राजनीति में अपराधियों की एंट्री होगी बैन! वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने खोला दिया मोर्चा, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की PIL
अश्विनी उपाध्याय ने राजनीतिक दलों की स्थिति पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि आज भारत में लगभग 2000 राजनीतिक पार्टियां रजिस्टर्ड हैं. इनमें से 90% पार्टियां केवल चंदा लेने और काले धन को सफेद करने के लिए बनी हुई हैं.
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भारतीय राजनीति में अपनी गहरी जड़ें जमा चुका अपराध एक विकराल समस्या बन चुका है. कई राजनेताओं पर आपराधिक आरोप हैं, यही नहीं, कई राजनेता आपराधिक मामलों में दोषी तक ठहराए जा चुके हैं, लेकिन वो फिर भी राजनीति में न सिर्फ सक्रिय हैं, बल्कि अच्छी खासी धमक भी रखते हैं. राजनीति में लगातार बढ़ती अपराधियों की संख्या लोकतंत्र की जड़ों को खोखला कर रही है.
राजनीति के अपराधीकरण की समस्या के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने मोर्चा खोल दिया है. राजनीति से अपराध का सफाया करने का संकल्प लेकर वो सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में PIL दाखिल की है. पीआईएल में अश्विनी उपाध्याय ने मांग की है कि जो लोग सजायाफ्ता हैं, उनके पार्टी बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध होना चाहिए.
अपराध मुक्त राजनीति का संकल्प
अपराध मुक्त राजनीति का संकल्प लेकर चले अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि वर्तमान में जो 1950 और 51 का रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट चल रहा है. उसमें सजायाफ्ता के चुनाव लड़ने पर तो रोक है, लेकिन वह मात्र 6 साल की रोक है. लेकिन पार्टी बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर कोई रोक नहीं है. जो 1950-51 का कानून चल रहा है, उसमे एक सजायाफ्ता व्यक्ति वोट नहीं कर सकता, वो इलेक्शन एजेंट नहीं बन सकता, सजायाफ्ता व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता, लेकिन सजायाफ्ता व्यक्ति पार्टी बनाकर पार्टी अध्यक्ष बन सकता है और दूसरों लोगों को चुनाव लड़ा सकता है. वह सब कुछ कर सकता है और वह पार्टी बनाकर चंदा ले सकता है. और वो जो चंदा लेगा उसको भी इनकम टैक्स में छूट मिलेगी, यानी वह टैक्सेबल इनकम नहीं होगी.
'90% पॉलिटिकल पार्टियों केवल चंदे को लेने के लिए बनीं'
सीनियर एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि नतीजा ये है इस समय भारत में लगभग जो 2000 पॉलिटिकल पार्टियों चल रही हैं, उनमें से 90% पॉलिटिकल पार्टियों केवल चंदे को लेने के लिए बनी हुई हैं. केवल कले धन को सफेद करने के लिए बनी हैं. भारत में बहुत सारा जो ब्लैक मनी है वह इन्हीं पॉलिटिकल पार्टियों के जरिए व्हाइट किया जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने माना महत्वपूर्ण मुद्दा
अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि आज माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह महत्वपूर्ण मुद्दा है, इस पर गंभीरता के साथ विचार करेंगे. क्योंकि आज बिहार चुनाव वाला भी मुद्दा लगा हुआ है जो बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन चल रहा है, वो पीआईएल भी लगी हुई हैं. इसलिए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलेक्शन जल्दी होने वाला है, इसलिए जो SIR वाला मुद्दा है इस पर पहले सुनवाई कर लेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसके बाद सजायाफ्ता व्यक्ति के पार्टी बनने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध वाले मामले पर नवंबर में सुनवाई करेंगे.
आशा है सरकार कानून बनाएगी
वरिष्ठ वकील ने कहा कि मैं आशा करता हूं इस पर जल्द से जल्द सरकार कानून बनाएगी. इस मसले पर पिछले 50 वर्षों में 10 से ज्यादा एक्सपर्ट कमेटी ने कहा है कि इस पर कानून बनना चाहिए.
अश्विनी उपाध्याय ने कहा- देश को पॉलिटिकल पार्टी चलती हैं. राष्ट्रपति कौन बनेगा पॉलिटिकल पार्टी तय करती है. प्रधानमंत्री कौन बनेगा पॉलिटिकल पार्टी तय करती है. मुख्यमंत्री कौन बनेगा पॉलिटिकल पार्टी तय करती है. लेकिन पॉलिटिकल पार्टियों को रेगुलेट करने के लिए कोई कानून ही नहीं है. पॉलिटिकल पार्टी का पदाधिकारी कौन बन सकता है इस पर कोई कानून नहीं है.
'लालू यादव सजायाफ्ता, लेकिन पार्टी अध्यक्ष बने बैठे हैं'
सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि नतीजा यह है कि लालू यादव सजायाफ्ता हैं, चुनाव नहीं लड़ सकते, लेकिन पार्टी अध्यक्ष बनके बैठे हुए. शशि कला सजायाफ्ता हैं, चुनाव नहीं लड़ सकतीं, लेकिन पार्टी अध्यक्ष बनी हुई हैं. ऐसे और भी अनेक उदाहरण मौजूद हैं.
'अगर संसद चूकी, तो सुप्रीम कोर्ट करेगा हस्तक्षेप'
अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि अगर नवंबर तक पार्लियामेंट में कानून बन जाता है तो बहुत अच्छी बात है. अगर कानून नहीं बनेगा तो मुझे पूरा विश्वास है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट, सजायाफ्ता के चुनाव लड़ने, पार्टी बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने की मेरी मांग को स्वीकार कर लेंगे और गाइडलाइन पास करेंगे कि जब तक कानून नहीं बन जाता है, तब तक ये रोक जारी रहेगी.
देखें, अश्विनी उपाध्याय ने इस पूरे मामले पर और क्या कहा, VIDEO नीचे है-
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