पहली मुलाकात से, सबसे विश्वासपात्र तक... अमित शाह ने PM मोदी को कहा बेस्ट फ्रेंड, सुनाया RSS से दिल्ली तक के सफर का अनसुना किस्सा
प्रधानमंत्री मोदी के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आजतक को दिए इंटरव्यू में कहा कि उनकी पहली मुलाकात 1980 के दशक की शुरुआत में RSS के कार्यक्रम में हुई थी. शाह ने याद किया कि पीएम मोदी ने कम समय में संघ के सिद्धांत और देश के बदलाव की दिशा समझाई थी और युवा कार्यक्रम को सफल बनाने में पूरी मेहनत की.
Follow Us:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन पर देश-विदेश से बधाईयों की झड़ी लगी. नेता, कार्यकर्ता और आम जनता सभी ने इस मौके पर उन्हें शुभकामनाएं दीं. लेकिन इस खास मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पीएम मोदी से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें आजतक को दिए एक विशेष इंटरव्यू में साझा की. शाह ने पीएम मोदी (PM Modi)के साथ अपने लंबे राजनीतिक सफर, उनके व्यक्तित्व और चुनौतियों को विस्तार से बताया.
कब हुई शाह और पीएम मोदी की पहली मुलाकात?
अमित शाह (Amit Shah)ने कहा कि उनकी पहली मुलाकात नरेंद्र मोदी से 1980 के दशक की शुरुआत में हुई थी. उस समय नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यक्रमों में युवाओं से संवाद करते थे. शाह ने याद किया, 'अहमदाबाद में संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी का युवा कार्यक्रम था. नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) वहां बहुत कम समय में संघ के सिद्धांत और देश को बदलने की दिशा समझाते थे. हमारे जैसे युवा उनके साथ कार्यक्रम को सफल बनाने में जुटे थे.' यह पहली मुलाकात ही आगे आने वाले दशकों के लिए एक मजबूत राजनीतिक और व्यक्तिगत संबंध की नींव साबित हुई.
बीजेपी से कब हुआ जुड़ाव?
अमित शाह ने कहा, 'बीजेपी से मैं जुड़ा था. हमने मिलकर पार्टी के लिए काम किया. जैसे करोड़ों कार्यकर्ता भारतीय जनता पार्टी के लिए जुटे हैं, वैसे ही मोदी जी के कारण लाखों लोग उनके साथ जुड़े हैं. देश और दुनिया की समस्याओं का समाधान करने की उम्मीद उनसे है. मोदी जी वह व्यक्ति हैं जो यह डिलीवर कर सकते हैं.'
दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष बनने का सफर
2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भाजपा नेतृत्व ने अमित शाह को पार्टी अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया. शाह ने स्पष्ट किया, 'पार्टी अध्यक्ष तय करने में प्रधानमंत्री की अहम भूमिका होती है, लेकिन यह केवल उनका फैसला नहीं होता. यह पार्टी का सामूहिक निर्णय होता है. मेरे अलावा भी कोई और अध्यक्ष बन सकता था. इसे केवल मोदी और मेरी केमिस्ट्री से जोड़कर देखना सही नहीं."
गुजरात से दिल्ली तक का कैसा रहा राजनीतिक सफर
शाह ने मोदी के गुजरात मुख्यमंत्री से लेकर देश के प्रधानमंत्री बनने तक के सफर को बड़े ही रोचक ढंग से समझाया. उन्होंने कहा, 'गुजरात में भी मोदी जी के लिए राष्ट्र पहले था. वहां उन्होंने बिजली, शिक्षा, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, तटीय विकास और ट्राइबल डेवलपमेंट जैसी योजनाओं की शुरुआत की. दिल्ली आने के बाद देश के 60 करोड़ गरीबों को घर, बिजली, शौचालय, गैस, शुद्ध पानी और मुफ्त इलाज जैसी सुविधाएं मिली.' शाह ने यह भी बताया कि देश के तीन बड़े हॉटस्पॉट कश्मीर, नॉर्थ ईस्ट और वामपंथी उग्रवाद में हिंसा में 75 प्रतिशत की कमी आई. उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवाद 2026 तक समाप्त हो जाएगा. इसके अलावा आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई, सर्जिकल स्ट्राइक और ऑपरेशन सिंदूर जैसी पहलें इसका उदाहरण हैं.
मोदी की सोच और अमित शाह का समर्थन
इंटरव्यू में शाह से पूछा गया कि क्या कभी उनकी और मोदी की सोच में अंतर आया? शाह ने कहा, 'कई बार होता है. कभी-कभी पीएम किसी सुझाव को मानते हैं, तो यह उनका निर्णय होता है. टीम की चर्चा में सभी विचार आते हैं और प्रधानमंत्री सभी की सुनते हैं."
कैबिनेट में बोलने की स्वतंत्रता
यह भी पढ़ें
अमित शाह ने प्रधानमंत्री की कार्यशैली पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, 'टीम की बैठकों में पीएम मोदी किसी भी निर्णय को प्रभावित नहीं करते. कैबिनेट में बोलने की स्वतंत्रता इतनी खुली होती है कि अन्य सरकारों में ऐसा दुर्लभ है. प्रधानमंत्री सभी की सुनते हैं और फिर निष्पक्ष निर्णय लेते हैं.' शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी में 75 साल की उम्र में भी विद्यार्थी का मन जीवित है. उन्होंने कहा, 'जो व्यक्ति सीखना बंद कर देता है, वह न खुद आगे बढ़ सकता है और न अपने संगठन को. यह सबसे बड़ा सबक है.' शाह ने अंत में मोदी के व्यक्तित्व के बारे में कहा कि उनकी विनम्रता, कार्यक्षमता और राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता ही उन्हें इतना अलग और प्रेरक बनाती है. उनके साथ काम करना केवल राजनीतिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत दृष्टि से भी जीवन का अनुभव है.
टिप्पणियाँ 0
कृपया Google से लॉग इन करें टिप्पणी पोस्ट करने के लिए
Google से लॉग इन करें