सूतक में कथा वाचने वाले कथावाचक मोरारी बापू से जुड़े विवादों का सच क्या है ?
क्या आप जानते हैं, राम कथा करने में जितने निपुण मोरारी बापू हैं, विवादों से भी उतना ही घिरे रहते हैं. उनकी कथाओं में जब राम के साथ अली मौला का नाम आता है, तो विवाद खड़ा हो जाता है… उनके मंच से जब मंदिर में नमाज़ पढ़ने का न्यौता दिया जाता है, तो हिंदू संगठन भड़क उठते हैं. कभी उन पर हमले की साज़िश होती है, तो कभी वे स्वयं 'सूतक' में कथा कहने काशी पहुँच जाते हैं... मोरारी बापू से जुड़े ऐसे ही विवादों पर देखिए हमारी आज की स्पेशल रिपोर्ट.
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रामकथा वाचन के लिए प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बापू, इस देश की एक ऐसी प्रभावशाली शख़्सियत हैं, जिन्होंने विदेशी धरती को भी आध्यात्म का रास्ता दिखाया है. करोड़ों की संख्या में इनके फॉलोवर हैं. इनकी कथाओं में जन सैलाब उमड़ता है. ख़ुद के पैतृक गाँव तलगाजरदा से इन्होंने रामकथा कहनी शुरू की और आज की तारीख में 900 से अधिक कथाएं कर चुके हैं.
जो लोग मोरारी बापू पर कथा करने के लाखों-करोड़ों रुपये लेने के आरोप लगाते हैं, उन्हें यह मालूम होना चाहिए कि इनकी कथाओं से जुटी धनराशि का उपयोग जनसेवा में होता है. राम मंदिर निर्माण में अत्यधिक धनराशि देने का रिकॉर्ड भी इन्हीं के नाम है. लेकिन क्या आप जानते हैं, रामकथा करने में मोरारी बापू जितने निपुण हैं, विवादों से भी उतना ही घिरे रहते हैं. इनकी कथाओं में जब राम के साथ ‘अली मौला’ का नाम लिया जाता है, तो विवाद खड़ा हो जाता है. इनके मंच से जब मंदिर में नमाज़ करने का न्यौता दिया जाता है, तो कई हिंदू संगठन भड़क उठते हैं. कभी उन पर हमले की कोशिश होती है, तो कभी ये स्वयं ‘सूतक’ में कथा वाचन करने काशी पहुँच जाते हैं. मोरारी बापू से जुड़े ऐसे ही विवादों पर देखिए, आज की हमारी यह स्पेशल रिपोर्ट.
पत्नी की मृत्यु के बाद से ही देश के जाने-माने कथावाचक मोरारी बापू विवादों में घिर गए हैं. कभी काशी का संत समाज उनके खिलाफ खड़ा हो जाता है, तो कभी ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य उन्हें धर्मदंड की सज़ा सुना देते हैं. दरअसल, 12 जून को मोरारी बापू की पत्नी का निधन हुआ. इसके दो दिन बाद, 14 जून को वे काशी पहुँचे, जहाँ उन्होंने बाबा विश्वनाथ का दर्शन-पूजन किया और राम कथा भी की. लेकिन मोरारी बापू की यह धार्मिक गतिविधियाँ संत समाज को खटक गईं. संतों ने उन पर सूतक काल के दौरान धार्मिक परंपराओं का उल्लंघन करने और मर्यादाओं की अनदेखी करने का आरोप लगाया. इसी क्रम में, उन्हें ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज के कड़े तेवरों का सामना भी करना पड़ा. शंकराचार्य ने कहा, "उन्होंने बाबा विश्वनाथ का दर्शन, पूजन और अभिषेक भी किया. यह सबसे बड़ा सवाल है कि सूतक में यह कैसे संभव हो सकता है? उनके पास जो शास्त्र है, वह लाएँ और दिखाएँ कि कहाँ लिखा है कि सूतक में कथा और दर्शन-पूजन किया जाता है." उन्होंने आगे कहा, "हमारे यहाँ संबंधों से बड़ा शास्त्र होता है. यदि उसका पालन नहीं किया जाएगा, तो विरोध ज़रूरी होगा. अगर वे अपने किए गए कर्म का पश्चाताप नहीं करेंगे, तो यमराज उन्हें दंड देंगे."
