मां दुर्गा के तीसरे रूप को चंद्रघंटा क्यों कहा गया? जानें पूजा से लेकर मां को खुश करने के उपाय
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने का विशेष प्रावधान है. मान्यता है कि इस दौरान पूजा-पाठ करने से मां चंद्रघंटा की कृपा भक्तों पर सदैव बनी रहती है. लेकिन क्या आप जानते हैं मां दुर्गा के तीसरे रूप को चंद्रघंटा क्यों कहा जाता है? इस दिन पूजा अर्चना कैसे करें...
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आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर बुधवार को नवरात्रि का तीसरा दिन है. यह पावन दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित होता है, जो भक्तों के हृदय में ममता और शक्ति का संचार करती हैं. इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने का विशेष प्रावधान है. मान्यता है कि इस दौरान पूजा-पाठ करने से मां चंद्रघंटा की कृपा भक्तों पर सदैव बनी रहती है. लेकिन क्या आप जानते हैं मां दुर्गा के तीसरे रूप को चंद्रघंटा क्यों कहा जाता है? आइए पूजा विधि से लेकर जानते हैं मां चंद्रघंटा को खुश करने के उपाय…
द्रिक पंचांग के अनुसार, बुधवार को सूर्य कन्या राशि में गोचर करेंगे, जबकि चंद्रमा तुला राशि में विराजमान रहेंगे. अभिजीत मुहूर्त नहीं है और राहुकाल का समय दोपहर के 12 बजकर 13 मिनट से शुरू होकर 1 बजकर 43 मिनट पर खत्म होगा.
मां चंद्रघंटा के रूप का बखान किस ग्रंथ में मिलता है?
देवी भागवत पुराण में वर्णित है, मां चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत भव्य और अलौकिक है. उनके मस्तक पर अर्द्धचंद्र सुशोभित है. यही कारण है कि उन्हें 'चंद्रघंटा' नाम से जाना जाता है. मां चंद्रघंटा की पूजा से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है. इसके साथ ही, मानसिक शांति भी मिलती है और नई ऊर्जा का संचार होता है.
मां चंद्रघंटा की पूजा क्यों करनी चाहिए?
पुराणों के अनुसार, मां चंद्रघंटा की आराधना से पारिवारिक सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है, साथ ही नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं. इनकी पूजा विशेष रूप से सूर्योदय से पहले कर लेनी चाहिए, क्योंकि इस समय मां की विशेष कृपा बरसती है. वहीं, पूजा में लाल और पीले गेंदे के फूल चढ़ाने का महत्व है, क्योंकि यह फूल मां की ममता और शक्ति का प्रतीक हैं.
नवरात्रि के तीसरे दिन किस तरह करें पूजा?
इस दिन विधि-विधान से पूजा शुरू करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें, कोशिश करें कि लाल रंग के वस्त्र हों, क्योंकि लाल रंग मां दुर्गा को अत्यंत प्रिय है. फिर, मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें. एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर माता की प्रतिमा स्थापित करें, साथ ही कलश की भी स्थापना करें. अब देवी मां को श्रृंगार का सामान चढ़ाएं, जिसमें लाल चुनरी, सिंदूर, अक्षत, लाल पुष्प विशेषकर गुड़हल, चंदन, रोली आदि को भी अर्पित करें. इसके बाद उन्हें फल, मिठाई, या अन्य सात्विक भोग लगाएं जैसे खीर या हलवा. मां दुर्गा के सामने घी का दीपक और धूपबत्ती जलाएं. आप चाहें तो दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं. अंत में मां दुर्गा की आरती करें.
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किन उपायों से बरसेगी मां चंद्रघंटा की कृपा?
- पूजा के दौरान मां चंद्रघंटा के सामने लाल और सफेद पुष्प अर्पित करें.
- ऊँ देवी चंद्रघंटायै नमः मंत्र का 108 बार जाप जरूर करें.
- पूजा करने से पहले पीला या फिर लाल रंग के कपड़े जरूर पहनें.
- तामसिक भोजन से बचें, सात्विक भोजन ग्रहण करें.
- मां को खीर का भोग लगाने के बाद गरीब बच्चों में भी खीर बांटें.
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