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अस्थमा के इलाज के बावजूद खतरा! क्यों खून में ज़िंदा रहती हैं बीमारी बढ़ाने वाली कोशिकाएं?

शोधकर्ताओं का मानना है कि इस खोज से भविष्य में अधिक प्रभावी उपचार विकसित करने में मदद मिलेगी. नया अध्ययन अस्थमा के उपचार की हमारी समझ में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाता है. यह दिखाता है कि मौजूदा उपचारों के बावजूद, शरीर में सूजन की जड़ें गहरी बनी रह सकती हैं.

26 Jun, 2025
( Updated: 26 Jun, 2025
08:21 PM )
अस्थमा के इलाज के बावजूद खतरा! क्यों खून में ज़िंदा रहती हैं बीमारी बढ़ाने वाली कोशिकाएं?

अस्थमा एक पुरानी श्वसन संबंधी बीमारी है जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है. इसके लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न उपचार उपलब्ध हैं, जैसे इनहेलर और दवाएं. हालांकि, एक नए अध्ययन ने चिंताजनक खुलासा किया है कि अस्थमा के उपचार के बाद भी मरीज़ों के रक्त में सूजन (inflammation) वाली कोशिकाएं बनी रहती हैं. यह खोज अस्थमा के प्रबंधन और भविष्य के उपचारों को विकसित करने के तरीके पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है.

क्या कहता है अध्ययन?

बायोलॉजिकल दवाएं या बायोलॉजिक्स गंभीर अस्थमा के मरीजों की जिंदगी को बेहतर बनाती हैं, लेकिन एक नए अध्ययन के अनुसार, इन दवाओं के इस्तेमाल के बाद भी कुछ ऐसी प्रतिरक्षा कोशिकाएं हैं, जो सूजन बढ़ाने वाली होती हैं और पूरी तरह खत्म नहीं होती. 

स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन में बताया कि गंभीर अस्थमा के इलाज में इस्तेमाल होने वाली बायोलॉजिकल दवाएं भले ही मरीजों की स्थिति में सुधार करती हों, लेकिन ये रक्त में मौजूद सूजन पैदा करने वाली कुछ इम्यून कोशिकाओं को पूरी तरह खत्म नहीं करतीं. 

यह अध्ययन वैज्ञानिक पत्रिका 'एलर्जी' में प्रकाशित हुआ है. शोध के अनुसार, इन कोशिकाओं की मौजूदगी के कारण इलाज बंद करने पर एयरवे में सूजन फिर से शुरू हो सकती है. 

शोधकर्ताओं ने 40 गंभीर अस्थमा मरीजों के रक्त के नमूनों का विश्लेषण किया, जो बायोलॉजिक्स दवाएं ले रहे थे. इन दवाओं, जैसे मेपोलिजुमैब और डुपिलमैब ने मरीजों के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद की, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से रक्त में सूजन पैदा करने वाली प्रतिरक्षा कोशिकाओं की संख्या में कमी की बजाय वृद्धि देखी गई. 

कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट में टिश्यू इम्यूनोलॉजी की प्रोफेसर जेनी मोज्सबर्ग ने बताया, "बायोलॉजिक्स सूजन की जड़ को पूरी तरह खत्म नहीं करती. यह दिखाता है कि बीमारी को कंट्रोल करने के लिए इलाज लगातार जारी रखना पड़ सकता है."

शोध में फ्लो साइटोमेट्री और सिंगल सेल सीक्वेंसिंग जैसी हाई टेक्निक का इस्तेमाल किया गया, जिससे प्रतिरक्षा कोशिकाओं के गुणों और कार्यों का पता लगाया गया. 

शोधकर्ता लोरेंज विर्थ ने बताया, "इलाज के दौरान सूजन पैदा करने वाली कोशिकाएं कम होने की बजाय बढ़ गईं. यह बताता है कि इलाज कम करने या बंद करने पर एयरवे में सूजन क्यों लौट आती है."

बायोलॉजिक्स पिछले एक दशक से गंभीर अस्थमा के इलाज में इस्तेमाल हो रही है. लेकिन, उसके लंबे समय तक के प्रभावों के बारे में अभी बहुत कम जानकारी है.

दवाओं के लंबे समय तक उपयोग के प्रभावों को समझना जरूरी

शोधकर्ताओं का कहना है कि इन दवाओं के लंबे समय तक उपयोग के प्रभावों को समझना जरूरी है. रिसर्च टीम अब उन मरीजों के नमूनों का विश्लेषण करने की योजना बना रही है, जो लंबे समय से इलाज करवा रहे हैं. साथ ही, वे फेफड़ों के ऊतकों की जांच करेंगे ताकि एयरवे में प्रतिरक्षा कोशिकाओं पर पड़ने वाले प्रभावों को समझा जा सके. 

शोधकर्ताओं का मानना है कि इस खोज से भविष्य में अधिक प्रभावी उपचार विकसित करने में मदद मिलेगी. नया अध्ययन अस्थमा के उपचार की हमारी समझ में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाता है. यह दिखाता है कि मौजूदा उपचारों के बावजूद, शरीर में सूजन की जड़ें गहरी बनी रह सकती हैं.

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान और जागरूकता के उद्देश्य से है. प्रत्येक व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और आवश्यकताएं अलग-अलग हो सकती हैं. इसलिए, इन टिप्स को फॉलो करने से पहले अपने डॉक्टर या किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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