Budget 2025-2026: इनकम टैक्स में मिलेगी छूट! जानिए मोदी सरकार का पूरा प्लान
बजट से पहले ही टैक्सपेयर्स की उम्मीदें आसमान छू रही हैं। लेकिन सरकार नए टैर्स रिजीम में को छूट देने के बारे में नहीं सोच रही। देखिए पूरी खबर

हर साल की तरह इस साल भी 1 फरवरी को फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सितारमण बजट पेश करने वाली है। वो इसबार फाइनेंशियल ईयर 2025-26 का बजट पेश करेंगी। इस टैक्स से टैक्सपेयर्स को राहत देने की उम्मीद की जा रही है। इस बीच सरकार नए टैक्स रिजीम में किसी भी तरह की रियायत देने के मूड में नहीं है लेकिन वह टैक्स की सीमा बढ़ाने और स्लैब में फेरबदल के माध्यम से रियायत देने पर विचार कर रही है। इनकम टैक्स रेट्स को सबसे आखिर में अंतिम रूप दिया जाता है और आमतौर पर हर बजट से पहले उनमें बदलाव की मांग की जाती है।
हेल्थ इंश्योरेंस में मिलेगी छूट?
एक तरफ केंद्र सरकार नए टैक्स रिजीम में स्लैब्स में बदलाव पर ध्यान केंद्रित कर रही है तो दूसरी ओर हेल्थ इंश्योरेंस और पेंशन जैसे खर्चों पर टैक्स में छूट देने की की मांग हो रही है। इसे भारत जैसे देश में महत्वपूर्ण माना जाता है, जहां सरकारी कर्मचारियों को छोड़कर सभी को खुद ही इसके लिए जूझना पड़ता है। कुछ वर्ग पुराने टैक्स रिजीम को खत्म करने की मांग कर रहे हैं जो उन टैक्सपेयर्स के लिए फायदेमंद है जो एचआरए और होम लोन क्लैम करते हैं।
SBI की एक रिपोर्ट में 50,000 रुपये तक के स्वास्थ्य बीमा और 75,000 रुपये या 1 लाख रुपये तक के NPC कंट्रीब्यूशन में टैक्स में छूट की मांग की गई है। यदि 10-15 लाख रुपये की कर योग्य आय वालों के लिए 15% लेवी के साथ शीर्ष दर को 30% पर बरकरार रखा जाता है, तो केंद्र को सालाना 16,000 करोड़ रुपये से 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। इसमें इंटरेस्ट इनकम के टैक्स ट्रीटमेंट में भी बदलाव के पक्ष में भी तर्क दिए गए हैं।
न्यू वर्सेज ओल्ड टैक्स रिजीम
15 लाख रुपये या उससे अधिक की टैक्सेबल इनकम वालों के लिए टॉप रेट को 30% से घटाकर 25% कर दिया जाता है और साथ ही 50,000 रुपये तक के स्वास्थ्य बीमा और 75,000 रुपये सालाना एनपीएस कंट्रीब्यूशन पर टैक्स में छूट दी जाती है तो सरकार को 74,000 करोड़ रुपये से लेकर 1.1 लाख करोड़ रुपये के बीच रेवेन्यू का नुकसान होगा।
अगर अधिकतम दर को घटाकर 25% कर दिया जाता है, साथ ही 10-15 लाख रुपये की टैक्सेबल इनकम वालों के लिए 15% लेवी और 50,000 रुपये तक के हेल्थ कवर और सालाना 75,000 रुपये के एनपीएस के लिए टैक्स में छूट दी जाती है तो रेवेन्यू का नुकसान 85,000 करोड़ रुपये से 1.2 लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। ने टैक्स रिजीम के तहत होम लोन पर भी टैक्स में फायदा देने का भी सुझाव दिया गया है। हालांकि, सरकारी अधिकारी रियायतें और छूट देने के खिलाफ हैं। उनका तर्क है कि इससे नई व्यवस्था भी धीरे-धीरे पुरानी व्यवस्था जैसी हो जाएगी। साथ ही, उन्होंने सुझाव दिया कि टैक्सपेयर्स के पास अपने फायदे के हिसाब से टैक्स रिजीम चुनने का विकल्प होना चाहिए।