उधर मुनीर करता रहा ट्रंप की चापलूसी, इधर भारत-अमेरिका की हो गई 10 वर्षीय डिफेंस डील, पाकिस्तान की उड़ी नींद!
पाकिस्तान ऑपरेशन सिंदूर के बाद से ही डोनाल्ड ट्रंप की चापलूसी करता रहा, बदले में उसे ट्रंप से तारीफ और चंद पैसे भीख में मिल भी गए, लेकिन असली बाजी भारत ने मार ली. लगातार तनाव और टैरिफ टेंशन के बीच भारत-अमेरिका के बीच बहुचर्चित 10 वर्षीय डिफेंस डील हो गई, जिसकी तस्वीरें सामने आने के बाद से ही आसिम मुनीर, शहबाज शरीफ सहित पूरी पाक फौज की नींद उड़ गई है.
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भारत और अमेरिका के बीच हुए 10 वर्षीय रक्षा समझौते ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुरू किए गए टैरिफ वार और भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ/ पेनाल्टी के कारण बीते कई महीनों में दोनों देशों के रिश्तों में तनाव की वजह से आतंकिस्तान खुशियां मना रहा था, गलतफहमी में था कि उसकी लॉटरी लग गई है. हालांकि उसके लिए चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात वाली बात हो गई है.
पहले पाकिस्तानी पीएम शहबाज़ शरीफ और आसिम मुनीर ने ट्रंप को निजी तौर पर लुभाने की कोशिश की. ऑपरेशन सिंदूर में कथित मध्यस्थता का क्रेडिट दिया, नोबेल पुरस्कार के लिए नामित कर दिया और तो और नीचता की हर हद पार कर दी, लेकिन उसे कुछ हासिल नहीं हुआ.
सऊदी अरब के साथ डिफेंस डील पर इतरा रहा था पाकिस्तान!
इतना ही नहीं उसने सऊदी अरब के साथ हुए म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट SDMA से भारत को दबाव में लाने की कोशिश की, जिसके तहत पाकिस्तान और सऊदी अरब में किसी एक पर हमले को, दूसरे देश पर हमला समझा जाएगा जैसे कथित प्रावधान हैं. हालांकि इसकी कलई पाक-अफगान के बीच हुए हालिया सैन्य तनाव में खुल गई.
अब जब भारत और अमेरिका ने 10 साल के लिए रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं तो पाकिस्तान को कुछ सूझ नहीं रहा है कि वो करे तो क्या करे. उसने इस पर बस इतना कहा है कि इस पर कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं की जा सकती है. फिलहाल उनकी ओर से कहा गया है कि कि वो इस समय भारत और अमेरिका के बीच हुए नए 10-वर्षीय रक्षा समझौते का मूल्यांकन कर रहे हैं.
मलेशिया में मिले भारत-अमेरिका के रक्षा मंत्री
भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने शुक्रवार को रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए. इसकी जानकारी देते हुए रक्षा मंत्री ने एक्स पर लिखा, "कुआलालंपुर में पीटर हेगसेथ के साथ एक उपयोगी बैठक हुई. हमने 10 साल के 'अमेरिका-भारत प्रमुख रक्षा साझेदारी की रूपरेखा' पर हस्ताक्षर किए. यह हमारी पहले से ही मजबूत रक्षा साझेदारी में एक नए युग की शुरुआत करेगा. यह रक्षा रूपरेखा भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों के संपूर्ण आयाम को नीतिगत दिशा प्रदान करेगी."
उन्होंने आगे लिखा कि रक्षा हमारे द्विपक्षीय संबंधों का एक प्रमुख स्तंभ बना रहेगा. एक स्वतंत्र, खुले और नियम आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने के लिए हमारी साझेदारी महत्वपूर्ण है.
कहा जा रहा है कि इस समझौते से दोनों देशों के रिश्ते सुधरने की उम्मीद है. वहीं अमेरिकी रक्षा मंत्री पीटर हेगसेथ ने कहा कि समझौता क्षेत्रीय स्थिरता की आधारशिला है. इससे भारत-अमेरिका खुफिया और तकनीकी सहयोग बढ़ेगा.
