आज है नवरात्रि की अष्टमी: जानें मां महागौरी की पूजा विधि, उपाय और पौराणिक कथा
मां महागौरी की पूजा-अर्चना नवरात्रि की अष्टमी पर विशेष फलदायी मानी जाती है. सही विधि और श्रद्धा से पूजा करने से जीवन में शांति और मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं. मां की कृपा पाने के लिए इस विधि से पूजा करें, इन उपायों को करें और पौराणिक कथा को जरुर पढ़े.
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नवरात्रि का त्यौहार 22 सितंबर से शुरू हुआ और 1 अक्टूबर तक चलने वाला है. ऐसे में आज नवरात्रि की अष्टमी है. ये दिन मां महागौरी को समर्पित होता है. मान्यता है कि इस दिन मां महागौरी की पूजा-अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. ऐसे में आप इस दिन सही विधि से पूजा-अर्चना कर मां की कृपा पा सकते हैं, तो आइए जानते हैं आज किस विधि से पूजा-अर्चना करें, किन उपायों से मां को खुश करें और मां महागौरी से जुड़ी कौन-सी कथा है जिसे पढ़ने जीवन में सुख शांति आती है.
किस विधि से करें मां महागौरी की पूजा?
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा के लिए भक्त को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करना है. मां महागौरी के व्रत और पूजन का संकल्प लेना है. फिर घर के ईशान कोण में देवी महागौरी का चित्र या मूर्ति रखकर उस पर पवित्र जल या गंगाजल छिड़कना है. इसके बाद माता को सफेद पुष्प अर्पित करें. फिर देवी के सामने धूप-दीप जलाएं. चंदन-रोली, फल-मिठाई आदि अर्पित करते हुए माता के मंत्र का जप और उनके स्तोत्र का पाठ करें. इस तरह से की गई पूजा अच्छे परिणाम दिलाएगी.
मां महागौरी को खुश करने के उपाय
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के आठवें दिन जो भी भक्त देवी मां की पूजा में उनकी प्रिय चीजें चढ़ाता है, उसे मनोवांछित फल मिलता है. इस दिन देवी महागौरी को प्रसन्न करने के लिए भक्तों को माता की पूजा के दौरान सफेद फूल जरूर चढ़ाना चाहिए. इसी तरह माता के प्रिय भोग में भी नारियल जरूर डालना चाहिए. इससे जीवन में शांति बनी रहती है. क्योंकि मान्यता है कि मां महागौरी को नारियल और नारियल से बना भोग प्रसाद बहुत प्रिय है. इसलिए मां का आशीर्वाद पाने के लिए इन दो चीजों को जरूर करें.
महागौरी से जुड़ी पौराणिक कथा
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब देवी सती भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या कर रही थीं, उस दौरान उनके पूरे शरीर पर मिट्टी जमा हो गई. फिर महादेव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने का आशीर्वाद दिया. तब देवी मां ने गंगाजल से स्नान किया और उसके बाद उनका स्वरूप बहुत ही तेजस्वी हो गया. माता के उस गौर वर्ण रूप को देखकर महादेव ने उन्हें नाम दिया महागौरी. तब से सभी भक्त उन्हें महागौरी के नाम से पूजते हैं.
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