फिर बेनकाब हुई अल फलाह यूनिवर्सिटी, इंडियन मुजाहिदीन का आतंकी निकला पूर्व छात्र; खंगाले जा रहे पुराने रिकॉर्ड
दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए धमाके की जांच में अल फलाह यूनिवर्सिटी का नाम सामने आया है. NIA और अन्य एजेंसियों को पता चला कि यूनिवर्सिटी के पुराने रिकॉर्ड और कई छात्रों का संबंध आतंकी नेटवर्क से जुड़ा रहा है. इंडियन मुजाहिदीन के भगोड़े आतंकी मिर्ज़ा शादाब बैग ने भी यहां से बी.टेक किया था.
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Delhi Car Blast Case: दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए धमाके ने सुरक्षा एजेंसियों की जांच लगातार जारी है. घटना के बाद से राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NIA) समेत कई केंद्रीय एजेंसियां अलग-अलग एंगल से जांच को आगे बढ़ा रही हैं. शुरुआती सुरागों ने जांच को एक ऐसे रास्ते पर मोड़ा है, जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी. इस दिशा में सबसे बड़ा नाम सामने आया है फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी का. ये वही यूनिवर्सिटी जिसकी मान्यता को दिल्ली धमाके के बाद रद्द कर दिया गया है.
दरअसल, हाल ही में 'व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल' के खुलासे के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने यूनिवर्सिटी के पुराने रिकॉर्ड खंगालने शुरू कर दिए हैं. जांच में कई ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जिनसे साफ होता है कि विश्वविद्यालय का संपर्क आतंकी ऑपरेटिव्स से लंबे समय से रहा है. यह कड़ी जितनी गहरी है, उसके निशान उतने ही चिंताजनक भी हैं.
आतंकी का यूनिवर्सिटी से कनेक्शन
जांच के दौरान जब एजेंसियों को इंडियन मुजाहिदीन के कुख्यात आतंकी मिर्ज़ा शादाब बैग और इस यूनिवर्सिटी का सीधा संबंध मिला. बैग पर देश को दहला देने वाले जयपुर, अहमदाबाद, दिल्ली और गोरखपुर ब्लास्ट करवाने का आरोप है. यही नहीं, वह लंबे समय से फरार है और इंटरपोल द्वारा वांछित भी. जांच में सामने आया कि बैग ने 2007 में अल फलाह यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक्स और इंस्ट्रूमेंटेशन में बी.टेक पूरा किया था. यह जानकारी सामने आते ही एजेंसियों ने उसके कैंपस नेटवर्क और पुराने संपर्कों की गहराई से जांच शुरू की है. लेकिन यह पहली बार नहीं है जब इस यूनिवर्सिटी का नाम किसी आतंकी नेटवर्क से जुड़ा हो. दिल्ली ब्लास्ट केस में अल फलाह यूनिवर्सिटी के डॉक्टर्स की गिरफ्तारी ने पहले भी कई सवाल खड़े किए थे. तब भी यह आशंका जताई गई थी कि कहीं इस कैंपस का इस्तेमाल आतंकी संगठनों के लिए हब या रिक्रूटमेंट ज़ोन के रूप में तो नहीं हो रहा. ताजा धमाके के बाद यह शक अब और गहरा हो गया है.
खंगाले जा रहे पुराने रिकॉर्ड
एनआईए और संबंधित एजेंसियों ने बीते 10 से 15 सालों के एडमिशन डेटा, फैकल्टी प्रोफाइल, छात्र रिकॉर्ड और विदेशी कनेक्शनों की विस्तृत जांच शुरू की है. एजेंसियां समझने की कोशिश कर रही हैं कि क्या ये संपर्क सिर्फ पढ़ाई के दौरान बने रिश्तों की वजह से थे या इसके पीछे कोई संगठित मॉड्यूल काम कर रहा था. साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि यूनिवर्सिटी का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों की प्लानिंग, मीटिंग या नेटवर्किंग के लिए तो नहीं किया गया.
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बता दें कि फिलहाल जांच तेजी से आगे बढ़ रही है और सुरक्षा एजेंसियां किसी भी संभावित खतरे को रोकने के लिए पूरी तरह सतर्क हैं. लाल किला धमाका सिर्फ एक चेतावनी थी या किसी बड़ी साजिश की शुरुआत. इसका जवाब आने वाली जांच ही दे पाएगी. लेकिन इतना तय है कि अल फलाह यूनिवर्सिटी से निकल रहे ये चौंकाने वाले कनेक्शन आने वाले दिनों में कई नए खुलासों की नींव बन सकते हैं.
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