मौत से पहले महज 40 किलो के रह गए थे लाचार जिन्ना, जानें भारत के बंटवारे के जिम्मेदार जिन्ना की कैसे हुई थी मौत
11 सितंबर 1948 को फेफडों के कैंसर से जूझ रहे पाकिस्तान राष्ट्र को गढ़ने वाले पौने 6 फीट के मोहम्मद अली जिन्ना के बीमारू शरीर का वजन मात्र 40 किलो रह गया था. मौत से पहले जिन्ना का वो बयान, 'डॉक्टर अपनी बीमारी की बात तो मैं 12 साल से जानता हूं, मैंने इसको सिर्फ इसलिए जाहिर नहीं किया था कि हिंदू मेरी मौत का इंतजार ना करने लगें.'
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बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार जिन्ना के जीवनीकार स्टेनली वोलपार्ट लिखते हैं, '7 अगस्त 1947 को जब जिन्ना दिल्ली से कराची पहुंचे तो उन्होंने नौसेना के लेफ्टिनेंट एस एम एहसान की तरफ मुखातिब होकर कहा था कि तुम्हे शायद इस बात का अंदाजा न हो कि मैंने इस जिंदगी में पाकिस्तान बनते देखने की उम्मीद नहीं की थी. ' लेकिन लाखों मौतें, बेहिसाब तबाही और जान-माल के अवर्णनीय नुकसान के बाद जिन्ना अपने मिशन में सफल रहे थे.
मैं पजामा पहनकर नहीं मरूंगा
11 सितंबर 1948 को फेफडों के कैंसर से जूझ रहे पाकिस्तान राष्ट्र को गढ़ने वाले पौने 6 फीट के मोहम्मद अली जिन्ना के बीमारू शरीर का वजन मात्र 40 किलो रह गया था. खांसने पर उनके कफ से खून का चकता निकलता था और इंजेक्शन लगाने के बाद जब डॉक्टर उन्हें जिंदगी का दिलासा देते तो हिम्मत हार चुके जिन्ना खुद कहते, "नहीं... मैं जिंदा नहीं रहूंगा."
ये घटनाओं से भरी और कल्पनाओं से परे उनकी जिंदगी का आखिरी दिन था. लेकिन वकालत से खूब पैसा कमाये इस 71 साल के बूढ़े बैरिस्टर में ड्रेसिंग सेंस को लेकर जबर्दस्त आग्रह था. अपने आखिरी दिनों में गंभीर रूप से बीमार होने और मृत्युशय्या पर पड़े होने पर भी उन्होंने औपचारिक पोशाक पहनने पर जोर दिया. वे अपनी बहन फातिमा जिन्ना से कहते थे- "मैं पजामा पहनकर नहीं मरूंगा."
14 अगस्त विभाजन विभीषिका दिवस
भारत का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान बना. विभाजन की इस त्रासदी और इस दौरान हुई हिंसा, विस्थापन और बलिदानों को याद करने के लिए भारत पाकिस्तान बनने के दिन को यानी 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका दिवस के रूप में मनाता है.
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जिन्ना की सेहत और भारतीय उपमहाद्वीप की घटनाएं एक श्रृंखला के रूप में जुड़ी हैं. मोहम्मद अली जिन्ना धार्मिक से ज्यादा राजनीतिक मुसलमान थे. ये उनके खान-पान में नजर आता था. जहां मजहबी बंदिशें एकदम नहीं थीं. जिन्ना के शौक और खान-पान की ख्वाहिशें उम्दा किस्म की थी. जिन्ना की ये आदतें लंदन में पोषित हुई थीं. कानून की प्रैक्टिस करते हुए जिन्ना धनी बन गए थे. उसने कभी भी एक ही रेशमी टाई दोबारा नहीं पहनी.
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