प्रेमानंद महाराज के साथ साये की तरह रहने वाले आखिर कौन हैं ये 'पांडव'? सेना, बिजनेस छोड़ क्यों बने बाबा
आपने जब भी प्रेमानंद महाराज जी को देखा होगा, जब भी सुना होगा तो उनके साथ साये की तरह रहने वाले पाँच पांडवों पर आपने जरूर गौर किया होगा. लेकिन अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये पाँच पांडव कौन हैं? सेना, बिजनेस और करोड़ों की संपत्ति को छोड़कर आखिर ये प्रेमानंद महाराज के शिष्य कैसे बने? आइए आपको भी बताते हैं
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आज पूरी दुनिया प्रेमानंद महाराज को एक महान संत के रूप में जानती है, लोग उन्हें भगवान की तरह पूजते हैं. देश-विदेश से भक्त उनके प्रवचन सुनने पहुँचते हैं. लेकिन आपने जब भी प्रेमानंद महाराज जी को देखा होगा, जब भी सुना होगा तो उनके साथ साये की तरह रहने वाले पाँच पांडवों पर आपने जरूर गौर किया होगा. लेकिन अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये पाँच पांडव कौन हैं? सेना, बिजनेस और करोड़ों की संपत्ति को छोड़कर आखिर ये प्रेमानंद महाराज के शिष्य कैसे बने? आइए आपको भी बताते हैं.
दिन हो या रात, सुबह हो या शाम, हर पल प्रेमानंद महाराज जी के साये की तरह साथ रहने वाले पाँच पांडवों के नाम हैं… नवल नागरी बाबा, महामधुरी बाबा, श्यामाश शरण बाबा, आनंद प्रसाद बाबा और अलबेलीशरब बाबा. आइए इन पाँच पांडवों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
नवल नागरी बाबा: महाराज जी के पाँच पांडवों में सबसे पहले आने वाले नवल नागरी बाबा पंजाब के पठानकोट के रहने वाले हैं. माँ राधा को अपने आपको समर्पित करने से पहले नवल नागरी बाबा 2008 से 2017 तक सेना में रह चुके हैं. इसके बाद साल 2016 में कारगिल में रहते हुए उन्होंने प्रेमानंद महाराज जी के प्रवचन सुने थे. महाराज जी के प्रवचन सुनने के बाद वे इतने अधिक प्रभावित हुए कि उन्होंने नौकरी तक छोड़ दी. संसार के मोह को त्याग कर प्रेमानंद महाराज के साथ रहने लगे.
आनंद प्रसाद बाबा: प्रेमानंद महाराज के साये की तरह साथ रहने वाले पाँच पांडवों में आनंद प्रसाद बाबा भी शामिल हैं. आनंद प्रसाद बाबा प्रेमानंद महाराज से इतने अधिक प्रभावित हुए कि जूतों के बिजनेस को छोड़कर वृंदावन को ही अपना घर बना लिया और महाराज जी की सेवा में लग गए.
अलबेलीशरब बाबा: अलबेलीशरब बाबा भी प्रेमानंद महाराज के साथ रहते हैं. बता दें कि अलबेलीशरब बाबा दिल्ली के रहने वाले हैं, लेकिन भक्ति का रंग उन पर ऐसा चढ़ा कि सीए की जॉब छोड़कर राधा रानी की सेवा को ही अपना सब कुछ मान लिया और प्रेमानंद महाराज जी के साथ वृंदावन में ही रहने लगे.
श्याम सुखदानी बाबा: श्याम सुखदानी बाबा एक समय था जब गुड़गाँव से लेकर बैंगलोर जैसे बड़े-बड़े शहरों में इंजीनियरिंग की जॉब किया करते थे. लेकिन जब जीवन का मकसद समझ में आ जाए तो दुनिया की महँगी से महँगी चीज़ भी मोहक लगने लगती है. ऐसा ही कुछ हुआ श्याम सुखदानी बाबा के साथ. ये प्रेमानंद महाराज से इतने अधिक प्रभावित हुए कि संसार की मोह-माया को ही त्याग दिया और अपना पूरा जीवन राधा रानी और प्रेमानंद महाराज जी की सेवा में अर्पण कर दिया.
श्यामाश शरण बाबा: प्रेमानंद महाराज के पाँच पांडवों में शामिल श्यामाश शरण बाबा कानपुर के रहने वाले हैं. इनका प्रेमानंद महाराज से रिश्ता बेहद खास है. बता दें कि श्यामाश शरण बाबा प्रेमानंद महाराज के भतीजे हैं. ये बचपन से ही महाराज जी से इतने अधिक प्रभावित हुए कि कम उम्र में ही अपना घर, मोह-माया को त्याग दिया और महाराज जी के साथ रहने लगे.
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आपको प्रेमानंद महाराज जी के पाँच पांडवों के बारे में जानकर कैसा लगा? हमें अपनी राय कमेंट कर जरूर बताएँ.
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