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जून में ही क्यों मनाते हैं LGBTQIA+ प्राइड मंथ? जानें स्टोनवॉल दंगों से जुड़ा इसका इतिहास

प्राइड मंथ एक ऐसा समय है जब LGBTQIA+ समुदाय और उनके सहयोगी अपनी पहचान का सम्मान करते हैं, समाज में अपनी उपस्थिति का जश्न मनाते हैं, और समानता व न्याय के लिए अपनी आवाज़ बुलंद करते हैं. यह केवल एक celebration नहीं है, बल्कि उन ऐतिहासिक संघर्षों और बलिदानों को याद करने का भी अवसर है जो LGBTQIA+ अधिकारों की लड़ाई में किए गए हैं.

10 Jun, 2025
( Updated: 04 Dec, 2025
09:17 PM )
जून में ही क्यों मनाते हैं LGBTQIA+ प्राइड मंथ? जानें स्टोनवॉल दंगों से जुड़ा इसका इतिहास

हर साल जून का महीना दुनिया भर में इंद्रधनुषी रंगों में रंग जाता है, क्योंकि इस दौरान LGBTQIA+ प्राइड मंथ (Pride Month) मनाया जाता है. यह महीना समलैंगिक (Gay), लेस्बियन (Lesbian), बाईसेक्सुअल (Bisexual), ट्रांसजेंडर (Transgender), क्वीर (Queer), इंटरसेक्स (Intersex), एसेक्शुअल (Asexual) और अन्य लैंगिक व यौन पहचान वाले लोगों के अधिकारों, उनकी विविधता और उनके संघर्षों का उत्सव है. दुनियाभर में इस दौरान प्राइड परेड, रैलियां, कार्यशालाएं और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि प्राइड मंथ जून में ही क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे एक गहरा ऐतिहासिक कारण और महत्व छिपा है.

प्राइड मंथ क्या है?

प्राइड मंथ एक ऐसा समय है जब LGBTQIA+ समुदाय और उनके सहयोगी अपनी पहचान का सम्मान करते हैं, समाज में अपनी उपस्थिति का जश्न मनाते हैं, और समानता व न्याय के लिए अपनी आवाज़ बुलंद करते हैं. यह केवल एक celebration नहीं है, बल्कि उन ऐतिहासिक संघर्षों और बलिदानों को याद करने का भी अवसर है जो LGBTQIA+ अधिकारों की लड़ाई में किए गए हैं.

जून महीने का ऐतिहासिक संबंध: स्टोनवॉल दंगे (Stonewall Riots)

प्राइड मंथ के लिए जून महीने को चुनने के पीछे का मुख्य कारण 1969 के स्टोनवॉल दंगे हैं, जो आधुनिक LGBTQIA+ अधिकार आंदोलन के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुए. 20वीं सदी के मध्य में, अमेरिका सहित दुनिया के कई हिस्सों में LGBTQIA+ लोगों को भारी भेदभाव, उत्पीड़न और कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता था. समलैंगिक संबंध अवैध थे, और गे बार्स व क्लब्स पर पुलिस के छापे आम बात थी. इन छापों का उद्देश्य समुदाय को भयभीत करना और उन्हें सार्वजनिक जीवन से दूर रखना था. 

28 जून 1969 को क्या हुआ?

28 जून 1969, न्यूयॉर्क शहर के ग्रीनविच विलेज में स्थित स्टोनवॉल इन, जो एक लोकप्रिय गे बार था, उसपर पुलिस ने छापा मारा. आमतौर पर ऐसे छापों के दौरान लोग चुपचाप गिरफ्तारी स्वीकार कर लेते थे, लेकिन उस दिन ऐसा नहीं हुआ. बार में मौजूद लोग, जिनमें कई ट्रांसजेंडर महिलाएँ और अन्य हाशिए पर पड़े सदस्य शामिल थे, उन्होंने पुलिस के अन्यायपूर्ण व्यवहार के खिलाफ आवाज़ उठाई और विरोध करना शुरू कर दिया. यह विरोध जल्द ही एक बड़े दंगे में बदल गया, जो कई दिनों तक चला और पूरे न्यूयॉर्क शहर में फैल गया. स्टोनवॉल दंगे LGBTQIA+ समुदाय की एकजुटता, आत्म-सम्मान और अपने अधिकारों के लिए लड़ने की इच्छा का प्रतीक बन गए.

स्टोनवॉल दंगों की पहली बरसी मनाने के लिए, 1970 में न्यूयॉर्क शहर में पहला 'गे प्राइड मार्च' आयोजित किया गया था. धीरे-धीरे, यह परंपरा दुनिया के अन्य शहरों में फैल गई, और जून का महीना LGBTQIA+ समुदाय के गौरव और समानता के लिए उनकी लड़ाई का प्रतीक बन गया.

स्टोनवॉल दंगों की पहली बरसी मनाने के लिए, 1970 में न्यूयॉर्क शहर में पहला 'गे प्राइड मार्च' आयोजित किया गया था. धीरे-धीरे, यह परंपरा दुनिया के अन्य शहरों में फैल गई, और जून का महीना LGBTQIA+ समुदाय के गौरव और समानता के लिए उनकी लड़ाई का प्रतीक बन गया.

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यह सिर्फ़ विरोध प्रदर्शन नहीं है, बल्कि समुदाय के भीतर खुशी, एकजुटता और प्रेम का उत्सव है. यह एक ऐसा समय है जब LGBTQIA+ लोग अपनी साझा पहचान का जश्न मनाते हैं.

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