असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों को अब जेल में भी नहीं मिलेगी जगह... सीधे होंगे डिपोर्ट, CM हिमंत बिस्वा ने खोज ली कानूनी झमेलों की काट
असम सरकार ने अवैध घुसपैठियों को तेजी से बाहर निकालने के लिए नई SOP मंजूर की है. अब जिला उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक 10 दिनों के भीतर अवैध प्रवासियों की पहचान कर कार्रवाई कर सकेंगे. घुसपैठ करते हुए 12 घंटे में पकड़े जाने पर तुरंत वापसी होगी. अगर 10 दिनों में नागरिकता का प्रमाण नहीं दिया गया तो 24 घंटे के भीतर राज्य छोड़ना होगा.
Follow Us:
असम में अवैध प्रवासियों के मामलों में तेजी लाने के लिए राज्य सरकार ने एक नई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को मंजूरी दी है. इस नई प्रक्रिया का उद्देश्य राज्य में आने वाले अवैध प्रवासियों को जल्द पहचानकर उन्हें बाहर निकालना है. ऐसे में अब जिला उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक 10 दिनों के भीतर अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें राज्य से बाहर भेज सकते हैं.
हिमंत सरकार द्वारा जारी की गई नई SOP के अनुसार, अगर कोई अवैध प्रवासी असम में घुसपैठ करते हुए 12 घंटे के भीतर पकड़ा जाता है, तो उसे तुरंत वापस भेजा जाएगा. वहीं, यदि कोई व्यक्ति 10 दिनों के भीतर अपनी भारतीय नागरिकता साबित नहीं कर पाता है, तो उपायुक्त उसे राज्य से बाहर निकालने का आदेश दे सकता है. ऐसे व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर एक तय रास्ते से असम छोड़ना होगा. मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस प्रक्रिया को न्यायाधिकरणों पर बढ़ते बोझ को कम करने वाला कदम बताया. उनका कहना है कि पहले इन मामलों को निपटाने में न्यायाधिकरणों में बहुत समय लगता था. असम में अभी तक न्यायाधिकरणों में 82,000 मामले लंबित हैं. अगर यह मामला उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट तक जाता, तो निपटान में और अधिक समय लगता. नई SOP से अब ये मामलों का समाधान तेजी से हो सकेगा.
Guwahati, Assam: CM Himanta Biswa Sarma says, "Because Supreme Court has mandated implementation of the Immigrant Expulsion Act, Expulsion from Assam Act 1950, this Act gives power to Deputy Commissioner, not to the Tribunal. So any action which will be taken under this Act will… pic.twitter.com/ncXTwvArjD
— IANS (@ians_india) September 9, 2025
नागरिकता संशोधन अधिनियम को रखा गया बरकरार
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह कदम नागरिकता संशोधन अधिनियम की धारा 6ए को बरकरार रखते हुए उठाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने भी संकेत दिया है कि असम सरकार को विदेशियों का पता लगाने और उन्हें निर्वासित करने के लिए असम आप्रवासी निष्कासन अधिनियम 1950 का उपयोग करने का अधिकार है. इस अधिनियम के तहत, केंद्र सरकार द्वारा उपायुक्त को किसी भी व्यक्ति को राज्य से निकालने का अधिकार दिया गया है जिसे विदेशी माना जाता है. सरमा ने आगे कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अप्रवासी निष्कासन अधिनियम 1950 के कार्यान्वयन को अनिवार्य कर दिया है. यह अधिनियम अब न्यायाधिकरणों को नहीं बल्कि उपायुक्त को शक्ति प्रदान करता है. इसका मतलब यह है कि इस अधिनियम के तहत की जाने वाली कार्रवाई सीधे उपायुक्त के अधिकार क्षेत्र में होगी और न्यायाधिकरणों में नहीं जाएगी.
