डॉक्टरों की सलाह- स्वाद नहीं... स्वास्थ्य को दें प्राथमिकता, संतुलित आहार और सही जीवनशैली से मिलेगा लंबा फायदा
National Nutrition Week 2025 : क्या आप जानते हैं? आज का स्वादिष्ट लेकिन अस्वास्थ्यकर भोजन आने वाले कल की गंभीर बीमारियों की जड़ बन रहा है. राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 2025 पर डॉक्टरों ने चेतावनी दी है, अगर हमने अभी से खानपान और जीवनशैली पर ध्यान नहीं दिया, तो आने वाली पीढ़ियों को मोटापा, डायबिटीज और कमजोर इम्यूनिटी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ सकता है.
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राष्ट्रीय पोषण सप्ताह हर साल 1 से 7 सितंबर तक देशभर में मनाया जाता है. इस सप्ताह का मुख्य उद्देश्य लोगों को संतुलित आहार और सही खानपान के महत्व के बारे में जागरूक करना है. डॉक्टरों और न्यूट्रिशनिस्ट का कहना है कि आधुनिक जीवनशैली में लोग स्वादिष्ट लेकिन अस्वास्थ्यकर भोजन को प्राथमिकता देने लगे हैं, जो आगे चलकर गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है.
क्यों जरूरी है राष्ट्रीय पोषण सप्ताह?
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह की शुरुआत 1982 में भारत सरकार ने की थी. तब से हर साल यह सप्ताह लोगों को यह समझाने के लिए मनाया जाता है कि अच्छा पोषण ही अच्छे स्वास्थ्य की नींव है. आज के समय में जब मोटापा, डायबिटीज और हार्ट डिजीज तेजी से बढ़ रही हैं, तब सही पोषण का महत्व और भी ज्यादा हो जाता है.
बदलते खानपान से बिगड़ रही सेहत
डॉक्टरों का कहना है कि पहले के समय में लोग घर का बना संतुलित भोजन खाते थे जिसमें दाल, सब्जी, रोटी और दही जैसी चीजें शामिल होती थीं. लेकिन आज के समय में फास्ट फूड, पैक्ड स्नैक्स, तली-भुनी चीजें और मीठे ड्रिंक्स ने लोगों की थाली में जगह बना ली है.
- बढ़ती बीमारियां: इस असंतुलित खानपान से मोटापा, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं.
- कमजोर इम्यूनिटी: पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फूड में पोषण की कमी होती है, जिससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है.
- मानसिक स्वास्थ्य पर असर: खराब डाइट से केवल शरीर नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है.
संतुलित आहार कैसा होना चाहिए?
डॉक्टरों और पोषण विशेषज्ञों के मुताबिक संतुलित आहार में सभी जरूरी पोषक तत्व शामिल होने चाहिए. इसमें:
- फल और सब्जियां: विटामिन, मिनरल और फाइबर के लिए जरूरी.
- अनाज और दालें: कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन का स्रोत.
- दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स: कैल्शियम और प्रोटीन के लिए लाभकारी.
- प्रोटीन युक्त भोजन: अंडा, मछली, मांस और सोया जैसी चीजें.
- हेल्दी फैट्स: नट्स, बीज और ओलिव ऑयल जैसी चीजें.
साथ ही, तैलीय भोजन, अधिक नमक-चीनी वाले पदार्थ और सॉफ्ट ड्रिंक्स से बचने की सलाह दी गई है.
बच्चों और युवाओं पर पोषण की कमी का असर
डॉक्टरों ने इस बात पर जोर दिया है कि बच्चों और युवाओं को सबसे ज्यादा पोषण की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसी उम्र में शरीर और दिमाग तेजी से विकसित होते हैं. अगर इस समय सही आहार नहीं मिलता, तो एनीमिया, मोटापा और कमजोर इम्यूनिटी जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं.
जीवनशैली में बदलाव भी जरूरी
सिर्फ अच्छा आहार ही नहीं, बल्कि अच्छी जीवनशैली भी स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है. विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि लोग:
- रोज कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें.
- पर्याप्त नींद लें.
- तनाव कम करें.
- मोबाइल और स्क्रीन का इस्तेमाल कम करें.
इन आदतों को अपनाने से लंबे समय तक शरीर स्वस्थ रह सकता है.
सरकार और सामाजिक संस्थाओं की पहल
भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारें राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के दौरान जनजागरूकता अभियान चलाती हैं. स्कूलों में बच्चों को संतुलित आहार के महत्व के बारे में बताया जाता है, महिलाओं के लिए स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जाते हैं और आम जनता को एनीमिया और कुपोषण से बचने के उपाय बताए जाते हैं.
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह हमें यह याद दिलाता है कि स्वाद से ज्यादा स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी है. अगर हम आज से ही अपनी थाली में संतुलित और पौष्टिक भोजन शामिल कर लें, तो भविष्य में कई गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं. सही खानपान और स्वस्थ जीवनशैली ही लंबी और स्वस्थ जिंदगी की कुंजी है.
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