Advertisement

Hartalika Teej 2025: बिना इन चीज़ों के अधूरा है सुहाग का श्रंगार, व्रत से पहले ज़रूर जान लें

सोचिए, अगर इस Hartalika Teej पर आपने कुछ जरूरी चीज़ें छोड़ दीं, तो आपका व्रत और श्रंगार अधूरा रह सकता है… जानिए वो खास बातें जो हर सुहागिन को पता होनी चाहिए..

हरतालिका तीज हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है. यह पर्व भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और इसे माता पार्वती और भगवान शिव के प्रति आस्था और भक्ति का प्रतीक माना जाता है. 
 
हरतालिका तीज पर महिलाएं अखंड व्रत रखती हैं और सौभाग्य, पति की लंबी उम्र, वैवाहिक सुख और समृद्धि की कामना करती हैं. यह व्रत उनके जीवन में न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व भी रखता है.

तारीख और मुहूर्त

साल 2025 में हरतालिका तीज 27 अगस्त, बुधवार को मनाई जाएगी. व्रत का आरंभ सुबह होते ही संकल्प से किया जाता है और यह पूरे दिन चलता है. महिलाएं इस दिन जल और अन्न से परहेज़ करती हैं. रात को जागरण और भजन-कीर्तन के साथ पूजा संपन्न होती है.

शुभ समय और मुहूर्त जानना भी इस दिन का एक अहम हिस्सा है. प्राचीन परंपरा के अनुसार, व्रत के दौरान सही मुहूर्त में पूजा करना सौभाग्य और फलदायी माना जाता है.

व्रत का धार्मिक महत्व

हरतालिका तीज का व्रत माता पार्वती के कठोर तप का स्मरण है. पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने शिवजी को पति रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी. उनकी भक्ति और दृढ़ संकल्प से ही विवाह संपन्न हुआ.

  • सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत रखती हैं.
  • कुंवारी कन्याएं अपने मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए उपवास करती हैं.
  • व्रत न केवल भक्ति का प्रतीक है बल्कि यह महिलाओं को मानसिक अनुशासन, संयम और आध्यात्मिक अनुभव भी देता है. 

हरतालिका तीज का श्रंगार 

हरतालिका तीज का श्रंगार और सजावट भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना व्रत. इसे “सोलह श्रृंगार” के नाम से जाना जाता है, जो सुहागिन महिलाओं की सुंदरता, सौभाग्य और वैवाहिक जीवन का प्रतीक हैं.

  • सिंदूर – पति के प्रति सुहाग का प्रमुख प्रतीक
  • चूड़ियां और बिछुए – वैवाहिक सुख का संकेत
  • मेहंदी – तीज का सबसे महत्वपूर्ण और शुभ श्रंगार
  • बिंदी और काजल – चेहरे की शोभा बढ़ाने के लिए
  • साड़ी या विशेष परिधान – लाल, हरे और पीले रंग शुभ माने जाते हैं
  • गहने और मांगटीका – सौंदर्य और परंपरा का प्रती

इनके बिना हरतालिका तीज का अनुभव अधूरा सा लगता है.

पूजा और व्रत की तैयारी

पूजा के लिए आवश्यक चीजें भी इस दिन विशेष महत्व रखती हैं. थाली में हमेशा यह सामग्री रखी जाती है:

  • बेलपत्र और धतूरा
  • नारियल और कलावा
  • फल, फूल और मिठाई
  • सुहाग की सामग्री जैसे सिंदूर, चूड़ी, मेहंदी, बिंदी और कंघी

व्रती सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लेती हैं. इसके बाद देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं. पूजा के दौरान भजन-कीर्तन, कथा पाठ और जागरण करने की परंपरा होती है.

 

सामाजिक और भावनात्मक महत्व

हरतालिका तीज केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है. यह महिलाओं के सांस्कृतिक जुड़ाव, भावनात्मक अनुभव और सामाजिक संबंध को भी मजबूत करता है. यह दिन पति-पत्नी के बीच प्रेम, सौभाग्य और विश्वास का प्रतीक है. साथ ही, यह पर्व महिलाओं को अपने लिए समय निकालने, स्वयं को सजाने और पारिवारिक रीति-रिवाजों को निभाने का अवसर देता है. कई शहरों में महिलाएं एक-दूसरे के घर जाकर तीज का पर्व साझा करती हैं, जिससे सामाजिक और भावनात्मक बंधन मजबूत होते हैं.

हरतालिका तीज 2025 महिलाओं के लिए आस्था, सौभाग्य और प्रेम का पर्व है. व्रत और श्रंगार के साथ यह दिन उनके जीवन में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव भी जोड़ता है. इस दिन का पालन और तैयारी, चाहे सुहागिन हो या कुंवारी, हर महिला के लिए यादगार और महत्वपूर्ण होती है.

Advertisement

यह भी पढ़ें

Advertisement

LIVE
अधिक →