अब सिर्फ 2-3 मिनट में जुड़ जाएगी टूटी हुई हड्डी, चीन ने बनाया दुनिया का पहला 'बोन ग्लू', जानें वैज्ञानिकों ने क्या बताया
एक बार फिर अपनी क्रांतिकारी खोज से चीन ने सबको हैरत में डाल दिया है. चीन ने हड्डी जोड़ने के लिए एक विशेष ग्लू का आविष्कार किया है. दुनिया का पहला 'बोन ग्लू' नामक यह पदार्थ टूटी हड्डियों को सिर्फ 2–3 मिनट में जोड़ देता है. जानिए इसकी खासियत
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अपनी बेहतरीन विज्ञान और तकनीक से चीन ने हमेशा पूरे विश्व को हैरान किया है. चीन की यह नई खोज उसे मानो 2050 की दुनिया में पहुंचा चुकी है. अब एक बार फिर अपनी क्रांतिकारी खोज से चीन ने सबको हैरत में डाल दिया है. चीन ने हड्डी जोड़ने के लिए एक विशेष ग्लू का आविष्कार किया है. दुनिया का पहला 'बोन ग्लू' नामक यह पदार्थ टूटी हड्डियों को सिर्फ 2–3 मिनट में जोड़ देता है. यह सामग्री सीपों से प्रेरित है और पूरी तरह बायोडिग्रेडेबल है, यानी छह महीने में शरीर में घुल जाती है. इसके इस्तेमाल से मेटल इम्प्लांट की जरूरत नहीं पड़ेगी.
दुनिया का पहला “बोन ग्लू”
चीन के वैज्ञानिकों ने हड्डी जोड़ने की तकनीक में एक क्रांतिकारी खोज की है. ज़ेजियांग विश्वविद्यालय की टीम ने “Bone 02” नामक एक विशेष बायोमैटेरियल विकसित किया है, जिसे दुनिया का पहला “बोन ग्लू” बताया जा रहा है. दावा किया जा रहा है कि यह टूटी हुई हड्डियों को मात्र 2–3 मिनट में जोड़ देता है. यह तकनीक जटिल फ्रैक्चर, खासकर तब जब हड्डी कई टुकड़ों में टूट जाती है (comminuted fractures), में बेहद उपयोगी साबित हो सकती है.
क्या है बोन ग्लू?
बोन ग्लू, जिसे चीन के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है. ‘बोन 02’ नामक यह बायोमैटेरियल टूटी हुई हड्डियों को बेहद तेजी से जोड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसकी प्रेरणा वैज्ञानिकों ने समुद्र में चट्टानों से मजबूती से चिपकने वाले सीपों से ली है. डॉ. लिन जियानफेंग ने देखा कि तेज लहरों और धाराओं के बावजूद सीप अपनी जगह से नहीं हिलते. इसी विचार से यह तकनीक विकसित की गई, ताकि खून से भरे ऑपरेशन थिएटर के माहौल में भी हड्डियां मजबूती से जोड़ी जा सकें.
यह बोन ग्लू 200 किलो से अधिक की चिपकने की क्षमता रखता है. सर्जरी के दौरान इसे लगाने पर टूटी हड्डियां महज 2–3 मिनट में जुड़ जाती हैं. पारंपरिक तरीकों में मेटल के इम्प्लांट लगाने पड़ते हैं, जिन्हें हटाने के लिए दूसरी सर्जरी करनी पड़ती है. लेकिन बोन ग्लू की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह छह महीने में खुद ही घुल जाता है, जब तक हड्डी पूरी तरह ठीक हो चुकी होती है. इस तरह यह न केवल समय बचाता है, बल्कि मरीज को दूसरी सर्जरी के दर्द और खर्च से भी राहत दिलाता है.
छह महीने में प्राकृतिक रूप से शरीर में घुल जाएगा ग्लू
इस “बोन ग्लू” का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह शरीर में छह महीने में प्राकृतिक रूप से घुल जाता है, जिससे मेटल प्लेट्स या स्क्रू की आवश्यकता कम हो सकती है. इसकी मदद से ऑपरेशन का समय घट सकता है और मरीज की रिकवरी भी तेज हो सकती है. शुरुआती परीक्षणों में इसे कलाई जैसे जटिल फ्रैक्चर पर आजमाया गया, जहां सिर्फ छोटे चीरे के जरिए इसे लगाया गया और तीन महीने में हड्डी का सफलतापूर्वक जुड़ाव देखा गया.
Chinese researchers on Tuesday unveiled their self-developed world's first “bone glue” material capable of securely bonding fractured bone fragments within 2-3 minutes in a blood-rich environment.
— China Science (@ChinaScience) September 10, 2025
Inspired by oysters, this new biomaterial, with a maximum adhesion strength of over… pic.twitter.com/7ozvRrQBP0
क्या कहते है वैज्ञानिक
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि अभी यह तकनीक बड़े पैमाने पर मानव परीक्षणों और क्लिनिकल ट्रायल के चरण में है. “2–3 मिनट में हड्डी जोड़ने” का दावा काफी बड़ा है, इसलिए इसकी सुरक्षा, मजबूती, संक्रमण के खतरे और लंबे समय तक असर को लेकर और शोध जरूरी है. यदि यह तकनीक सभी मानकों पर खरी उतरती है और नियामक स्वीकृति मिलती है, तो आने वाले वर्षों में यह हड्डी की सर्जरी में क्रांति ला सकती है और इलाज को सस्ता व तेज बना सकती है.
चीन के वेंजोउ में डॉ. लिन की टीम ने इसे विकसित किया. अब तक 150 से ज्यादा मरीजों पर टेस्ट हो चुका है, और सभी सुरक्षित और प्रभावी पाए गए. यह हड्डियों के टूटने, फ्रैक्चर और ऑर्थोपेडिक सर्जरी में क्रांति लाएगा. पारंपरिक इम्प्लांट से बचाव होगा. सर्जरी का समय कम होगा.
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