नेपाल में सोशल मीडिया पर बैन को लेकर बवाल, संसद में घुसे हजारों युवा, देखते ही गोली मारने के आदेश, देशभर में फैला प्रदर्शन
नेपाल की राजधानी काठमांडू में हालात तनावपूर्ण हो गए हैं. हजारों की संख्या में युवा, खासकर Gen-Z पीढ़ी के लड़के-लड़कियां, सड़कों पर उतर आए. देखते ही देखते भीड़ संसद परिसर तक जा पहुंची और सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी. स्थिति को काबू में करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और पानी की बौछार करनी पड़ी. राजधानी की सड़कों पर तनाव और अफरातफरी का माहौल बना हुआ है.
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नेपाल की राजधानी काठमांडू से हैरान कर देने वाली खबर सामने आ रही है. यहां Gen-Z (जनरेशन Z) के युवा प्रदर्शनकारियों ने फेडरल संसद भवन पर धावा बोल दिया. युवाओं का यह प्रदर्शन नेपाली कम्युनिस्ट सरकार द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ था. कहा जा रहा है कि 'जेन जी' ने इसे अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना. वहीं भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने हवाई फायरिंग और आंसू गैस का सहारा लिया, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई है.
#WATCH | Kathmandu, Nepal | Protestors climb over police barricades as they stage a massive protest against the ban on Facebook, Instagram, WhatsApp and other social media sites. pic.twitter.com/mHBC4C7qVV
— ANI (@ANI) September 8, 2025
क्या है 'Gen-Z रिवोल्यूशन'
न्यू बनेश्वर क्षेत्र में सैकड़ों युवा प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए. ये युवा, जो 1997 से 2012 के बीच पैदा हुए हैं, सोशल मीडिया बैन के खिलाफ 'Gen-Z रिवोल्यूशन' चला रहे थे. सरकारी आदेश के तहत फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, एक्स (ट्विटर) समेत 26 प्लेटफॉर्म्स को 4 सितंबर से ब्लॉक कर दिया गया था, क्योंकि इन कंपनियों ने रजिस्ट्रेशन और टैक्स चुकाने की समयसीमा का पालन नहीं किया. युवाओं ने इसे 'डिजिटल तानाशाही' करार दिया और संसद भवन की ओर मार्च किया.
नेपाल की संसद पर युवाओं का कब्जा!
प्रदर्शनकारियों ने दक्षिणी गेट से घुसपैठ की और भवन को घेर लिया. आंखों देखा हाल बताता है कि पुलिस ने हवाई फायरिंग की, दर्जनों आंसू गैस शेल फोड़े और भीड़ को तितर-बितर करने की कोशिश की. एक सशस्त्र पुलिसकर्मी घायल हो गया, जिसे प्रदर्शनकारियों ने भी मदद की. रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने सशस्त्र पुलिस बल की एक गाड़ी पर कब्जा कर लिया. बनेश्वर क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया गया है, और सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है. काठमांडू के मेयर ने युवाओं के इस प्रोटेस्ट को अपना समर्थन पहले ही दे दिया है. वहीं प्रधानमंत्री ओली ने चेतावनी दी है कि कानून को हाथ में लेने वालों को इसका खामियजा भुगतना पड़ेगा.
पूरे देश में फैल रहा प्रदर्शन
यह प्रदर्शन पूरे देश में फैल चुका है. काठमांडू के अलावा अन्य प्रमुख शहरों में भी युवा सड़कों पर उतर आए हैं. कुछ युवा नेताओं ने इसे "नेपाल का अरब स्प्रिंग" कहा है, जो लोकतंत्र और पारदर्शिता की बहाली के लिए एक बड़ा आंदोलन साबित हो सकता है.
नेपाल सरकार ने 4 सितंबर को मिडनाइट से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक करने का आदेश दिया. सरकार का कहना है कि यह सुप्रीम कोर्ट के 17 अगस्त के फैसले और कैबिनेट के निर्णय के अनुरूप है, जिसमें इन कंपनियों को नेपाल में ऑफिस खोलने, रजिस्ट्रेशन करने और टैक्स चुकाने को कहा गया था. हालांकि, 'सोशल मीडिया के संचालन, उपयोग और विनियमन विधेयक' अभी संसद में पास नहीं हुआ है. कुछ प्लेटफॉर्म्स पहले से टैक्स दे रहे थे, फिर भी उन्हें ब्लॉक किया गया.
#WATCH | Nepal | Protest turned violent in Kathmandu as people staged a massive protest against the ban on Facebook, Instagram, WhatsApp and other social media sites, leading to clashes between police and protesters. pic.twitter.com/YWNj3R0wUG
— ANI (@ANI) September 8, 2025
विपक्ष और सिविल सोसाइटी ने इसे प्रेस फ्रीडम पर हमला बताया है. न्यूयॉर्क स्थित कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ) ने कहा कि यह पत्रकारिता की स्वतंत्रता के लिए खतरनाक मिसाल है. नेपाल जैसे खुले समाज को अब 'उत्तर कोरिया' की तरह बनाया जा रहा है, जैसा कि शासक गठबंधन के वरिष्ठ सदस्यों ने भी आलोचना की. आर्थिक रूप से भी यह नुकसानदेह है, क्योंकि छोटे-मध्यम व्यवसाय इंस्टाग्राम और फेसबुक पर निर्भर हैं. प्रवासी नेपाली परिवारों के लिए यह संचार का प्रमुख साधन था.
भ्रष्टाचार और बेरोजगारी का लगा प्रदर्शन में तड़का!
Gen-Z प्रदर्शनकारी मुख्य रूप से भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और सरकारी अक्षमता के खिलाफ हैं. नेपाल में पिछले 17 वर्षों में 13 सरकारें बनीं, लेकिन आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और जीवन स्तर में सुधार नहीं हुआ. लाखों युवा मध्य पूर्व, दक्षिण कोरिया और मलेशिया में नौकरी के लिए पलायन कर रहे हैं. सोशल मीडिया बैन ने इस आक्रोश को भड़का दिया, क्योंकि युवा इसे अपनी आवाज दबाने का प्रयास मानते हैं.
यह आंदोलन प्रो-मोनार्की प्रदर्शनों से अलग है, जो मार्च-मई 2025 में हुए थे. उनमें पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह के समर्थकों ने हिन्दू राजतंत्र की बहाली मांगी थी, जिसमें हिंसा हुई और दो मौतें हुईं. लेकिन Gen-Z का फोकस डिजिटल अधिकारों और पारदर्शिता पर है.
प्रदर्शन को दबाने की तैयारी
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प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली की सरकार ने प्रदर्शन को दबाने के लिए सेना तैनात की है. उन्होंने देखते ही गोली मारने के भी आदेश दिए हैं. कुछ प्लेटफॉर्म्स जैसे व्हाट्सएप को बहाल किया गया, लेकिन बाकी ब्लॉक बने हुए हैं. विपक्षी दलों ने सरकार की निंदा की है, लेकिन एकजुट प्रतिक्रिया नहीं दिख रही. कहा तो ये भी जा रहा है कि सरकार ने सोशल मीडिया पर बैन इसलिए लगाया ताकि राजतंत्र समर्थकों की मांग और आवाज को कंट्रोल किया जा सके.
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