ट्रेड डील पर तनातनी के बीच भारत और अमेरिका ने शुरू किया युद्धाभ्यास, कौन-कौन से हथियारों का होगा इस्तेमाल और क्या है इसका मकसद, जानें
टैरिफ को लेकर टेंशन के बीच ही भारत और अमेरिका ‘युद्ध अभ्यास’ के मोर्चे पर एक साथ आए हैं. दोनों देशों की सेना एक महत्वपूर्ण युद्धाभ्यास को अंजाम देने जा रही है. भारत और अमेरिका का यह संयुक्त युद्धाभ्यास अमेरिका में आयोजित किया जा रहा है. इस युद्धाभ्यास में दोनों देशों की सेनाएं मानव रहित हवाई प्रणालियों के इस्तेमाल और इनसे निपटने के तरीकों समेत आधुनिक युद्ध का अभ्यास करेंगी.
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भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड फ्रंट पर जारी तनातनी के बीच एक बड़ी खबर सामने आ रही है. चीन में संपन्न हुए SCO समिट के बीच इंडिया-यूएसए ने अलास्का में अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है. ये इसलिए भी हैरान कर देने वाली है क्योंकि हाल के दिनों में अमेरिकी राष्ट्रपति के बयानों और नई दिल्ली के रुख ने एक तरह से द्विपक्षीय रिश्तों को होल्ड पर डाल दिया था. अलास्का वही शहर है जहां बीते दिनों ट्रंप और पुतिन के बीच यूक्रेन और रूस के बीच शांति और सीजफायर को लेकर वार्ता हुई थी.
इसके अलावा जल्द ही मालाबार नौसेना युद्धाभ्यास की भी योजना बनाई जा रही है जिसमें सभी क्वॉड देश हिस्सा लेंगे. दोनों देशों के बीच अलास्का में एक से 14 सितंबर के बीच सैन्य अभ्यास हो रहा है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
अमेरिका के लिए रवाना हुआ भारतीय सैन्य दल
‘युद्ध अभ्यास 2025’ में शामिल होने के लिए भारतीय सैन्य दल अमेरिका रवाना हो चुका है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक भारतीय सेना की एक टुकड़ी अमेरिका के अलास्का स्थित फोर्ट वेनराइट के लिए रवाना हुई है. यहां यह अभ्यास 1 से शुरू होकर 14 सितम्बर तक चलेगा.
मद्रास रेजीमेंट की एक बटालियन के चयनित सैनिक युद्धाभ्यास में होंगे शामिल
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘युद्ध अभ्यास 2025’ का यह 21वां संस्करण आयोजित किया जा रहा है. रक्षा मंत्रालय के अनुसार इस अभ्यास में शामिल भारतीय सैन्य दल में मद्रास रेजीमेंट की एक बटालियन से चयनित सैनिकों को रखा गया है.
अमेरिका की तरफ से आर्टिक वुल्व्स ब्रिगेड कॉम्बैट टीम शामिल होगी
वहीं, अमेरिकी सेना की ओर से आर्टिक वुल्व्स ब्रिगेड कॉम्बैट टीम की 11वीं एयरबॉर्न डिवीजन के फर्स्ट बटालियन, 5वीं वीं इन्फैंट्री रेजीमेंट “बॉबकैट्स” के जवान व अधिकारी भाग लेंगे. दो सप्ताह तक चलने वाले इस अभ्यास में सैनिक विभिन्न सामरिक युद्धाभ्यास और कौशलों का अभ्यास करेंगे. इनमें हेलीबोर्न ऑपरेशन, निगरानी संसाधनों एवं मानव रहित हवाई प्रणालियों का प्रयोग शामिल है. भारत-अमेरिकी संयुक्त युद्धाभ्यास में रॉक क्राफ्ट और पर्वतीय युद्ध कौशल व कैजुअल्टी इवैक्यूएशन एवं युद्धक्षेत्र चिकित्सा सहायता का अभ्यास भी किया जाएगा.
किन-किन हथियारों का होगा उपयोग, कौन-कौन होगा शामिल?
