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पितृ पक्ष के दौरान क्यों खास मानी जाती हैं ये 4 जगहें? यहां पिंडदान करने से पितरों की 7 पुश्तों को मिल जाती है मुक्ति

इन श्राद्धों में इनका पिंडदान करें क्योंकि इस बार पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू होने वाला है और 21 सितंबर तक चलने वाला है. इस दौरान आप मोक्ष से जुड़ी इन 4 जगहों में जाकर पितरों का पिंडदान, श्राद्ध या फिर तर्पण कर सकते हैं.

03 Sep, 2025
( Updated: 08 Dec, 2025
09:24 AM )
पितृ पक्ष के दौरान क्यों खास मानी जाती हैं ये 4 जगहें? यहां पिंडदान करने से पितरों की 7 पुश्तों को मिल जाती है मुक्ति
Pinddan, Pitra Paksha

कई बार हम देखते हैं हमारे घर में अचानक से बहुत क्लेश होने लगता है. अचानक संतान संबंधी परेशानियां होने लगती हैं. पैसे की तंगी बुरी तरह से घेर लेती है. इतना ही नहीं कई बार तो व्यक्ति के स्वास्थ्य तक पर बन जाती है. कहा जाता है कि अगर किसी व्यक्ति के जीवन में इस तरह से परेशानियां आने लगे तो इसका मतलब होता है कि पितृ हमसे प्रसन्न नहीं हैं. पितरों को मुक्ति नहीं मिली है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि वे हमें नुकसान पहुँचाना चाहते हैं बल्कि वे हमें संकेत दे रहे होते हैं कि उन्हें श्राद्ध, तर्पण या फिर पिंडदान की ज़रूरत है. इसलिए घबराएं नहीं बल्कि इन श्राद्धों में इनका पिंडदान करें क्योंकि इस बार पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू होने वाला है और 21 सितंबर तक चलने वाला है. इस दौरान आप मोक्ष से जुड़ी इन 4 जगहों में जाकर पितरों का पिंडदान, श्राद्ध या फिर तर्पण कर सकते हैं. तो आइए जानते हैं कौन-सी हैं ये 4 जगह…

उत्तराखंड का हरिद्वार - मां गंगा के तट पर बसी मोक्षदायिनी नगरी हरिद्वार में पिंडदान करना बहुत ही शुभ माना जाता है. यहां कुशावर्त घाट या नारायण शिला पर पितरों का पिंडदान करना बेहद ही खास होता है. लेकिन अगर आप हर की पौड़ी पर पितरों का तर्पण करते हैं तो यह पितरों की आत्मा की शांति के लिए बेहद ही शुभ रहेगा.

उत्तर प्रदेश का इलाहाबाद - प्रयागराज के नाम से जाने जाने वाला इलाहाबाद सनातन धर्म के पवित्र स्थानों में से एक है. इलाहाबाद में बहती गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी इसे खास बनाती है. इसलिए अक्सर यहां धरा पर कुंभ और अर्धकुंभ का भी आयोजन होता रहता है. इसके अलावा इस धरा पर पिंडदान करने की भी बहुत मान्यता है. कहा जाता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और कभी पितर परेशान नहीं करते हैं. इसलिए आप यहां आकर पिंडदान कर सकते हैं.

उत्तर प्रदेश का वाराणसी - भगवान शिव को समर्पित काशी मोक्ष की नगरी के नाम से भी जानी जाती है. मान्यता है कि बुजुर्ग लोग यहां अपने प्राण त्याग करने के लिए आते हैं ताकि मोक्ष की प्राप्ति हो सके. इसके अलावा यहां पिंडदान करना भी शुभ माना जाता है. मान्यताओं के मुताबिक यहां किया गया श्राद्ध मनुष्य की आत्मा को शिवलोक तक पहुंचाता है.

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बिहार का गया - बिहार की धरती पर बसा गया सनातन धर्म का बहुत ही पवित्र स्थल है. यहां श्राद्ध करने से पितरों की सात पीढ़ियों तक को मुक्ति मिल जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार सीता जी ने भी यहां अपने पितरों का पिंडदान किया था. इसलिए पितृ पक्ष के दौरान यहां लाखों लोग अपने पितरों के श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के लिए आते हैं. ऐसे में अगर आप भी पिंडदान करना चाहते हैं तो यहां ज़रूर जाएं.

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