Guwahati, Assam: CM Himanta Biswa Sarma says, "While upholding clause section 6A of Citizenship Amendment Act, Supreme Court, through the Constitutional Bans, has clearly indicated that the Government of Assam is free to use the Immigrant Expulsion from Assam Act 1950 to detect… pic.twitter.com/IegGYSQpWR
— IANS (@ians_india) September 9, 2025
क्या है अप्रवासी अधिनियम 1950
अप्रवासी अधिनियम 1950 विदेशी न्यायाधिकरणों (FT) की शक्तियों को सीमित करता है. अगर किसी व्यक्ति के विदेशी होने का संदेह है, तो उसे अपने सभी कानूनी दस्तावेज उपायुक्त (DC) के सामने पेश करने होंगे. इसके बाद उपायुक्त और अतिरिक्त उपायुक्त (ADC) 10 दिनों के भीतर दस्तावेजों की जांच करेंगे. यदि दस्तावेजों से संतुष्टि नहीं मिलती, तो 11वें दिन व्यक्ति को होल्डिंग सेंटर भेजा जाएगा. वहां से उन्हें निर्वासन के लिए प्रक्रिया शुरू की जाएगी. सरकार सीधे विदेशी को बाहर नहीं करेगी. इसके लिए सीमा सुरक्षा बल (BSF) जिम्मेदार होगा. किसी संदिग्ध व्यक्ति को अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए 10 दिन का समय दिया जाएगा. सुनवाई के बाद अगर उपायुक्त यह निष्कर्ष निकालते हैं कि वह व्यक्ति विदेशी है, तो तत्काल निष्कासन का आदेश पारित किया जाएगा. ऐसे व्यक्ति को या तो निर्वासित किया जाएगा या भारत के बाहर वापस भेजा जाएगा.
SOP का क्या है उद्देश्य
यह नई SOP 'इमिग्रेंट्स (एक्सपल्शन फ्रॉम असम) एक्ट, 1950' से प्रेरित है. यह कानून खासतौर पर असम के लिए बनाया गया था. लेकिन लंबे समय तक इसे लागू नहीं किया गया क्योंकि 1983 का इलीगल माइग्रेंट्स (डिटरमिनेशन बाय ट्रिब्यूनल) एक्ट इसे पीछे धकेल रहा था. इस कानून को केवल असम में लागू किया जा सकता था. सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में यह कानून असंवैधानिक घोषित कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि यह कानून अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 355 (राज्यों को बाहरी आक्रमण और अशांति से बचाने का दायित्व) का उल्लंघन करता है. लेकिन पिछले साल अक्टूबर में संविधान पीठ ने स्पष्ट किया कि 1950 का एक्ट अब प्रभावी रूप से लागू किया जाए. इस कानून के आधार पर केंद्र सरकार को अधिकार है कि किसी भी व्यक्ति या समूह को, जो भारत के बाहर से असम आया है और जिसकी मौजूदगी राज्य के जनजातीय अधिकारों या सार्वजनिक हित के लिए हानिकारक मानी जाए, बाहर निकाला जा सके.
अवैध प्रवासियों को चिन्हित करना: सीएम हिमंत बिस्वा सरमा
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, "हमारा लक्ष्य केवल अवैध प्रवासियों को चिन्हित करना और उन्हें कानूनी प्रक्रिया के तहत बाहर निकालना है. इस प्रक्रिया से राज्य की सुरक्षा मजबूत होगी और न्यायपालिका पर बोझ भी कम होगा. असम की जनता को जल्द और निष्पक्ष कार्रवाई मिलेगी." इस नई SOP से न केवल असम सरकार की कार्रवाई तेज होगी, बल्कि लोगों में यह विश्वास भी बढ़ेगा कि राज्य में अवैध प्रवासियों की पहचान और उनका निष्कासन कानूनी तरीके से और तेजी से किया जा रहा है.
यह भी पढ़ें
बताते चलें कि असम सरकार की यह पहल राज्य की सुरक्षा, कानून व्यवस्था और स्थानीय जनजातीय अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. अब देखा जाना यह है कि नई प्रक्रिया कितनी प्रभावी साबित होती है और राज्य में अवैध प्रवासियों की गतिविधियों पर इसका कितना असर पड़ता है.
टिप्पणियाँ 0
कृपया Google से लॉग इन करें टिप्पणी पोस्ट करने के लिए
Google से लॉग इन करें