राफेल की जासूसी कर रहे चीन के 4 नागरिक गिरफ्तार, भारत के मित्र देश में बड़ी साजिश बेनकाब
ग्रीस के तंगरा शहर में चार चीनी नागरिकों को राफेल जेट्स और हेलेनिक एयरोस्पेस इंडस्ट्री की सैन्य सुविधाओं की संदिग्ध फोटो खींचते हुए गिरफ्तार किया गया. तीन पुरुष और एक महिला लगातार सैन्य क्षेत्र के आसपास मंडरा रहे थे और सुरक्षाकर्मियों की चेतावनी के बावजूद फोटो लेते रहे. कैमरे से मिली संवेदनशील तस्वीरों के बाद जांच एजेंसियां इसे एक गहरे खुफिया मिशन का हिस्सा मान रही हैं.
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ग्रीस के तंगरा शहर में हाल ही में एक ऐसी घटना हुई जिसने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा हलकों में हलचल मचा दी है. यहां चार चीनी नागरिकों को हेलेनिक एयर फोर्स पुलिस ने उस वक्त गिरफ्तार किया जब वे राफेल फाइटर जेट्स और हेलेनिक एयरोस्पेस इंडस्ट्री (HAI) की सैन्य सुविधाओं की तस्वीरें खींच रहे थे. गिरफ्तार किए गए लोगों में तीन पुरुष और एक महिला शामिल हैं.
गिरफ्तार किए गए लोगों से शुरुआती पूछताछ में पता चला कि ये लोग बार-बार सैन्य क्षेत्र के आसपास मंडरा रहे थे और जब लेनिक एयरोस्पेस इंडस्ट्री के सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोकना चाहा, तो ये पास की पुलिया पर जाकर वहां से भी फोटो खींचते रहे. इन्हें संदेहास्पद गतिविधियों के चलते हिरासत में लिया गया और जब पुलिस ने इनके कैमरों की जांच की, तो उनमें दर्जनों ऐसी तस्वीरें मिलीं जो संवेदनशील मानी जाती हैं. जांच एजेंसियों का मानना है कि यह कोई साधारण घटना नहीं, बल्कि किसी गहरे खुफिया अभियान का हिस्सा हो सकती है.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन की बौखलाहट
फ्रांस ने इस घटना के बाद एक बड़ा दावा किया है. उनका कहना है कि चीन राफेल की साख को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमजोर करने की योजना पर काम कर रहा है. दरअसल, मई में भारत द्वारा अंजाम दिए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद राफेल फाइटर जेट्स की ताकत एक बार फिर दुनिया के सामने आई थी. इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने राफेल जेट्स की मदद से पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को बेहद सटीकता से निशाना बनाया था. इस कामयाबी ने राफेल को वैश्विक रक्षा बाजार में और मजबूत किया. लेकिन चीन को यह रास नहीं आया. फ्रांस के मुताबिक, चीन ने कूटनीतिक स्तर पर कई देशों को राफेल न खरीदने की सलाह दी और अपने बनाए हुए चीनी फाइटर जेट्स को विकल्प के रूप में पेश करने की कोशिश की. ऐसे में ग्रीस में चीनी नागरिकों द्वारा राफेल जेट्स की जासूसी करना इसी व्यापक साजिश का हिस्सा माना जा रहा है.
भारत और ग्रीस के बीच गहराता सैन्य सहयोग
इस पूरे मामले को भारत की नजर से देखा जाए तो यह और भी गंभीर हो जाता है. भारत और ग्रीस के बीच हाल के वर्षों में सैन्य संबंधों में मजबूती आई है. दोनों देशों ने कई संयुक्त सैन्य अभ्यासों में हिस्सा लिया है, जिनमें तरंग शक्ति 2024 और इनिओकॉस 25 जैसे अभ्यास शामिल हैं. इन संयुक्त ऑपरेशनों में भारत के राफेल और सुखोई-30 एमकेआई जेट्स ने ग्रीस की सेनाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उड़ान भरी. ग्रीस के तंगरा एयरबेस को राफेल का एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है, और वहां की गतिविधियां भारत के लिए भी रणनीतिक महत्व रखती हैं. यही वजह है कि ग्रीस में हुई यह जासूसी घटना भारत के लिए भी एक चेतावनी है.
क्या है राफेल जेट की असली ताकत?
राफेल एक बहु-भूमिका निभाने वाला फ्रांसीसी फाइटर जेट है जिसे Dassault Aviation ने बनाया है. भारत ने 2016 में फ्रांस से 36 राफेल जेट्स का सौदा किया था, जो 2020 से भारतीय वायुसेना का हिस्सा हैं. राफेल की गति लगभग 2,223 किलोमीटर प्रति घंटा है और यह हवा से हवा, हवा से ज़मीन और समुद्री लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम है. इसमें अत्याधुनिक रडार, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, लंबी दूरी की मिसाइलें और बम लगे होते हैं. ऑपरेशन सिंदूर में इसकी सटीकता और ताकत ने यह साबित कर दिया कि यह विमान भारत की रक्षा व्यवस्था की रीढ़ है. और यही वजह है कि चीन इसे कमजोर करने या इसकी तकनीक चुराने की कोशिश कर सकता है.
भारत के लिए सबक
यह घटना भारत के लिए कई मायनों में चिंताजनक है. एक ओर यह हमारी वायुसेना की सबसे भरोसेमंद संपत्ति राफेल को लेकर सुरक्षा के गंभीर सवाल खड़े करती है. दूसरी ओर, यह भारत-ग्रीस सैन्य सहयोग को और मजबूत करने की आवश्यकता भी बताती है. अगर चीन राफेल की तकनीक या उसकी रणनीतिक कमज़ोरियों को समझने में कामयाब हो जाता है, तो यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हो सकता है. ऐसे में भारत को अपने काउंटर-इंटेलिजेंस नेटवर्क को और मजबूत करना होगा, साथ ही अंतरराष्ट्रीय रक्षा साझेदारों के साथ और अधिक सामंजस्य बनाना होगा.
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बताते चलें कि ग्रीस ने इस मामले को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ते हुए जांच तेज कर दी है. अब यह स्पष्ट होता जा रहा है कि यह सिर्फ एक फोटोग्राफी का मामला नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर चल रही तकनीकी जासूसी का हिस्सा है. चीन की यह हरकत सिर्फ ग्रीस या फ्रांस ही नहीं, बल्कि भारत के लिए भी एक चेतावनी है कि अगली लड़ाई सिर्फ युद्ध के मैदान में नहीं, तकनीकी और खुफिया मोर्चे पर भी लड़ी जाएगी.
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