योगी के भगवा रंग से बंगाली दीदी को एलर्जी क्यों उठ रहे कई सवाल
भगवा रंग से CM ममता बनर्जी को एलर्जी क्यों ? बंगाल में भगवा रंग से नफ़रत क्यों ?दीदी की रंगीन राजनीति क्या कहती है ? देखिये सिर्फ़ धर्म ज्ञान पर
Follow Us:
हमें जिस भी वस्तु या फिर खाद्य सामग्री से एलर्जी होती है, हम उससे दूरी बनाकर रखते हैं और इन दिनों यही दूरी बंगाल की क्वीन और प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भगवा रंग से बनाकर रखी हुई है। जिस भी चीज़ पर दीदी की नज़र पड़ रही है, उस पर से भगवा रंग को उतारकर नीला-सफेद रंग पोत दिया जाता है। क्या सच में भगवा से दीदी को एलर्जी है ? क्या है ये पूरा मामला, आईये आपको बताते हैं।
आज की तारीख़ में भाजपा भगवा रंग का पर्याय बन चुकी है।नाथ संप्रदाय से लेकर साधु संतों की दुनिया में भगवा का क्या महत्व है, इसका अंदाज़ा इसी से लगाइये, भगवा यानी गेरुआ रंग शास्त्रों में संयम, संकल्प और आत्मनियंत्रण का प्रतीक माना गया है..भगवा उन भगवाधारियों का रंग है, जिन्होंने ख़ुद को तप में तपाया है। ये हिंदू के चिरंतन, सनातनी, पुनर्जन्म की धारणाओं को बताने वाला रंग है। वैज्ञानिक दृष्टि से भगवा की अहमियत ऐसी है कि इसी रंग को शरीर के सातों चक्र से जोड़ा जाता है। माना जाता है कि भगवा शरीर के जेनेटिल एरिया से जुड़ा हुआ है। इतना ही नहीं, बौद्ध धर्म में भी भगवा को ख़ुशहाली का प्रतीक बताया गया है। तिरंगे में मौजूद भगवा रंग त्याग, बलिदान और शौर्य की गाथा गाता है लेकिन दीदी ममता बनर्जी को आज इसी भगवा से सबसे बड़ी दिक़्क़त हो रही है, तभी तो सबसे पहले उन्होंने टीम इंडिया की भगवा जर्सी पर सवाल उठाए थे।लोगों के बीच जाकर ये बयान दिया था कि अब सब कुछ भगवा हो रहा है! भारतीय खिलाड़ियों की ड्रेस भी भगवा हो गई है! वे पहले नीले रंग की ड्रेस पहनते थे।”
यह भी पढ़ें
भगवा के विरोध में अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने निजी घरों की छतों से गेरुआ रंग हटाए जाने का आदेश दिया है। दीदी का कहना है कि बंगाल का रंग नीला और सफ़ेद है, इस कारण पहले उन्होंने सरकारी इमारतों पर नीता और सफ़ेद रंग चढ़ाया और अब सरकारी इमारतों के साथ निजी घरों को भी इसी रंग में पुताने की कोशिश कर रही है, बक़ायदा टैक्स में छूट देने की भी बात कही है। दीदी ने प्रशासन को निर्देश दिया कि कोई भी सार्वजनिक संपत्ति लाल या भगवा रंग में नहीं रंगी जाए।इमारतों की छत के लिए इस्तेमाल भगवा-लाल रंग के टिन शेड को भी हटाना होगा और उनकी जगह आसमानी नीला रंग है लगाना होगा। हालाँकि दीदी के इसी फ़ैसलों को भाजपा ने अमानवीय बताया है। वहीं ममता दीदी का भी आरोप है कि भाजपा ख़ुद रंगों की राजनीति करती है, स्वास्थ्य विभाग को गेरुआ रंग से नहीं रंगा, इस कारण केंद्र सरकार ने 100 दिन के काम का पैसा और स्वास्थ्य विभाग का पैसा रोक दिया है।रंगों की इसी राजनीति में ना ही दीदी कम है और ना ही भाजपा बस फ़र्क़ इतना है कि किसी की राजनीति उजागर हो जाती है और किसी की राजनीति पर्दे के पीछे रहकर काम कर जाती है।
टिप्पणियाँ 0
कृपया Google से लॉग इन करें टिप्पणी पोस्ट करने के लिए
Google से लॉग इन करें