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इस जादुई जड़ी-बूटी से पाएं जोड़ों के दर्द और त्वचा रोगों से छुटकारा...ये है आयुर्वेद का अनमोल तोहफा

चोपचीनी 'चाइना रूट' (चीनी जड़) के नाम से भी जाना जाता है. यह एक बारहमासी पौधा है जो पूर्वी एशिया का मूल निवासी है और पारंपरिक चिकित्सा में इसके उपयोग का एक लंबा इतिहास है. चोबचीनी स्मिलैकेसी परिवार से संबंधित है, जो रक्त को शुद्ध करने, हानिकारक पदार्थों को खत्म करने, सूजन संबंधी बीमारियों का इलाज करने में मदद करता है.

30 Jun, 2025
( Updated: 30 Jun, 2025
03:35 PM )
इस जादुई जड़ी-बूटी से पाएं जोड़ों के दर्द और त्वचा रोगों से छुटकारा...ये है आयुर्वेद का अनमोल तोहफा

प्रकृति ने हमें अनमोल औषधीय गुणों से भरपूर कई पौधे दिए हैं, जिनमें से एक है चोपचीनी (Smilax china). भारत में 'स्मिलैक्स' (Smilax) जीनस की लगभग 39 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जबकि दुनिया भर में इसकी लगभग 262 अलग-अलग प्रजातियां मौजूद हैं, और चोपचीनी इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण पौधा है, जिसे आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में सदियों से इस्तेमाल किया जाता रहा है. इसके औषधीय गुण इतने प्रभावशाली हैं कि इसे कई गंभीर बीमारियों में 'संजीवनी' बूटी की तरह माना जाता है. आइए जानते हैं चोपचीनी के उन हैरान कर देने वाले फायदों के बारे में, जो इसे वाकई खास बनाते हैं.

चोपचीनी 'चाइना रूट' (चीनी जड़) के नाम से भी जाना जाता है. यह एक बारहमासी पौधा है जो पूर्वी एशिया का मूल निवासी है और पारंपरिक चिकित्सा में इसके उपयोग का एक लंबा इतिहास है. चोबचीनी स्मिलैकेसी परिवार से संबंधित है, जो रक्त को शुद्ध करने, हानिकारक पदार्थों को खत्म करने, सूजन संबंधी बीमारियों का इलाज करने में मदद करता है. 

नेश्नल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसन की एक रिपोर्ट के अनुसार, चोपचीनी की जड़ के अर्क में क्वेसरटिन, रेस्वेराट्रोल और ऑक्सीरेस्वेराट्रोल जैसे तत्व पाए जाते हैं. जो मुहांसों को ठीक करने के लिए उपयोगी होते हैं. जोड़ों के दर्द को दूर करने में भी चोपचीनी तेल कारगर है. 

यूरिक एसिड की समस्या भी होती है दूर

आयुर्वेद के अनुसार, यूरिक एसिड की समस्या को दूर करने में यह लाभदायक है. कुछ दिनों तक नियमित रूप से चोपचीनी के चूर्ण को आधा चम्मच सुबह खाली पेट और आधा चम्मच रात को सोते समय सादे पानी से लेने से यूरिक एसिड की समस्या कम होने लगती है. 

चरक संहिता में है इसका उल्लेख 

चरक संहिता में चोपचीनी का उल्लेख एक महत्वपूर्ण औषधि के रूप में किया गया है. चरक संहिता में इसे कुष्ठघ्न महाकाषाय (त्वचा रोगों को ठीक करने वाली जड़ी-बूटियों का समूह) के तौर पर शामिल किया गया है. क्योंकि तासीर गर्म होती है इसलिए गर्भवती महिलाओं और पेट संबंधी दिक्कतों से जूझ रहे लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. बिना चिकित्सीय परामर्श के सेवन नहीं करना चाहिए. 

चोपचीनी वाकई एक अद्भुत औषधीय पौधा है जो भारत की समृद्ध वानस्पतिक विरासत का एक हिस्सा है. इसके सूजन-रोधी, रक्त शोधक और डिटॉक्सिफाइंग गुण इसे गठिया, त्वचा रोगों और कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए एक प्रभावी प्राकृतिक उपाय बनाते हैं. हालांकि, इसके सुरक्षित और प्रभावी उपयोग के लिए विशेषज्ञ की सलाह लेना हमेशा महत्वपूर्ण है.

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान और जागरूकता के उद्देश्य से है. प्रत्येक व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और आवश्यकताएं अलग-अलग हो सकती हैं. इसलिए, इन टिप्स को फॉलो करने से पहले अपने डॉक्टर या किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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