दिल को रखे स्वस्थ, पाचन को करे दुरुस्त, सिर्फ आम मसाला नहीं, जीवन रक्षक है हल्दी
हल्दी को लौंगा, कुरकुमा, और गौरी वट्ट विलासनी के नाम से भी जाना जाता है. खास बात ये है कि खाने और सेहत के अलावा धर्म से भी हल्दी का गहरा नाता है. चाहे पूजा हो या कोई भी मंगलकार्य, हल्दी हर जगह अपनी भागीदारी निभाती है.
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हल्दी सिर्फ मसाला ही नहीं, बल्कि जीवन रक्षक औषधि है. आयुर्वेद में हल्दी को 'हरिद्रा' और पीला सोना कहा जाता है. अदरक नुमा छोटी सी गांठ के रूप में पाई जाने वाली हल्दी को अलग-अलग जगहों पर विभिन्न नामों से जाना जाता है.
हल्दी हर जगह अपनी भागीदारी निभाती है
'हरिद्रा' के अलावा हल्दी को लौंगा, कुरकुमा, और गौरी वट्ट विलासनी के नाम से भी जाना जाता है. खास बात ये है कि खाने और सेहत के अलावा धर्म से भी हल्दी का गहरा नाता है. चाहे पूजा हो या कोई भी मंगलकार्य, हल्दी हर जगह अपनी भागीदारी निभाती है.
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाए
हल्दी में करक्यूमिन, करक्यूमिनोइड्स, तेल, आयरन, पानी और वसा भी होती है. हल्दी में करक्यूमिन हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है. करक्यूमिन ही हल्दी को उसका सुनहरा रंग देता है और कई रोगों से लड़ने की शक्ति देता है. करक्यूमिन एक तरह का एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.
दिल के लिए भी हल्दी फायदेमंद
इतना ही नहीं हल्दी कैंसर जैसे रोगों से लड़ने में सहायक है. इसके अलावा शरीर में किसी तरह की सूजन या गठिया की परेशानी को भी हल्दी कम करने में मदद करती है. स्किन और दिल के लिए भी हल्दी फायदेमंद होती है.
कफ और वात को करती कम
आयुर्वेद में भी हल्दी को गुणों का खजाना माना गया है. हल्दी शरीर के तीनों दोषों को संतुलित करती है, कफ प्रवृत्ति और वात को कम करती है.
पाचन को करे दुरुस्त
इसके अलावा सदियों से हल्दी का इस्तेमाल घावों को ठीक करने में होता रहा है क्योंकि हल्दी घाव को भरने के साथ-साथ घाव के संक्रमण को भी कम करती है और पाचन को दुरुस्त करती है.
हल्दी को इस्तेमाल करने की विधि
आयुर्वेद में हल्दी के गुणों के साथ उनके इस्तेमाल की विधि भी बताई गई है. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए और सर्दी से बचने के लिए हल्दी और शहद का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके लिए आधा चम्मच हल्दी को एक चम्मच शहद के साथ लें, इससे गला और कफ भी साफ होगा. हल्दी का काढ़ा कई संक्रमित करने वाले रोगों से निजात दिलाने में सहायक है.
बुखार और गले में होने वाली दिक्कतों से बचाए
हल्दी के साथ अदरक, तुलसी, शहद और काली मिर्च का काढ़ा जुकाम, बुखार और गले में होने वाली दिक्कतों से बचाता है और शरीर को शक्ति प्रदान करता है.
सूजन और अंदरुनी घावों के लिए असरदार
हमेशा हमारे बुजुर्गों ने कहा कि हल्दी वाला दूध जरूर पीना चाहिए. हल्दी वाला दूध शरीर को अंदर से गर्म करता है, शरीर के अंदर की सूजन को कम करने में मदद करता है और अंदरुनी घावों को भरने में मदद करता है. इसके लिए रात के समय दूध में आधा चम्मच हल्दी को उबालकर लें. इसके अलावा हल्दी का लेप घावों को ठीक करता है और सौंदर्य को भी बढ़ाता है.
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Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान और जागरूकता के उद्देश्य से है. प्रत्येक व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और आवश्यकताएं अलग-अलग हो सकती हैं. इसलिए, इन टिप्स को फॉलो करने से पहले अपने डॉक्टर या किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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