करणी माता के दरबार से बलूचिस्तान को मिलेगी मुक्ति? हिंगलाज शक्ति पीठ से जुड़ी उम्मीदें
पाकिस्तान के माथे का झूमर खतरे में है, क्योंकि ऐक्शन मोड में ‘चूहों वाली माता’ हैं, मौज में बलूचिस्तान है और टेंशन में पाकिस्तान. लेकिन इस पूरे मामले को समझने से पहले आपके लिए ये जानना ज़रूरी है कि बलूचिस्तान की हिंगलाज शक्ति पीठ का एक रूप हमारे अपने देश भारत में भी विद्यमान है, और आज उसी की चौखट पर जाकर बलूचों के लिए आज़ादी की मन्नत माँगी जा रही है.

पाकिस्तान के माथे का झूमर कहे जाने वाला बलूचिस्तान आज खतरे में है, क्योंकि ऐक्शन मोड में हैं 'चूहों वाली माता' — करणी माता. एक ओर बलूचिस्तान आत्मविश्वास में है, वहीं पाकिस्तान गहरे टेंशन में। इस पूरे मामले को समझने से पहले यह जानना ज़रूरी है कि बलूचिस्तान की हिंगलाज शक्ति पीठ का एक रूप भारत में भी मौजूद है. राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित करणी माता का धाम, जो शक्तिपीठ के रूप में पूजनीय है. आज इसी धाम की चौखट पर पहुँचकर बलूचिस्तान की आज़ादी की मन्नत माँगी गई है, देखिए इसी पर हमारी आज की ख़ास रिपोर्ट.
आज का बलूचिस्तान वो नहीं रहा जो कभी पाकिस्तानी हुकूमत के नीचे दबकर साँस लेता था. एक लंबे समय से पाकिस्तान के आर्थिक इंजन की तरह काम कर रहा बलूचिस्तान अब आवाज़ उठाने लगा है. पाकिस्तानी सेना और ISI के ज़ुल्मों ने वहाँ के लोगों को तोड़ने की कोशिश की, लेकिन इससे उनकी आत्मा और जज़्बा और मज़बूत हुआ। 16,000 से ज़्यादा खदानों वाले इस प्रांत को पाकिस्तान ने चीन के हाथों गिरवी रख दिया है, लेकिन बलूच लोग ना तो इन खदानों से लाभ पा सके, ना रोज़गार। सरकारी भेदभाव, बेरोज़गारी, महंगाई और भूखमरी ने उनकी ज़िंदगी को नर्क बना दिया। आवाज़ उठाई तो खून बहाया गया. इसी दमन के बीच अब बलूचिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुद को "लोकतांत्रिक गणराज्य बलूचिस्तान" के रूप में मान्यता दिलाने की कोशिश कर रहा है. भारत से दूतावास खोलने की मांग भी की जा रही है. लेकिन सबसे बड़ी बात अब उन्हें ईश्वरीय शक्ति का सहारा भी मिल गया है। करणी माता के दरबार में बलूचों की आज़ादी की मन्नत ने पाकिस्तान को बेचैन कर दिया है.
आपको याद होगा, ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के तुरंत बाद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान के बीकानेर ज़िले में स्थित करणी माता के दिव्य धाम पहुँचे थे. यह शक्ति का ऐसा इकलौता स्थल है, जहां चूहों वाली देवी की पूजा होती है और जिन्हें हिंगलाज शक्ति पीठ का ही एक रूप माना जाता है. बॉर्डर से सटे बीकानेर ज़िले में स्थित यह धाम अपने आप में अनोखा है, क्योंकि यहां चूहों को पूजनीय माना जाता है. यही नहीं, इन्हीं चूहों का जूठा प्रसाद भक्तों को वितरित किया जाता है. सबसे हैरानी की बात यह है कि अब तक न तो कोई भक्त इस प्रसाद से बीमार पड़ा है और न ही इन चूहों ने किसी को हानि पहुँचाई है. यहां जो भी आता है, खुद को भाग्यशाली मानता है क्योंकि यह स्थल हिंगलाज माता के प्रतिरूप करणी माता का धाम है. अब इसी शक्तिपीठ में भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता नाज़िया इलाही खान पहुँचीं. खुद को सनातनी मुस्लिम बताने वाली नाज़िया ने यहां आकर माँ करणी माता की चौखट पर बलूचिस्तान की आज़ादी और उसके भारत में पुनः विलय की मन्नत माँगी है.
नाज़िया इलाही खान ने कहा, "मुझे करणी माता के इस धाम के बारे में तब पता चला जब ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां आशीर्वाद लेने पहुँचे थे. तब मुझे जानकारी मिली कि यह वही शक्तिपीठ है जिसे हिंगलाज माता के रूप में जाना जाता है. इसलिए मैं माँ के दरबार में बलूचिस्तान की आज़ादी और उसके भारत में पुनः विलय की मन्नत माँगने आई हूँ. मेरी कामना है कि एक दिन हिंगलाज माता दोबारा भारत की धरती से जुड़ें."
सौ बात की एक बात माँ हिंगलाज के स्वरूप माँ करणी माता के आगे अब बलूचिस्तान की आज़ादी की मन्नतें माँगी जा रही हैं. इतिहास गवाह है कि चूहों वाली देवी की इस चौखट से कोई भी भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटा है और यही विश्वास आज बलूच लोगों के बीच भी जाग चुका है. उन्हें उम्मीद है कि अब ईश्वरीय शक्ति के आशीर्वाद से नापाक ताक़तों से उन्हें मुक्ति मिलेगी, और बलूचिस्तान को उसकी पहचान और आज़ादी दोबारा प्राप्त होगी.
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