2025 में होने जा रहा बड़ा खेल, हो गया तगड़ा ऐलान
2024 के ख़त्म होने में अब सिर्फ़ दो ही दिन का वक़्त बचा है…और ऐसे में देश में कई ऐसे हुए कामों को याद किया जा रहा है जिन्होंने देश की राजनीति को बदला…जो देश में रह रहे लोगों की मांग थी…ऐसे में देवभूमि उत्तराखंड में हुए ऐतिहासिक फ़ैसले को कैसे याद नहीं किया जाएगा…इसी साल उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने की राह पर चलने के लिए निकल पड़ा
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2024 के ख़त्म होने में अब सिर्फ़ दो ही दिन का वक़्त बचा है। और ऐसे में देश में कई ऐसे हुए कामों को याद किया जा रहा है जिन्होंने देश की राजनीति को बदला। जो देश में रह रहे लोगों की मांग थी। ऐसे में देवभूमि उत्तराखंड में हुए ऐतिहासिक फ़ैसले को कैसे याद नहीं किया जाएगा। इसी साल उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने की राह पर चलने के लिए निकल पड़ा उत्तराखंड सरकार ने 27 मई, 2022 को समान नागरिक संहिता की संभावनाएं तलाश कर इसे तैयार करने के लिए और नागरिकों के सभी निजी मामलों से जुड़े कानूनों की जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी बनाई थी। जिसके बाद इस क़ानून को जनवरी से लागू किया जाएगा इस बात की जानकारी ख़ुद सीएम धामी ने दी थी।
देवभूमि उत्तराखंड को नई विकास की राह पर ले जा रहे सीएम धामी नई सोच, नए जोश और नए विज़न के साथ राज्य की कामना संभाले हुए हैं। उत्तराखंड के विकास का डंका सिर्फ़ देश ही नहीं विदेश में बजने लगा है। चारधाम की सुविधाओं से लैस यात्रा हो या पहाड़ पर बसे लोगों को उनका हक़ दिलाना सीएम धामी की सरकार निरंतर इस काम में लगे हुए हैं। 2024 में पूरे हुए वादों में से एक सबसे बड़े वादे का ज़िक्र करते हुए सीएम धामी ने x पर पोस्ट करते हुए कहा
"उत्तराखण्ड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला प्रदेश बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है। यह निर्णय न केवल देश के संवैधानिक मूल्यों को सुदृढ़ करेगा अपितु आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के विजन के अनुरूप "एक भारत, श्रेष्ठ भारत" के सपने को साकार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा"
मुख्यमंत्री धामी ने शुरू से ही कहा कि उत्तराखंड का समान नागरिक संहिता अधिनियम 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' की मूल भावना का पालन करते हुए समाज को नई देगा। अब आसान भाषा में UCC को समझे तो यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू होने से सभी तरह के पर्सनल लॉ ख़त्म हो जाएँगे और सभी धर्मों, समुदायों के लिए समान क़ानून हो जाएगा। यानी भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए निजी मामलों में भी एक जैसा क़ानून हो जाएगा, चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय का हो।
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