एक देशभक्त परिवार, जिसका एक बेटा निकला खालिस्तानियों का बॉस, जानिए कौन है Jagjit SIngh
पीलीभीत में एख joint operation में तीन खालिस्तानी आतंकियों को मार गिराया था। ये तीनों KZF (Khalistan Jindabad Force) के गुर्गें थे। DGP ने बताया कि जांच में पता चला की हमले की योजना में जगजीत सिंह शामिल था। जो ब्रिटेन में रहता है। जानिए कौन है जगतीत सिंह

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कौन है जगजीत सिंह?
- दस साल पहले स्टूडेंट वीजा से यूके गया
- ईस्ट लंदन विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई की
- जगजीत सिंह ने ट्रेनिंग के बाद ब्रिटिश सेना का जॉइन किया
- ब्रिटिश आर्मी की फोर्थ बटालियन के द राइफल्स का हिस्सा बना
- जगजीत की जड़ें पंजाब के तरनतारन से जुड़ी हैं
- जगजीत की तैनाती अफगानिस्तान में भी रही
- परिवार के कई सदस्य भारतीय सेना में रहे
- जगजीत के दादा भारतीय सेना में कार्यरत थे
- जगजीत के पिता सूबेदार के पद से सेवानिवृत हुए
- जगजीत के भाई ने सिख रेजिमेंट में सेवा की
पुलिस सूत्रों की माने तो यह पहली बार है जब किसी भारत विरोधी व्यक्ति का कनेक्शन ब्रिटिश सेना से है। पंजाब DGP गौरव यादव ने इस पूरे मामले पर जानकारी दी और कहा कि:
"पंजाब में पाकिस्तान के ISI ऑपरेटिव के खिलाफ एक संयुक्त अभियान में, यूपी पुलिस और पंजाब पुलिस के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास से पीएस पूरनपुर, पीलीभीत के अधिकार क्षेत्र में KZF के तीन गुर्गों के साथ मुठभेड़ हुई। बरामदगी: दो AK राइफल और दो ग्लॉक पिस्तौल। तीन गुर्गे – वरिंदर सिंह (उर्फ रवि), गुरविंदर सिंह, और जसप्रीत सिंह (उर्फ प्रताप सिंह) – पीएस कलानौर के निवासी हैं और इन पर कलानौर के बख्शीवाला पुलिस स्टेशन पर हमला करने का आरोप है। इस मॉड्यूल को KZF के प्रमुख रणजीत सिंह नीता द्वारा नियंत्रित किया जाता है, और अगवान गांव के निवासी ग्रीस स्थित जसविंदर सिंह मन्नू द्वारा संचालित किया जाता है। इसका नियंत्रण यूके में रहने वाले और ब्रिटिश सेना में कार्यरत जगजीत सिंह द्वारा किया जाता है। जगजीत सिंह ने फतेह सिंह बग्गी की पहचान का इस्तेमाल किया। हमारे अंतरराज्यीय ऑपरेशन में यूपी पुलिस के उत्कृष्ट सहयोग के लिए मैं उनका धन्यवाद करता हूं।"
The Indian Express से बातचीत के दौरान एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ब्रिटिश अधिकारियों से यह पता लगाना बाकी है कि जगजीत अब भी सेना का हिस्सा है या नहीं। आमतौर पर ऐसी पूछताछ में विदेशी एजेंसियों से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिलती है, क्योंकि वे सरकारी प्रतिष्ठान में काम करने वाले अपने किसी नागरिक की संलिप्तता से इनकार करते हैं।
हालांकि, अभी कई बातें खुलासा होना बाकी हैं और जांच जारी है। लेकिन अगर एक ऐसा परिवार, जिनके पूर्वजों और वर्तमान पीढ़ी ने भारत के लिए जीवन समर्पित किया हो, का एक सदस्य देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त पाया जाए, तो यह पूरे परिवार पर सवाल खड़ा करता है।