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जहां पत्थर करता है भविष्यवाणी, जानिए कर्नाटक के दिव्य मंदिर का रहस्य

कर्नाटक में स्थित श्री गुड्डदा रंगनाथस्वामी मंदिर अपनी रहस्यमयी दिव्य पत्थर के लिए प्रसिद्ध है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह भक्तों की मन्नत पूरी होने का संकेत देता है. 12वीं शताब्दी में संत रामानुजाचार्य के शिष्यों के द्वारा निर्मित यह मंदिर दक्षिण भारतीय कला और आस्था का सुंदर प्रतीक है. कहा जाता है कि संत रामानुजाचार्य ने इस पत्थर को तकिए की तरह इस्तेमाल किया था. आज भी यह चमत्कारी पत्थर भक्तों की श्रद्धा और विश्वास का केंद्र बना हुआ है.

12 Oct, 2025
( Updated: 08 Dec, 2025
01:55 AM )
जहां पत्थर करता है भविष्यवाणी, जानिए कर्नाटक के दिव्य मंदिर का रहस्य

दक्षिण भारत में भगवान विष्णु को अलग-अलग रूपों में पूजा जाता है और हर मंदिर की अपनी अनोखी मान्यता है. कहीं भगवान विष्णु एक ईंट पर खड़े होकर भक्तों का इंतजार कर रहे हैं तो कहीं दिव्य पत्थर को ही भगवान मानकर पूजा जा रहा है. ऐसा ही कर्नाटक के अमरगिरि के पास स्थित श्री गुड्डदा रंगनाथस्वामी मंदिर भी अपने दिव्य पत्थर के लिए प्रसिद्ध है. माना जाता है कि दिव्य पत्थर से ये पता किया जा सकता है कि भक्तों की इच्छा पूरी होने वाली है या नहीं. श्री गुड्डदा रंगनाथस्वामी मंदिर कर्नाटक के हासन जिले के चन्नरायपट्टा गांव के चिक्कोनहल्ली में है. माना जाता है कि मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी के दौरान हुआ था. मंदिर की बनावट भी बहुत पुरानी है, जो दक्षिण भारत की कला और संस्कृति को दर्शाती है.

श्री गुड्डदा रंगनाथस्वामी मंदिर को किसने बनवाया?

इस मंदिर को बनाने का श्रेय संत और धर्मगुरु श्री रामानुजाचार्य को दिया जाता है. माना जाता है कि श्री रामानुजाचार्य जब मेलुकोटे आए थे तो रात को रुकने के लिए चिक्कोनहल्ली स्थान को चुना. उन्हें वहां भगवान विष्णु के होने का आभास मिला. उन्होंने ये बात अपने नगर के लोगों से कही और भगवान विष्णु का मंदिर बनाने के लिए कहा. संत और धर्मगुरु श्री रामानुजाचार्य की बात मानकर लोगों ने वहां भगवान विष्णु की स्थापना की और रोज उनकी पूजा करने लगे. मंदिर में विष्णु भगवान की प्रतिमा भी अद्भुत है, जो भगवान राम के धनुष अवतार से मिलती है, लेकिन बाद में मुगल काल के दौरान मंदिर रंगनाथस्वामी को समर्पित कर दिया गया.

इस स्थान का नाम श्री गुड्डदा रंगनाथस्वामी मंदिर कैसे पड़ा?

कहा जाता है कि ये फैसला मंदिर को आक्रमणकारियों से बचाने के लिए लिया गया. मुगल काल के दौरान आक्रमणकारियों ने इस मंदिर में घुसकर तोड़फोड़ भी की, जिसके बाद मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया. ये मंदिर पहाड़ की चोटी पर बना है, जिसकी वजह से मंदिर का नाम श्री गुड्डदा रंगनाथस्वामी मंदिर पड़ा. साउथ में “गुड्डदा” को पहाड़ कहते हैं.

मन्नत पूरी करने वाले चमत्कारी पत्थर का क्या है रहस्य?

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इस मंदिर में एक पत्थर भी है, जिसे चमत्कारी और रहस्यमयी माना जाता है. भक्तों की पत्थर को लेकर मान्यता है कि जो भी पत्थर पर बैठकर मन्नत मांगता है, तो पत्थर खुद बता देता है कि मन्नत पूरी होगी या नहीं. चमत्कारी पत्थर भी संत रामानुजाचार्य से जुड़ा है, वे इसे तकिए की तरह इस्तेमाल करते थे. ये पत्थर इतनी तेजी से घूमता है कि इस पर बैठने वाला इंसान भी अपनी जगह से हिल जाता है. अगर पत्थर बाईं तरफ जाएगा तो मन्नत पूरी होगी और अगर पत्थर दाईं तरफ जाएगा तो मन्नत पूरी नहीं होगी.

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