पाकिस्तान की सीमा में गलती से घुस गया BSF का जवान, पाक रेंजर्स ने लिया हिरासत में, जानिए कैसे संभव है रिहाई ?
राजस्थान के श्रीगंगानगर सेक्टर में बीएसएफ का एक जवान गलती से पाकिस्तान की सीमा में दाखिल हो गया, जहां पाक रेंजर्स ने उसे हिरासत में ले लिया। दोनों देशों के बीच हॉटलाइन के जरिए बातचीत शुरू हो गई है और भारत की ओर से जवान की रिहाई के प्रयास किए जा रहे हैं। उम्मीद है कि ये मामला जल्द सुलझा लिया जाएगा।
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जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच दुश्मनी की खाई और गहरी हो गई है. आतंकियों के इस कायराना हमले में 28 जिंदगियों को खत्म कर दिया है. इस बीच एक बड़ी खबर सामने आई है, जानकारी के मुताबिक भारत के सीमा सुरक्षा बल के एक जवान को पाकिस्तानी रेंजर्स ने हिरासत में ले लिया है. बताया जा रहा है कि बीएसएफ का यह जवान गलती से पाकिस्तान सीमा के अंदर दाखिल हो गया था, जिसके बाद पाकिस्तानी रेंजर्स ने इसे अपने हिरासत में लिया है. मामला सामने आने के बाद हिरासत में लिए गए जवान की रिहाई के लिए बीएसएफ के अधिकारियों और पाक फ्लैग रेंजर्स के बीच बातचीत चल रही है.
182वीं बटालियन के जवान है पीके सिंह
सेना के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीएसएफ की 182वीं बटालियन के कांस्टेबल पीके सिंह पंजाब के फिरोजपुर बॉर्डर पर ड्यूटी पर तैनात थे. इस दौरान पीके सिंह तेज धूप के चलते एक पेड़ की छांव में आराम करने के लिए आगे बढ़े, जिसके बाद पाकिस्तान रेंजर्स ने उन्हें हिरासत में ले लिया. सेवा के अधिकारियों के मुताबिक पी के सिंह के पास सर्विस राइफल थी और वह अपने वर्दी में थे. अधिकारियों के मुताबिक हिरासत में लिए गए बीएसएफ के जवान की रिहाई के लिए दोनों देशों के अधिकारियों के बीच फ्लैग मीटिंग जारी है. भारत-पाकिस्तान पंजाब बॉर्डर पर इस तरह की घटनाएं असामान्य नहीं है, पहले भी कई बार दोनों देशों के बीच ऐसी घटनाएं हो चुकी है. हालांकि वर्तमान में पहलगाम हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ उठाए गए सख्त कदम के बाद ये सवाल उठ रहा है कि आखिर कैसे बीएसएफ के जवान को पाकिस्तान से हिरासत से वापस लाया जाएगा.
कैसे पीके सिंह की होगी वापसी
बीएसएफ के जवान पीके सिंह की रिहाई के लिए भारत और पाकिस्तान की सेना के अधिकारियों के बीच भले ही फ्लैग मीटिंग चल रही हो लेकिन हम आपको बताते हैं कि आखिर वह कौन से नियम है जिसके चलते पाकिस्तान को पीके सिंह की रिहाई करना पड़ेगा. आपको याद ही होगा, भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन को भारत सरकार ने पाकिस्तान पर एक नियम के तहत दबाव बनाकर वापस लाया था, आइए जानते हैं वह कौन सा नियम है जिसके चलते पीके सिंह की रिहाई करना पाकिस्तान की मजबूरी होगा.
अभिनंदन कैसे पहुंचे थे पाकिस्तान
साल 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को तबाह कर दिया था. इसके ठीक 1 दिन बाद पाकिस्तानी फाइटर अमेरिकी एफ 16 जेट से भारतीय सीमा की तरफ बढ़ रहे थे, तभी भारतीय वायु सेवा ने तुरंत उनका पीछा करते हुए पाकिस्तानी वायुसेना को खदेड़ दिया था. हालांकि इस दौरान भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन मिग-21 से पाकिस्तानी सीमा में घुस गए. इसके बाद पाकिस्तान सेना उन्हें गिरफ्तार कर लिया था.अभिनंदन के पाकिस्तान सेना के गिरफ्त में आने के बाद उनकी रिहाई के लिए भारतीय सेवा के अधिकारियों ने काफी प्रयास किया लेकिन पाकिस्तान अभिनंदन को छोड़ने पर तैयार नहीं हो रहा था. तब भारत सरकार ने पाकिस्तान पर जिनेवा कन्वेंशन के नियम के तहत दबाव बनाया और पाकिस्तान से अभिनंदन की सुरक्षित वापसी संभव हुई. बता दें कि पाकिस्तान ने जिनेवा कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए हैं. इसलिए इसके नियमों को मनाना पाकिस्तान की मजबूरी है. और अगर पाकिस्तान इस नियम को नहीं मानता है तो उसे पर अंतरराष्ट्रीय दबाव भी बन सकता है क्योंकि युद्धबंदी नियमों को अगर पाकिस्तान नहीं मानता है तो पाकिस्तान की मुसीबतें और बढ़ सकती है क्योंकि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दुनिया भर के बड़े देश और उनके नेताओं का भारत को साथ मिल रहा है. इस बीच अगर पाकिस्तान जिनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन करता है तो विश्व के कई बड़े देश उसके खिलाफ खड़े हो जाएंगे.
जिनेवा कन्वेंशन के क्या है नियम
दरअसल, प्रिजनर्स ऑफ वॉर (POW) यानी युद्धबंदियों के अधिकारों के मूल्यों की रक्षा के लिए जिनेवा कन्वेंशन में नियम तय किए गए थे. कन्वेंशन के नियमों के तहत अगर किसी भी माध्यम से युद्धबंदियों को दिखाया जाता है तो ये नियम का उलंघन माना जाता है. इस नियम के युद्धबंदियों के लिए कई अधिकारी भी तय किए गए है. इसमें अगर किसी सेवा के जवान को दूसरे में हिरासत में लिया जाता है तो उसे प्रताड़ित नहीं कर सकते उसके साथ सम्मानजनक व्यवहार करना जरूरी होता है. इसलिए कोई भी देश एक दूसरे देश के सैनिक को ना धमकी दे सकता है और ना ही डरा सकता है. यानी इस नियम के तहत किसी भी देश में अगर दूसरे देश का सैनिक पकड़ा जाता है तो उसके साथ एक अधिकारी के तौर पर बेहतर व्यवहार किया जाना अनिवार्य होता है और उसे उसके देश वापस करना होता है.
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