Akhilesh एक चाल से Yogi का खेल बिगाड़ने चले थे, शाह ने दिया करारा जवाब
उत्तर प्रदेश विधानसभा में महबूब अली को सपा ने अधिष्ठाता मंडल, कमाल अख्तर को मुख्य सचेतक और राकेश कुमार उर्फ आर के वर्मा को उपसचेतक की जिम्मेदारी दी है
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Akhilesh Yadav : यूपी बीजेपी में जो रस्साकशी चल रही थी, उसका फायदा Akhilesh Yadav उठाना चाहते है।अखिलेश को लगता है यूपी में जो उपचुनाव होने वाले है उसके लिए योगी ने तीस मंत्रियों की टीम उतारी है तो अखिलेश ने भी ब्राह्मण कार्ड खेलकर बीजेपी को झटका देने का काम किया है, दरअसल यूपी मे दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने है, और इन उपचुनावों में सबसे अहम रोल है अखिलेश यादव का, क्योंकि अखिलेश यादव संसद में पहुंच चुके है, और यूपी में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली हो चुका है, इस पद के लिए लंबे वक्त से चर्चा थी की अखिलेश इस पद पर चाचा शिवपाल को बैठा सकते है।
लेकिन अखिलेश यादव ने ऐसा नहीं किया बल्कि ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए माता प्रसाद पांडेय को नेता विपक्ष का पद दे दिया। चाचा शिवपाल का पत्ता काट दिया। यहां अखिलेश ने एक तीर से दो निशाने लगाए है, पहला तो परिवारवाद के आरोप से बचने की कोशिश की है, जो नाकाम है, और दुसरा ब्रह्मण कार्ड खेला है, क्योंकि स्वर्णों को बीजेपी का कोर वोटर बताया जाता है। लेकिन बीजेपी के इस वोटबैंक अखिलेश ने सेंधमारी की कोशिश की है। लेकिन कर नहीं पाएंगे। बल्कि उलटे चाचा का नाराजगी मोल ले ली।
तो चलिए आपको बाताते है कि क्यों अखिलेश मुंह की खाने वाले है। दरअसल अखिलेश ने दिमाग लगाया होगा, ब्रजेश पाठक नाराज है तो ब्रह्मम्ण वोटरों पर कब्जा किया जाए। लेकिन शाह पहले ही मुलायम सिंह के खास रहे मनोज पांडेय को बीजेपी में शामिल कर चुके है, और इसका मतलब ये है कि योगी आदित्यनाथ को कोई दिक्कत ना हो, मनोज पांडेय ब्राहम्णों के बड़े नेता माने जाते है तो अखिलेश का ये दांव तो उलटा पड़ गया। क्योंकि जो घाव अखिलेश आज देना चाहते है, उसका इलाज शाह पहले ही कर चुके है। और शाह का ये दांव अब अखिलेश के गले की फांस बनने वाला, और एक बार फांस बन चुका है, जब राज्यसभा के चुनाव में मनोज पांडेय ने क्रास वोटिंग कर बीजेपी के उम्मीदवार को जीत दिलवाई थी। तो अखिलेश जिस पटाखे से धमाका करना चाहते है, वो पहले से ही फुस्स हो चुका है।
अब यहा एक और बात समझने वाली है, और वो ये है कि उपचुनाव में अखिलेश इसलिए जी जान लगा देना चाहते है, जिससे योगी को कमजोर दिखाया जा सके।मतलब पहले लोकसभा चुनाव में यूपी के जो खराब नतीजे आए है, और उसके बाद जो आग लगी है अखिलेश उसमें घी डालना चाहते है, योगी को उपचुनाव भी हराना चाहते है।जिससे योगी को कमजोर दिखाया जा सके। लेकिन अखिलेश शायद ये भूल गए कि जो इंसान दिल्ली अपनी पार्टी के भीतर हो रहे विरोध के बीच चट्टान की तरह खड़े रहे,
उस नेता का वो क्या ही बिगाड़ पाएंगे। जिसे दिल्ली में बैठा बीजेपी आलाकमान हार का जिम्मेदार नहीं ठहरा पाया उसे अखिलेश क्या हिला पाएंगे। और फिर भी अगर अखिलेश को लगता है कि जो वोट लोकसभा चुनाव में मिला है वो अखिलेश से प्रभावित वोट है तो अखिलेश गलतफहमी है, और 2027 में ये गलतफहमी दूर भी हो जाएगी। खैर राजनिती है नेता अपने अपने दांव चलते है, कोई विरोधी को फंसा लेता है तो कोई खुद फंस जाता है। अब देखना होगा कि उपचुनाव की बाजी कौन मारता है, वैसे आपको क्या लगता है। अखिलेश योगी को टक्कर दे पाएंगे।
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