वत पर स्थित हैंगिंग ग्लेशियर, जो खड़ी ढलानों पर टिके होते हैं, लगातार बढ़ते तापमान के कारण पिघलने लगे हैं. संभव है कि ऐसे ही किसी ग्लेशियर का बड़ा हिस्सा टूटकर नीचे गिरा और पहाड़ों पर बनी 2-3 झीलों को तोड़ते हुए धराली तक आ पहुंचा. इस प्रक्रिया में पत्थर और मलबे की तेज धार ने गांव को तबाह कर दिया.

दलदल और मलबे से जूझ रही हैं रेस्क्यू टीमें

रेस्क्यू टीमों के सामने सबसे बड़ी चुनौती 30 से 50 फीट तक जमा मलबा और दलदल है. गीली मिट्टी और भारी पत्थरों के बीच राहत कर्मियों को पैदल चलकर पहाड़ों से गुजरना पड़ रहा है. कई जगहों पर टिन की चादरें बिछाकर रास्ता बनाया जा रहा है ताकि मशीनें और जवान आगे बढ़ सकें. सेना की आईबेक्स ब्रिगेड, जो इससे पहले माणा में हिमस्खलन के दौरान सक्रिय रही थी, अब धराली में भी तैनात है. अधिकारियों के अनुसार, ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार और खोजी कुत्तों की मदद से मलबे में फंसे लोगों को खोजने की योजना बनाई गई है. खराब मौसम के बावजूद टीमें लगातार कोशिशों में जुटी हैं. स्थानीय प्रशासन का मानना है कि 150 से अधिक लोग अब भी मलबे में दबे हो सकते हैं. इसलिए रेस्क्यू ऑपरेशन को पूरी गंभीरता और सतर्कता से अंजाम दिया जा रहा है. हेलीकॉप्टर के जरिए लगातार टीमें धराली भेजी जा रही हैं और लोगों को बाहर लाया जा रहा है.

Advertisement

यह भी पढ़ें

Advertisement

अधिक →