महाअष्टमी पर क्या है कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त, किस विधि से करें हवन? जानें किन बातों का रखें ध्यान
नवरात्रि का त्योहार जितना स्पेशल होता है, उतनी ही स्पेशल इसकी अष्टमी और नवमी भी होती हैं. क्योंकि यह समय मां दुर्गा की विदाई के लिए खास होता है. मान्यता है कि इस दौरान जो भक्त मां की कृपा पाना चाहता है, उसे नौ कन्याओं को भोजन जरूर करवाना चाहिए. हवन जरूर करना चाहिए.
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नवरात्रि का त्योहार 22 सितंबर से शुरू हुआ और 1 अक्टूबर को समाप्त होगा. ज्योतिषियों के अनुसार, इस बार नवरात्रि का पर्व बहुत ही शुभ है. क्योंकि इस बार नवरात्रि 9 नहीं, बल्कि 10 दिनों तक चलने वाली है और जब भी नवरात्रि बढ़ती है, तो यह बहुत शुभ होता है. ऐसे में नवरात्रि में महाअष्टमी का शुभ मुहूर्त आज 29 सितंबर शाम 4 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर 30 सितंबर शाम 6 बजकर 6 मिनट तक चलेगा. लेकिन इस दौरान कन्या पूजन कैसे और किस मुहूर्त में किया जाए? हवन किस तरह किया जाए? किन बातों का ध्यान रखा जाएं ? आइए जानते हैं…
नवरात्रि में कन्या पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
कल यानी महाअष्टमी पर कन्या पूजन के कई सारे मुहूर्त हैं. इनमें सबसे पहला मुहूर्त सुबह 5 बजकर 01 मिनट से शुरू होकर सुबह 6 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. यह मुहूर्त सबसे शुभ रहेगा. दूसरा मुहूर्त सुबह 10 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 11 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा, आप अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11 बजकर 47 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट के बीच भी अष्टमी का कन्या पूजन कर सकते हैं. यह भी आपके लिए शुभ रहेगा.
महाअष्टमी के दिन हवन क्यों करना चाहिए?
महाअष्टमी का दिन मां दुर्गा की पूजा और हवन के लिए सबसे उत्तम माना जाता है. कहा जाता है कि इस दौरान जो भी भक्त हवन करता है, उस पर मां दुर्गा की विशेष कृपा बनी रहती है. ऐसे में आप भी इस तरह हवन कर सकते हैं.
महाअष्टमी हवन विधि
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई और स्नान आदि से मुक्त हो जाएं. इसके बाद हवन के लिए हवन कुंड की स्थापना करें. गंगाजल छिड़ककर इसे शुद्ध करें. फिर आम की लकड़ी, घी, कपूर समेत हवन सामग्री एकत्र कर लें. इसके बाद कुंड में अग्नि प्रज्वलित करें. फिर अग्निदेव का आह्वान करें. इसके बाद 108 बार हवन आहुति डालें, हवन सामग्री डालें और एक-एक कर सारा सामान डालें. फिर मां दुर्गा की आरती कर माता को पूरी-हलवे का भोग लगाएं. मां दुर्गा से अपनी गलतियों की माफी मांगकर अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें.
इस तरह करें कन्या पूजन
महाअष्टमी में कन्या पूजन के लिए सबसे पहले कन्याओं को आमंत्रित करें. जब कन्याएं आपके घर में प्रवेश करें, तो सबसे पहले साफ जल से उनके पैर धुलवाएं और पैर छूकर आशीर्वाद लें. उसके बाद कन्याओं के लिए लाल चंदन या कुमकुम का तिलक लगाएं. इसके बाद उन्हें भोग लगाकर भोजन करवाएं और उन्हें उपहार देकर ही विदा करें.
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किन गलतियों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए?
- इस दौरान अगर सात्विक भोजन ही करना चाहिए. तामसिक भोजन से बचें.
- अगर कोई बच्चा शरारत करे तो उस पर गुस्सा न करें. वरना पूजा का फल नष्ट हो सकता है.
- पूजा के दौरान काले कपड़े भूलकर भी न पहनें. इसे अशुभ माना जाता है.
- इस दौरान नाखून या बाल भूलकर भी न काटें. इससे मां नाराज हो सकती हैं.
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