केंद्र की योजनाओं से बदली किसान वसंत शंकर काले की जिंदगी, अब जी रहे आत्मनिर्भर और सम्मानजनक जीवन
वसंत शंकर ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में बताया कि मैं किसान सम्मान निधि योजना से मिलने वाली राशि से बीज, खाद, दवाइयां और कीटनाशक खरीदता हूं. अगर यह मदद न मिले तो किसानों के लिए खेती करना मुश्किल हो जाए.
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केंद्र सरकार लोक कल्याणकारी योजनाएं चला रही है. इससे गरीब और वंचित वर्ग आत्मनिर्भर होने के साथ ही सम्मानजनक जीवन भी जी रहे हैं.
छोटे किसान को मिला केंद्र की योजनाओं से फायदा
महाराष्ट्र में पुणे के मावल तालुका के छोटे किसान वसंत शंकर काले आज खुशहाल जीवन जी रहे हैं. कभी सीमित साधनों के साथ संघर्ष कर रहे वसंत शंकर की जिंदगी अब केंद्र सरकार की तीन प्रमुख योजनाओं प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, पीएम आवास योजना और आयुष्मान भारत योजना की बदौलत बदल चुकी है.
वसंत शंकर को सीधे मिल रहा है प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का फायदा
देशभर के करोड़ों किसानों की तरह वसंत शंकर काले को भी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से सीधा लाभ मिल रहा है. यह योजना उनके लिए खेती की रीढ़ साबित हुई है.
वसंत शंकर ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में बताया कि मैं किसान सम्मान निधि योजना से मिलने वाली राशि से बीज, खाद, दवाइयां और कीटनाशक खरीदता हूं. अगर यह मदद न मिले तो किसानों के लिए खेती करना मुश्किल हो जाए.
प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत वसंत शंकर ने बनवाया अपना पक्का घर
खेती की जरूरतें पूरी करने के साथ अब वसंत शंकर का अपना पक्का घर भी है, जो उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत मिला. वहीं, आयुष्मान भारत योजना के तहत उन्होंने अपना आयुष्मान कार्ड बनवाया है, जिससे अब परिवार के स्वास्थ्य को लेकर चिंता कम हो गई है.
वसंत शंकर कहते हैं कि प्रधानमंत्री आवास योजना से गरीबों को घर मिला है, किसान सम्मान योजना से आर्थिक मदद और आयुष्मान भारत योजना से अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा मिली है. ये तीनों योजनाएं हमारे जैसे किसानों के लिए वरदान हैं.
किसानों को आर्थिक रूप से मिली मजबूती
उनका मानना है कि इन योजनाओं ने न केवल किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया है, बल्कि गांवों के जीवन स्तर को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है. वे कहते हैं कि गांव के 80 से 90 प्रतिशत किसान इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं. मैं इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करता हूं.
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काले की कहानी इस बात का उदाहरण है कि जब सरकारी योजनाएं सही लोगों तक पहुंचती हैं तो वे सिर्फ सहायता नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और सम्मान का आधार बन जाती हैं.
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