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'एक देश-एक चुनाव' पर बनी 39 सदस्यीय जेपीसी का हुआ गठन, जानिए कौन बना इसका अध्यक्ष

गुरुवार को जेपीसी के स्वरूप में बदलाव करते हुए इनमे शामिल सदसुओं की संख्या में इज़ाफ़ा किया गया है। अब इस कमेटी में 31 की जगह 39 सदस्य होंगे। इनमें से लोकसभा से 27 और राज्यसभा से 12 सदस्य होंगे।

20 Dec, 2024
( Updated: 05 Dec, 2025
09:28 PM )
'एक देश-एक चुनाव' पर बनी 39 सदस्यीय जेपीसी का हुआ गठन, जानिए कौन बना इसका अध्यक्ष
देश में एक देश एक चुनाव पर आम सहमति के इस बिल को सदन में पेश करने के बाद  ज्वॉइंट पार्लियामेंट कमेटी (JPC) में भेज दिया गया था। गुरुवार को जेपीसी के स्वरूप में बदलाव करते हुए इनमे शामिल सदसुओं की संख्या में इज़ाफ़ा किया गया है। अब इस कमेटी में 31 की जगह 39 सदस्य होंगे। इनमें से लोकसभा से 27 और राज्यसभा से 12 सदस्य होंगे। इससे पहले जब जेपीसी के एलान किया था तब JPC के लिए लोकसभा से 21 और राज्यसभा से 10 सदस्यों का प्रावधान किया गया था। इसमें भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सांसद भर्तृहरि महताब को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। 


संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने गुरुवार रात जेपीसी के गठन की घोषणा की। इसमें लोकसभा के 27 जबकि राज्यसभा के 12 सदस्य शामिल हैं। जेपीसी में लोकसभा से भर्तृहरि महताब, पीपी. चौधरी, सीएम रमेश, बांसुरी स्वराज, परषोत्तमभाई रूपाला, अनुराग सिंह ठाकुर, विष्णु दयाल राम, संबित पात्रा, अनिल बलूनी, विष्णु दत्त शर्मा, बैजयंत पांडा, संजय जायसवाल, प्रियंका गांधी वाड्रा, मनीष तिवारी, सुखदेव भगत, धर्मेंद्र यादव, छोटेलाल, कल्याण बनर्जी, टी.एम. सेवा गणपति, हरीश बालयोगी, अनिल यशवंत देसाई, सुप्रिया सुले, श्रीकांत एकनाथ शिंदे, सांभवी, के. राधाकृष्णन, चंदन चौहान और बालशौरि वल्लभनेनी को शामिल किया गया है।वहीं राज्यसभा से 12 सदस्यों होंगे।


ग़ौरतलब है कि  केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद मंगलवार को लोकसभा में 129वें संविधान (संशोधन) विधेयक को पेश किया गया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस विधेयक को पटल पर रखा, जिसका विपक्ष ने जमकर विरोध किया। इसके बाद मोदी सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज दिया। सरकार की सिफारिश पर जेपीसी का गठन हो गया। बताते चले कि  संसद में जेपीसी तब बनाया जाता है। जब कोई भी बिल या मुद्दे पर आम सहमति बनानी होती है, तब इसका गठन किया जाता है। इस कमेटी में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के सांसद होते है। जो बिल पर गहन चर्चा और जांच कर रिपोर्ट तैयार करते है। जिसे सरकार के पास भेजा जाता है। 

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