अमित शाह ने पूरा किया वादा... सम्राट चौधरी को बनाया 'बड़ा आदमी', क्या बिहार में बीजेपी कर रही है बड़ी तैयारी?
बिहार की नई सरकार में सीएम नीतीश कुमार की टीम में कई बदलाव हुए हैं, खासकर सम्राट चौधरी अब बदल गई है. इस बार उन्हें सूबे का गृह विभाग सौंपा गया, जो बीजेपी की भविष्य की रणनीति को दर्शाता है.
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Bihar Government: बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद राज्य की राजनीतिक समीकरण की तस्वीर नए रूप में उभर रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली नई सरकार में कई बदलाव हुए हैं, जो आने वाले दिनों में सियासी गलियारों में चर्चाओं का केंद्र बन सकते हैं. खासकर सम्राट चौधरी की भूमिका पर सभी की नजरें टिक गई हैं.
सम्राट चौधरी का हुआ प्रमोशन
पूर्व की सरकार में नीतीश के डिप्टी रहे सम्राट चौधरी इस बार भी उपमुख्यमंत्री बने हैं, लेकिन उनके प्रमोशन ने सियासी समीकरणों को और दिलचस्प बना दिया है. पहली बार बिहार में एनडीए के शासनकाल में जेडीयू ने सबसे पावरफुल माने जाने वाले गृह विभाग को बीजेपी को सौंप दिया है, और सम्राट को यह जिम्मेदारी दी गई है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी ने इस कदम के जरिए राज्य में भविष्य की राजनीति को लेकर रणनीति बनाई है.
बीजेपी ने क्यों दिया सम्राट को बड़ा मौका
नीतीश कुमार के दो दशक लंबे मुख्यमंत्री कार्यकाल में बीजेपी के दिवंगत नेता सुशील कुमार मोदी लंबे समय तक डिप्टी सीएम रहे, लेकिन वे गृह विभाग तक नहीं पहुंच पाए थे. उनकी और नीतीश की दोस्ती गहरी थी, फिर भी उन्हें यह विभाग नहीं मिला. उनके निधन के बाद बिहार में बीजेपी को बड़े चेहरे की तलाश थी, और यही मौका सम्राट चौधरी को मिला. 2024 में जब नीतीश ने महागठबंधन छोड़कर एनडीए में वापसी की, तो बीजेपी ने सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाया था, और साथ ही सम्राट को वित्त विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी.
अमित शाह ने पूरा किया वादा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विधानसभा चुनाव में तारापुर सीट से सम्राट चौधरी के लिए जनसभा को भी संबोधित किया था. तारापुर में रैली के दौरान शाह ने लोगों से वादा किया कि वे सम्राट को भारी मतों से जीतकर भेजें और उन्हें सरकार में बड़ा आदमी बनाएंगे. इस वादे को धरातल पर उतारा गया और सम्राट ने आरजेडी के प्रत्याशी अरुण कुमार को 45 हजार वोटों से हराकर बड़ी जीत दर्ज की. इसके बाद बीजेपी विधायक दल की बैठक में उन्हें नेता चुनकर उपमुख्यमंत्री के पद पर मुहर लगा दी गई. विजय सिन्हा को भी दोबारा उपमुख्यमंत्री बनाया गया, और मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा होने के बाद सम्राट को गृह मंत्री बनाया गया.
प्रशासनिक तबादलों पर नीतीश की पकड़
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गृह विभाग देने के बावजूद अपनी पकड़ भी बनाए रखी है. उन्होंने वित्त विभाग बीजेपी से लेकर अपने सबसे वरिष्ठ मंत्री बिजेंद्र यादव को सौंप दिया है, जबकि सामान्य प्रशासन विभाग अब भी उनके नियंत्रण में है. इसका मतलब यह है कि आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार अभी भी मुख्यमंत्री के पास हैं. बिहार के सियासी गलियारों में यह चर्चा भी हो रही है कि नीतीश कुमार के बाद एनडीए की अगली पीढ़ी कौन होगी. विधानसभा चुनाव से पहले चिराग पासवान के नाम की चर्चा रही, और उन्होंने बिहार से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी. हालांकि, बाद में उन्होंने इसे स्थगित कर दिया और अब अपनी पार्टी लोजपा (रामविलास) को यूपी और बंगाल जैसे राज्यों में फैलाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. जनवरी 2026 में वह बिहार में यात्रा भी निकालेंगे.
चिराग पासवान के लिए खड़ी हुई नई चुनौती
चिराग पासवान की राह में कई राजनीतिक चुनौतियां हैं. उनकी पार्टी दलित राजनीति पर केंद्रित है और महादलित वर्ग की राजनीति करने वाले हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के सुप्रीमो जीतनराम मांझी के साथ उनके संबंध हमेशा सहज नहीं रहे. एनडीए के अंदर भविष्य में नीतीश के उत्तराधिकारी की रेस में भाजपा से सम्राट और सहयोगी दल से चिराग दो ध्रुव बन सकते हैं. आने वाले समय में सत्ताधारी गठबंधन की राजनीति किस दिशा में जाएगी, यह पूरी तरह से आगामी घटनाओं पर निर्भर करेगा.
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बहरहाल, सम्राट चौधरी को बिहार का गृह मंत्री बनाए जाने से बीजेपी की अंदरूनी राजनीति में उनकी स्थिति मजबूत हुई है. अमित शाह के वादे के अनुसार उन्हें बड़ा आदमी बनाने की तैयारी को पूरा किया गया है. यह कदम न केवल बिहार की राजनीति को प्रभावित करेगा, बल्कि एनडीए के अंदर भविष्य की रणनीति को भी नया आकार देगा.
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