Advertisement

सावन के महीने में मांस के अलावा दूध-दही से भी बनाएं दूरी, जानिए इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण

इस वर्ष 11 जुलाई से श्रावण मास शुरू हो रहा है. कहते हैं कि इस मास में कुछ चीजें वर्जित हैं. उसका धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक कारण भी होता है. तो चलिए जाते हैं कि आपको सावन में किन-किन चीजों से दूर रहना चाहिए?

01 Jul, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
03:59 AM )
सावन के महीने में मांस के अलावा दूध-दही से भी बनाएं दूरी, जानिए इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण

भोलेनाथ का प्रिय मास श्रावण माना जाता है. इस वर्ष 11 जुलाई से शुरू हो रहा है. बड़े बुजुर्ग अक्सर कहते हैं कि इस मास में कुछ चीजें वर्जित हैं. उसका धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक कारण भी होता है. इन दिनों कई लोग अपने दैनिक जीवन में बदलाव करते हैं. इसमें लोग रहन-सहन से लेकर अपने खाने-पीने के तरीकों में भी बदलाव करते हैं. भारत के गांवों में, विशेषकर हिंदी पट्टी में, एक लोकोक्ति बहुत मशहूर है जो बड़े सहज भाव से बताती है कि किस मौसम में क्या खाएं और किस चीज से परहेज करें. इसी लोक कहावत में 'सावन साग न भादो दही' का जिक्र है.

डेरी उत्पादों से करें परहेज!
सावन के महीने में दूध और उससे बने उत्पादों का सेवन करने से बचने की सलाह इसलिए दी जाती है क्योंकि इस मौसम में जमीन में दबे कई प्रकार के कीड़े-मकोड़े बाहर आ जाते हैं, जो घास और हरी पत्तियों को संक्रमित कर देते हैं. गाय और भैंस यही संक्रमित घास खाती हैं, और फिर वही दूध हमारे घरों तक पहुंचता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है.
इसी तरह, दही का सेवन भी सावन में टालना चाहिए क्योंकि इस मौसम में वातावरण में नमी बढ़ जाती है, जिससे कीटाणु और हानिकारक बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं. इसके अलावा, दही की तासीर ठंडी मानी जाती है, जो इस मौसम में सर्दी-जुकाम या गला खराब होने का खतरा बढ़ा सकती है.
इसलिए आयुर्वेद और परंपरागत ज्ञान के अनुसार, सावन में दूध और दही जैसे ठंडे व संवेदनशील खाद्य पदार्थों का सेवन सावधानीपूर्वक या सीमित मात्रा में करना चाहिए

यह भी पढ़ें

सावन के मौसम में रखें विशेष ध्यान- आयुर्वेद
आयुर्वेद के अनुसार, बारिश के मौसम में हमारी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है. ऐसे समय में लहसुन और प्याज, जिनकी तासीर गरम होती है, खाने से कई बार पेट फूलना, गैस बनना और बदहजमी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं. चरक संहिता में कहा गया है कि सावन के महीने में बैंगन नहीं खाना चाहिए. इसका कारण यह है कि बैंगन की प्रकृति ऐसी होती है कि यह पचने में भारी होता है और बारिश के मौसम में इसमें कीड़े लगने की संभावना भी ज्यादा रहती है. इसलिए इसे गंदगी में उगने वाली सब्जी माना जाता है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. सुश्रुत संहिता में सावन के दौरान हरी पत्तेदार सब्जियां न खाने की सलाह दी गई है, क्योंकि इस मौसम में जमीन के अंदर छिपे कीड़े-मकोड़े बाहर निकल आते हैं, और ये हरी सब्जियों को संक्रमित कर सकते हैं. इससे वायरल इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है. इसलिए आयुर्वेद के अनुसार, सावन के मौसम में भोजन में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए ताकि सेहत बनी रहे.

टिप्पणियाँ 0

Advertisement
Podcast video
'मुसलमान प्रधानमंत्री बनाने का प्लान, Yogi मारते-मारते भूत बना देंगे इनका’ ! Amit Jani
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें