पितृ पक्ष के दौरान कपड़े क्यों नहीं खरीदने चाहिए? पितरों की आत्मा की शांति के लिए करें ये उपाय
पितृ पक्ष के दौरान पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है. जो पितरों की आत्मा को शांति देता है. माना जाता है कि इस समय पितरों की आत्मा की शांति के लिए शोक मनाया जाता है. अगर इस दौरान नई वस्तुएं खरीदी जाती हैं तो पितृ नाराज हो सकते हैं.
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अक्सर आपने अपने घर के बड़ों से सुना होगा कि पितृ पक्ष के दौरान नए कपड़े, नई वस्तुएं नहीं खरीदनी चाहिएं. कई बार हम इस बात को इग्नोर कर देते हैं लेकिन कई बार हमारे मन में ये सवाल घर कर जाते हैं कि आखिर ऐसा क्यों है? इस दौरान कपड़े खरीदने से क्या होता है? आइए आपको भी बताते हैं...
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दौरान पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है. जो पितरों की आत्मा को शांति देता है. माना जाता है कि इस समय पितरों की आत्मा की शांति के लिए शोक मनाया जाता है. अगर इस दौरान नई वस्तुएं खरीदी जाती हैं तो पितृ नाराज हो सकते हैं. चलिए इसे विस्तार से समझते हैं.
शोक मनाने और सादगी का समय: ये समय शोक और पितरों को याद करने का होता है. इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है. वहीं नए कपड़े खरीदना और पहनना उत्सव का प्रतीक होता है. जो कि इस समय के शोक को प्रभावित करता है.
पितृ दोष का भय: माना जाता है कि इस दौरान नए कपड़े खरीदने से बचना चाहिए. ऐसा करने से पितृ नाराज हो सकते हैं और पितृ दोष का खतरा हो सकता है. पितृ दोष के कारण आपको धन संबंधी परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं. पारिवारिक कलह, मानसिक तनाव या फिर स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियां हो सकती हैं. तो इसलिए इस दौरान कपड़े या फिर कोई नई वस्तुएं खरीदने से बचना चाहिए.
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इस दौरान पितरों को खुश करने के लिए जरूर करें ये उपाय
- पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण जरूर करना चाहिए.
- पितरों के नाम से गरीबों और ब्राह्मणों में कपड़े दान करना भी शुभ माना जाता है. इसके अलावा चप्पल, छाता, बर्तन, और जरूरी सामान भी आप दान कर सकते हैं.
- इसके अलावा आप तिल, गेहूं-चावल, दूध-दही भी दान कर सकते हैं. इससे आपकी आत्मा को शांति मिलेगी.
- इस दौरान ॐ पितृभ्यः नमः और ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप भी जरूर करें.
- मांसाहार, शराब जैसे तामसिक भोजन से बचें और घर में गंगा जल का छिड़काव करते रहें.
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