चीन के खिलाफ पानी बनेगा हथियार! ‘वॉटर बम’ के जवाब में भारत बनाएगा मेगा डैम, जानें क्या है नया प्लान
चीन अरुणाचल प्रदेश के पास तिब्बत में याक्सिया हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट बना रहा है. ये कोई सामान्य प्रोजेक्ट नहीं है इसे चीन वॉटर बम की तरह इस्तेमाल कर सकता है. जो भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है.
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एक तरफ भारत चीन के साथ भारत सब कुछ सामान्य करने की ओर बढ़ रहा है दूसरी ओर ड्रैगन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा. चीन ने एक बार फिर भारत की सुरक्षा को प्रभावित करने वाला कदम उठाया है. चीन अरुणाचल प्रदेश के पास तिब्बत में याक्सिया हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट बना रहा है. ये कोई सामान्य प्रोजेक्ट नहीं है इसे चीन वॉटर बम की तरह इस्तेमाल कर सकता है.
तिब्बत में 167 अरब डॉलर की लागत से बन रहा चीन के इस प्रोजेक्ट में पांच पावर स्टेशन होंगे. इसमें चीन की थ्री गॉर्जेस डैम से भी तीन गुना ज्यादा बिजली पैदा करने की क्षमता होगी. ऐसे में डिफेंस एक्सपर्ट ने चिंता जताई है कि चीन आने वाले समय में इस डैम का इस्तेमाल हथियार की तरह कर सकता है. चीन इसका इस्तेमाल अचानक बाढ़ लाकर भी कर सकता है. यह एक तरह से रिकॉर्ड तोड़ने वाला बांध माना जा रहा है.
प्रोजेक्ट के खतरे की आशंका पर चीन ने क्या कहा?
चीन की याक्सिया परियोजना रियू नदी के ऊपरी हिस्से में बनाई जा रही है. इस नदी को भारत में सियांग और तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो के नाम से जाना जाता है. भारत के लिए इस प्रोजेक्ट को खतरा माना जा रहा है तो वहीं, चीन का कहना है कि याक्सिया प्रोजेक्ट का नदी के निचले इलाकों पर कोई नेगेटिव असर नहीं होगा.
चीन की ओर से दावा किया जा रहा है कि, वह कभी भी नदियों पर सीमा पार जलविद्युत परियोजनाओं का इस्तेमाल निचले इलाकों के देशों के हितों को नुकसान पहुंचाने या उन पर दबाव बनाने के इरादे से नहीं करेगा. हालांकि चीन की यह विशाल परियोजना बेहद जटिल हो सकती है. इसमें सुरंगों के जरिए भी पानी मोड़ा जा सकता है.
चीन के जवाब में क्या है भारत की तैयारी?
हालांकि आगामी खतरे को भांपते हुए भारत ने भी चीन को जवाब देने का प्लान बना लिया है. चीन के याक्सिया हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के मुकाबले भारत अरुणाचल प्रदेश में सबसे बड़ा बांध बनाने की योजना बना रहा है. यह बांध 280 मीटर ऊंचा होगा. सूत्रों के मुताबिक, इस प्रस्तावित योजना के तहत पानी का भंडारण करके और हथियारबंद जलधाराओं के रिसाव से बचाव करके, तिब्बत में चीन के प्रोजेक्ट का जवाब दिया जाएगा.
कैसा होगा अरुणाचल में बनने वाला भारत का नया बांध?
- अरुणाचल में बनने वाला ये बांध 280 मीटर ऊंचा होगा
- इसका मतलब लगभग 30 मंजिला इमारत जितनी ऊंचाई
- स्टोरेज क्षमता करीब 9.2 अरब क्यूबिक मीटर पानी की होगी
- 11,200 से 11,600 मेगावाट जलविद्युत पैदा करेगा बांध
- इस परियोजना का मकसद राष्ट्रीय जल सुरक्षा है
- परियोजना के केंद्र में बाढ़ कंट्रोल करना है
यह डैम पानी को स्टोर करके बाढ़ से बचाव करेगा. जो चीन के प्रोजेक्ट के पास ही बनाया जाएगा. इसके पीछे सोच है कि अगर चीन अचानक पानी छोड़े तो हमारा डैम उसे सोख लेगा. ये डैम इतना ऊंचा होगा कि बारिश के मौसम में भी इसमें सिर्फ दो-तिहाई तक पानी भरेगा. सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए नेशनल हाइड्रोपावर कॉर्पोरेशन को चुना है जो केंद्र सरकार की ही कंपनी है. इस योजना का मकसद बिजली बनाने से ज्यादा जल सुरक्षा है.
अरुणाचल में सरकार की योजना का विरोध
भारत को बाहरी जल हमले से बचाने के लिए बनाए जा रहे सरकार के इस डैम का अरुणाचल के आदिवासी लोग विरोध कर रहे हैं. उनका मानना है कि ये डैम उनके लिए मौत का पैगाम बन सकती है. जामोह जैसे आदिवासी यहां रहते हैं. वह यहां अपनी हरी-भरी जमीन में संतरे और जैकफ्रूट की खेती करते हैं. उनका कहना है कि, इस डैम से नदी की संस्कृति बर्बाद हो जाएगी. इसका विशाल जलाशय लाखों पेड़-पौधों और खेतों को डूबो देगा.
सरकार के प्रोजेक्ट पर अरुणाचल के CM पेमा खांडू ने क्या कहा?
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लोगों के विरोध के बीच अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने इसे सुरक्षा के लिहाज से जरूरी कदम बताया है. उन्होंने कहा, चीन के बांध के खिलाफ सुरक्षात्मक कार्रवाई जरुरी है. वह इसे एक सुरक्षा वाल्व के रूप में देखते हैं. इस बांध से कोयले पर निर्भर बिजली ग्रिड से उत्सर्जन को कम करने में भी मदद मिलेगी. हालांकि इससे कहीं ज्यादा ये सुरक्षा कवच के रूप में देश का सबसे शक्तिशाली बांध होगा.
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