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उबली दाल या तड़के वाली दाल? किस में छिपा है सेहत का असली खजाना

उबली दाल को सात्त्विक प्रोटीन के खाने की श्रेणी में रखा जाता है क्योंकि ये गुणों से भरपूर और पाचन में सहायक होती है. अगर रोजाना उबली हुई दाल का सेवन किया जाए तो शरीर में होने वाली कई बीमारियों को कम किया जा सकता है.

23 Nov, 2025
( Updated: 04 Dec, 2025
11:05 PM )
उबली दाल या तड़के वाली दाल? किस में छिपा है सेहत का असली खजाना

भारतीय पारंपरिक थाली दाल के बिना अधूरी है. दाल लगभग हर भारतीय घर में तड़के के जायके साथ बनाई जाती है, लेकिन विज्ञान और आयुर्वेद दोनों का ही मानना है कि उबली हुई दाल यानी बिना तड़के के शरीर को ज्यादा ऊर्जा और प्रोटीन देती है. उबली दाल का सेवन करने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं और इससे फाइबर, मिनरल्स और अमीनो एसिड भी शरीर को भरपूर मात्रा में मिलते हैं. 

कौनसी दाल ज्यादा फायदेमंद?

आयुर्वेद में उबली दाल को सात्त्विक प्रोटीन के खाने की श्रेणी में रखा जाता है क्योंकि ये गुणों से भरपूर और पाचन में सहायक होती है. अगर रोजाना उबली हुई दाल का सेवन किया जाए तो शरीर में होने वाली कई बीमारियों को कम किया जा सकता है. आमतौर पर घरों में मसालों और तड़के के साथ दाल तो बनाई जाती है, जिससे दाल में स्वाद तो आ जाता है लेकिन वो औषधीय नहीं रहती है. इसलिए वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से उबली दाल को ज्यादा फायदेमंद माना गया है. 

आंतों के लिए उबली दाल का सेवन लाभकारी 

आंतों के लिए उबली दाल का सेवन लाभकारी होता है. अगर ज्यादा गैस, जलन और खाने के बाद पेट में दर्द होता है, तो कुछ समय के लिए उबली दाल का सेवन करना चाहिए. इससे आंतों को आराम मिलता है और मसालों से होने वाली गर्मी भी आंतों में कम बनती है. इसके साथ ही उबली दाल को पचाने में पेट को ज्यादा समय लगता है और इससे काफी देर तक पेट भरा-भरा महसूस होता है.

बीपी बढ़ने वालों के लिए उबली दाल अमृत 

जिन लोगों को बीपी बढ़ने की परेशानी है, उन लोगों के लिए उबली दाल अमृत है. इसमें लो सोडियम होता है, जिससे बीपी बढ़ने का खतरा कम होता है और ह्दय रोगियों के लिए भी अच्छी रहती है. बिना तड़के की दाल में लो कैलोरी होती है और तेल का इस्तेमाल भी नहीं होता है. ये मेटाबॉलिज़्म को संतुलित बनाने का भी काम करती है.

मसाले वाली दाल में प्रोटीन शरीर को कम लगता है

जब दाल को पकाकर उसमें मसालों का तड़का लगा दिया जाता है, तब मसालों की वजह से उसमें प्रोटीन का स्ट्रक्चर बदल जाता है. ऐसे में जहां उबली दाल में 100 फीसदी प्रोटीन मिलता है और हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत होती हैं, वहीं मसाले वाली दाल में प्रोटीन शरीर को कम लग पाता है.

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उबली दाल का सेवन बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए लाभकारी होता है. सही मात्रा में प्रोटीन प्राप्त करने के लिए उबली दाल का सेवन करना ही चाहिए. 

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