वहीं तोपखाना, विमानन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों का एकीकृत प्रयोग भी इस युद्धाभ्यास में शामिल किया गया है. इसके अतिरिक्त, दोनों सेनाओं के विशेषज्ञ अधिकारी संयुक्त कार्य समूहों के माध्यम से महत्त्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श करेंगे. इन विषयों में मानव रहित हवाई प्रणालियों और काउंटर-मानव रहित हवाई प्रणालियों के ऑपरेशन, सूचना युद्ध, संचार प्रणाली और रसद प्रबंधन प्रमुख हैं. इस अभ्यास का समापन संयुक्त रूप से योजनाबद्ध और क्रियान्वित सामरिक युद्धाभ्यासों के साथ होगा, जिनमें लाइव फायर अभ्यास, ऊंचाई वाले इलाकों में युद्ध परिदृश्य और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों की तैयारी पर विशेष जोर रहेगा.
क्या है युद्धाभ्यास का मकसद?
‘युद्ध अभ्यास 2025’ का मुख्य उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच पारस्परिक सहयोग, अंतर-संचालन क्षमता को मजबूत करना और बहु-क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने की तैयारी को और अधिक प्रभावी बनाना है. गौरतलब है कि मौजूदा समय में मिस्र में भी भारतीय एक अभ्यास कर रही है. यह एक बहुपक्षीय संयुक्त सैन्य अभ्यास है.
‘ब्राइट स्टार 2025’ नामक इस अभ्यास में विभिन्न देशों की सेनाएं भाग ले रही हैं, जिनमें भारतीय सैन्य दल भी शामिल हैं. ‘ब्राइट स्टार’ अभ्यास की शुरुआत वर्ष 1980 में मिस्र और अमेरिका द्वारा संयुक्त रूप से की गई थी. इसे पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका क्षेत्र का सबसे बड़ा त्रि-सेवा बहुपक्षीय अभ्यास माना जाता है.
आत्मनिर्भरता और नए विकल्पों की ओर बढ़ा रहा भारत
भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों को हाल ही में करारा झटका लगा है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने साफ कहा कि दोनों देशों के बीच विश्वास की नींव कमजोर हुई है. हालांकि 99 जीई-एफ4040 टर्बोफैन इंजन और 716 मिलियन डॉलर की तेजस मार्क-1ए फाइटर डील अब दो साल की देरी के बाद संभावित है, लेकिन भारत इससे संतुष्ट नहीं है. इसके अलावा 113 और जीई इंजन की करीब 1 अरब डॉलर की नई डील भी प्रस्तावित है.
बीते साल भारत ने अमेरिका से 3.8 बिलियन डॉलर की डील में 31 MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन खरीदने का समझौता किया था. ये हाई-ऐल्टीट्यूड, लॉन्ग एन्ड्योरेंस हथियारबंद ड्रोन 2029 से 2030 के बीच मिलने की उम्मीद है. कुल मिलाकर 2007 से अब तक भारत और अमेरिका के बीच करीब 25 अरब डॉलर के रक्षा सौदे हो चुके हैं.
इसके बावजूद मौजूदा हालात ने नई दिल्ली को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अमेरिका पर पूरी तरह निर्भर रहना अब जोखिम भरा है. यही वजह है कि भारत अब न केवल अन्य देशों के साथ मिलकर नए हथियार विकसित करने पर जोर दे रहा है, बल्कि घरेलू स्तर पर लड़ाकू विमान इंजन बनाने का काम भी शुरू कर चुका है.
भारत का फोकस साफ है, रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता, विकल्पों का विस्तार और रणनीतिक साझेदारी का नया ढांचा. यही कारण है कि बॉर्डर विवाद और तनाव के बावजूद भारत और चीन आपसी व्यापारिक संबंध मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं.
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वहीं आपको बता दें कि ये युद्धाभ्यास ऐसे समय में हो रहा है जब ट्रंप ने बीती रात भारत के रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदने पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि भारत रूस से भारी मात्रा में तेल और सैन्य उपकरण खरीदता है, जबकि अमेरिका से बहुत कम खरीदता है.
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