पहलगाम हमले के बाद सुरक्षाबलों की कार्रवाई से डरे आतंकी, अब ऊंची चोटियों पर बना रहे भूमिगत बंकर
पहलगाम हमले के बाद आतंकियों में भारतीय सेना को लेकर खौफ है. जिसके बाद डरे आतंकी अब ऊंची चोटियों पर बना रहे भूमिगत बंकर. वही आतंकियों में अब स्थानीय लोगों को लेकर भी डर है.
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पहलगाम आतंकी हमले के बाद सुरक्षाबल जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ व्यापक अभियान चला रहे हैं. सेना की लगातार कार्रवाई और स्थानीय लोगों का समर्थन कम होने से डरे आतंकी संगठनों ने अब नया षड्यंत्र रचा है. आतंकी अब स्थानीय लोगों के घरों में शरण लेने से बच रहे हैं और घने जंगलों व ऊंची चोटियों में भूमिगत बंकर बना रहे हैं.
जंगलों व ऊंची चोटियों में बंकर बना रहे है आतंकी
सुरक्षाबलों के लिए यह नई चुनौती तब सामने आई जब हाल ही में कुलगाम के ऊंचाई वाले इलाकों में हुई मुठभेड़ के दौरान दो आतंकी मारे गए. वहां से सुरक्षाबलों ने गुप्त खाई में राशन, छोटे गैस स्टोव, प्रेशर कुकर, हथियार और गोला-बारूद बरामद किया. एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यह चलन अब कुलगाम और शोपियां के साथ-साथ जम्मू के पीर पंजाल क्षेत्र में भी देखा जा रहा है, जहां के घने जंगल आतंकियों को छिपने का मौका दे रहे हैं.
सेना के लिए नई चुनौती
खुफिया एजेंसियों को जानकारी मिली है कि आतंकियों को सीमापार से निर्देश मिल रहे हैं कि वे ऊंची व मध्य पहाड़ियों में डेरा डालें और अवसर मिलने पर हमले करें. 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक का नेतृत्व कर चुके सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल डी.एस. हुड्डा ने कहा कि 1990 और 2000 के दशक में भी आतंकी इसी तरह की रणनीति अपनाते थे. हालांकि उन्हें विश्वास है कि सेना इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए अपनी रणनीति का पुनर्मूल्यांकन करेगी.
आतंकियों के खिलाफ सेना करेगी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल
अधिकारियों के अनुसार, सुरक्षा एजेंसियां अब आतंकवाद-रोधी अभियानों में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने की तैयारी में हैं. इसमें भू-भेदी रडार (GPR) से लैस ड्रोन और भूकंपीय सेंसर तैनात किए जाएंगे. ये तकनीकें भूमिगत बंकरों और जमीन में हुए बदलावों का पता लगाने में मदद करेंगी.
जनता ने अलगाववादी विचारधारा से फेरा मुंह
जम्मू-कश्मीर पुलिस में लंबे समय तक कार्यरत रहे और पुडुचेरी के सेवानिवृत्त डीजीपी बी. श्रीनिवास ने बताया कि आतंकी अब स्थानीय लोगों पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं. जनता ने अलगाववादी विचारधारा से मुंह मोड़ लिया है, जिसके चलते आतंकी उन्हें मुखबिर मानने लगे हैं. यही कारण है कि अब वे खाइयों और बंकरों में छिप रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह स्थिति 2003 के ‘ऑपरेशन सर्प विनाश’ जैसी है, जब पुंछ क्षेत्र में सुरक्षाबलों ने आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया था.
पहले भी सेना को मिले भूमिगत ठिकाने
सेना को पहले भी भूमिगत बंकरों और गुफाओं का सामना करना पड़ा है. 2020 से 2022 के बीच पुलवामा, कुलगाम और शोपियां में कई ऐसे ठिकाने मिले. रामबी आरा क्षेत्र में सुरक्षाबलों ने एक लोहे के बंकर का पता लगाया था, जहां आतंकी खाली तेल बैरल के छेद से अंदर-बाहर आते-जाते थे.
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इसके अलावा, बंदपोह क्षेत्र में भी सेब के बागों के बीच और ऊंचाई पर स्थित एक भूमिगत कमरा मिला था, जिसे आतंकी ठिकाने के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे.
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