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'अगर चीन ब्रह्मपुत्र का पानी रोक दे तो?', पाकिस्तान की आंखें खोल देंगे हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा पेश किए गए ये फैक्ट्स

भारत ने सिंधु जल समझौता क्या रद्द किया, तब से पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है. वो भारत को नई-नई गीदड़भभकियां दे रहा है. अब उसका कहना है कि चीन भारत में प्रवाहित होने वाली ब्रह्मपुत्र नदी का पानी रोक सकता है. उसके इसी झूठ का असम सीएम ने तथ्यों के साथ जवाब दिया है.

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03 Jun 2025
( Updated: 09 Dec 2025
03:33 AM )
'अगर चीन ब्रह्मपुत्र का पानी रोक दे तो?', पाकिस्तान की आंखें खोल देंगे हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा पेश किए गए ये फैक्ट्स

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक साथ पाकिस्तान और चीन दोनों देशों की तरफ से भारत को लेकर फैलाए जा रहे झूठ का पर्दाफाश किया है. असम सीएम ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर क्या कुछ लिखा है चलिए जानते हैं. 

हिमंत बिस्वा शर्मा ने पाक के झूठ का किया पर्दाफाश 

हिमंता बिस्वा सरमा ने एक्स पर लिखा, अगर चीन ब्रह्मपुत्र का पानी रोक दे तो क्या होगा? पाकिस्तान की नई डराने वाली कहानी का करारा जवाब-
"भारत द्वारा जब से पुरानी और एकतरफा सिंधु जल संधि को दरकिनार किया गया है, पाकिस्तान एक नई घबराहट फैलाने की कोशिश कर रहा है. अगर चीन ब्रह्मपुत्र का पानी रोक दे तो?"

आइए इस झूठी कल्पना को डर से नहीं, बल्कि तथ्यों और राष्ट्रीय स्पष्टता से तोड़ते हैं. ब्रह्मपुत्र- एक ऐसी नदी जो भारत में बढ़ती है, घटती नहीं. चीन ब्रह्मपुत्र के कुल जल प्रवाह में केवल 30-35% योगदान देता है. वह भी ज्यादातर हिमनदों के पिघलने और सीमित वर्षा से. शेष 65-70% जल भारत के भीतर ही उत्पन्न होता है, क्योंकि अरुणाचल प्रदेश, असम, नागालैंड और मेघालय में मूसलाधार मानसूनी वर्षा, प्रमुख सहायक नदियाँ- सुबनसिरी, लोहित, कामेंग, मानस, धनसिरी, जिया-भाराली, कोपिली. मेघालय की खासी, गारो और जयंतिया पहाड़ियों से जल- कृष्णाई, दिगारू, कुलसी आदि सहायक नदियाँ.

भारत-चीन सीमा (तूतिंग) पर प्रवाह: 2,000–3,000 घन मीटर/सेकंड
गुवाहाटी जैसे असम के मैदानों में प्रवाह: मानसून के समय 15,000–20,000 घन मीटर/सेकंड

ब्रह्मपुत्र भारत में प्रवेश के बाद सशक्त होती है. यह एक भारतीय, वर्षा-पोषित नदी प्रणाली है, न कि किसी एक स्रोत पर निर्भर. पाकिस्तान के लिए वह सच्चाई जो उसे जाननी चाहिए, अगर चीन कभी ब्रह्मपुत्र के जल को कम भी कर दे (जो कि अब तक किसी भी मंच पर न कहा गया है, न संकेत दिया गया है), तो वह भारत के लिए मददगार हो सकता है, क्योंकि हर वर्ष असम में आने वाली भीषण बाढ़ लाखों को विस्थापित करती है और भारी तबाही लाती है.

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पाकिस्तान, जिसने 74 वर्षों तक सिंधु जल संधि से लाभ उठाया, अब घबरा रहा है क्योंकि भारत अपने जल अधिकारों पर संप्रभु निर्णय ले रहा है. आइए पाकिस्तान को याद दिलाएं: ब्रह्मपुत्र एक ही स्रोत पर आधारित नहीं है. यह हमारे भूगोल, हमारे मानसून और हमारी सभ्यतागत शक्ति से पोषित है.
#BrahmaputraTruth

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