पाकिस्तान ने क्या कहा?
इंडो-यूएस 10 साला डिफेंस डील पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी ने शुक्रवार को अपने बयान में कहा, 'भारत-अमेरिका रक्षा समझौता एक बहुत ही हालिया घटनाक्रम है. हम इस समझौते का मूल्यांकन कर रहे हैं. खासतौर से दक्षिण एशिया में शांति, सुरक्षा और स्थिरता पर इसके प्रभाव के संदर्भ में हम इस नए समझौते को देख रहे हैं.
I just met with @rajnathsingh to sign a 10-year U.S.-India Defense Framework.
— Secretary of War Pete Hegseth (@SecWar) October 31, 2025
This advances our defense partnership, a cornerstone for regional stability and deterrence.
We're enhancing our coordination, info sharing, and tech cooperation. Our defense ties have never been… pic.twitter.com/hPmkZdMDv2
क्या है भारत-अमेरिका रक्षा समझौता?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पीटर हेगसेथ की मौजूदगी में हुए रक्षा समझौते की पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है. पाकिस्तान इसे शक की निगाह से देख रहा है. उसे समझ नहीं आ रहा है कि वो तो अभी सऊदी अरब से द्विपक्षीय रक्षा समझौता कर आए हैं, उसे NATO समर्थक देश माना जाता रहा है, ट्रंप को नोबेल के लिए नोमिनेट वो बार-बार कर रहे हैं, इजरायल के पीस प्लान पर भी कथित तौर पर हामी भर दी, रेअर अर्थ मिनरल के नाम पर मुल्क बेच डाला, लेकिन अमेरिका ने समझौता भारत के साथ किया है.
आपको बताएं कि शुक्रवार को हुआ अमेरिका-भारत समझौता 2015 में हुए एक ऐसे ही समझौते का विस्तार है. इसके तहत संयुक्त प्रौद्योगिकी विकास, रक्षा व्यापार और सैन्य आदान-प्रदान शामिल थे. 10 साल पहले अमेरिका ने भारत को प्रमुख रक्षा साझेदार घोषित किया था. इससे महत्वपूर्ण सैन्य उपकरणों और प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान का रास्ता साफ हुआ था.
इसके अलावा भी अमेरिका भारत को विभिन्न रक्षा डील के तहत छूट देता आ रहा है, मसलन जब रूस से S400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने की बात आई थी तो इसमें कानूनी अर्चन आ रही थी, भारत पर सेंशन का खतरा था, लेकिन CAATSA से छूट दी गई.
अमेरिका के साथ हुए डिफेंस डील पर रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि भारत और अमेरिका एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने के लिए साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इसमें कहा गया है कि 2025 की रूपरेखा अगले 10 वर्षों में साझेदारी को मजबूत करने के लिए नया अध्याय है. इसका उद्देश्य रक्षा सहयोग को गहरा करने के लिए एकीकृत दृष्टिकोण और नीति दिशा प्रदान करना है.
आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक सुरक्षा को लेकर बहुपक्षीय चर्चा का प्लेटफॉर्म है. ऐसे में रक्षा मंत्री सिंह और हेगसेथ के बीच यह बैठक बहुपक्षीय सुरक्षा मंच में भाग लेने वाले रक्षा नेताओं के बीच चर्चाओं की शृंखला के एक भाग के रूप में हो रही है.
भारत दशकों से है आसियान का संवाद साझेदार!
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बता दें कि गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एडीएमएम-प्लस में भाग लेने के लिए दो दिवसीय यात्रा पर मलेशिया पहुंचे थे. भारत 1992 से आसियान का एक संवाद साझेदार है. एडीएमएम-प्लस की स्थापना 2010 में की गई और तब से ही इसमें भारत की सक्रिय भूमिका रही है. वर्तमान (2024-2027) में, भारत और मलेशिया आतंकवाद-निरोध पर विशेषज्ञ कार्य समूह के सह-अध्यक्ष हैं. अगला आसियान-भारत समुद्री अभ्यास 2026 में आयोजित किया जाएगा.
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