देखा जाए, तो इस पूरे मामले में मोरारी बापू माफ़ी माँग चुके हैं. लेकिन माफ़ी के साथ-साथ शास्त्र अनुसार स्पष्टीकरण देने की जो बात उन्होंने कही, वही संतों की नाराज़गी का कारण बनी रही. हालांकि यह पहला अवसर नहीं है जब मोरारी बापू को संत समाज के ग़ुस्से का सामना करना पड़ा हो. इस कड़ी में ऐसे कई मामले हैं, जहाँ मोरारी बापू के कहे गए शब्द उनके लिए विवाद का कारण बन गए. 2019 का ‘नीलकंठ विवाद’ आज भी भुलाया नहीं जा सकता. दरअसल, अपने प्रवचन में मोरारी बापू ने कहा था कि "जहाँ नीलकंठ अभिषेक की बात आए, वहाँ शिव का ही अभिषेक होता है. अगर कोई अपनी शाखाओं में नीलकंठ का अभिषेक करता है, तो वह नकली है." बस, यहीं से विवाद खड़ा हो गया. स्वामीनारायण संप्रदाय के अनुयायियों ने इस बयान को अपना अपमान मान लिया. उनके लिए ‘नीलकंठ’ स्वयं स्वामीनारायण भगवान हैं. इस टिप्पणी के बाद संप्रदाय के भीतर भारी आक्रोश देखने को मिला. इसके बाद 2020 में मोरारी बापू एक बार फिर विवादों में आ गए, जब वे भगवान द्वारकाधीश के चरणों में शीश नवाने द्वारिका पहुँचे. वहाँ कथित रूप से उन पर आत्मघाती हमले की कोशिश की गई. इस हमले का 31 सेकंड का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था, जिसने सनसनी फैला दी थी.
हैरान करने वाली बात यह है कि यह हमलावर कोई और नहीं, बल्कि खुद पूर्व विधायक पुंडरीक माणेक थे. उनकी नाराज़गी की वजह मोरारी बापू की कथित रूप से श्रीकृष्ण और बलराम के खिलाफ की गई विवादित टिप्पणी थी. पूर्व विधायक माणेक का आरोप था कि मोरारी बापू ने उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर स्थित आदि शक्तिपीठ में रामकथा के दौरान भगवान बलराम का अपमान किया था. कथित रूप से उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण के भाई बलराम मदिरापान करते थे. जबकि संत समाज का कहना है कि यह कथन पूरी तरह असत्य और अपमानजनक है.
मोरारी बापू का मंदिर में नमाज़ पढ़ने का न्यौता देना और कथाओं में 'अली मौला' का उल्लेख करना भी हिंदू संगठनों और संतों को नागवार गुजरा. बताया जाता है कि मोरारी बापू ने अपने आश्रम में बने राम मंदिर में मुस्लिम समुदाय को नमाज़ पढ़ने का निमंत्रण दिया था. इसके बाद भारी बवाल मच गया. हालांकि, बापू का यह बयान हनुमान चालीसा और नमाज़ विवाद के संदर्भ में था, जिसे कई लोगों ने तोड़-मरोड़कर पेश किया. इसी सिलसिले में मोरारी बापू पर यह आरोप भी लगता है कि उनकी कथाओं में 'अली मौला' जैसे शब्दों का उपयोग किया जाता है, और कथाओं से प्राप्त धनराशि का उपयोग मुस्लिम समुदाय की शिक्षा में किया जाता है. कुछ संगठनों का कहना है कि यह सनातन परंपरा के ख़िलाफ़ है. तो देखा आपने, हमेशा सुर्खियों में रहने वाले मोरारी बापू जब भी कुछ बोलते हैं या करते हैं, तो उससे कोई न कोई विवाद ज़रूर खड़ा हो जाता है.
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