तिरुपति बालाजी मंदिर को मिला 121 किलो सोने का ऐतिहासिक दान, दुनिया भी रह गई दंग
तिरुमाला से एक ऐसी तस्वीर सामने आई, जिसमें भक्त-भगवान के बीच का अटूट बंधन भी है और श्रद्धा-भक्ति-सेवा का अनोखा संगम भी है. जिनकी चौखट के आगे दौलतमंदों से लेकर शक्तिशाली मुल्क नतमस्तक रहते हैं, वहीं से 121 किलो सोने की चमक ने अमेरिका और दुबई जैसे मुल्कों को बेहोशी में ला दिया है. नायडू के ज़रिए पीएम मोदी समेत हिंदुओं के सबसे बड़े आराध्य पर सोने की बरसात. तिरुपति बालाजी के दिव्य धाम को 140 करोड़ रुपये का दान. क्या है ये पूरा मामला, देखिए इस पर हमारी ये खास रिपोर्ट.
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तिरुमाला से एक ऐसी तस्वीर सामने आई, जिसमें भक्त-भगवान के बीच का अटूट बंधन भी है और श्रद्धा-भक्ति-सेवा का अनोखा संगम भी है. जिनकी चौखट के आगे दौलतमंदों से लेकर शक्तिशाली मुल्क नतमस्तक रहते हैं, वहीं से 121 किलो सोने की चमक ने अमेरिका और दुबई जैसे मुल्कों को बेहोशी में ला दिया है. नायडू के जरिए पीएम मोदी समेत हिंदुओं के सबसे बड़े आराध्य पर सोने की बरसात. तिरुपति बालाजी के दिव्य धाम को 140 करोड़ रुपये का दान. क्या है ये पूरा मामला, देखिए इस पर हमारी ये खास रिपोर्ट.
हिंदुओं का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल, तिरुपति बालाजी मंदिर, भगवान वेंकटेश्वर की इस दुनिया का रहस्य आज तक कोई सुलझा नहीं पाया. जितना रहस्यमय है, उतना चमत्कारी भी. यहाँ भगवान वेंकटेश्वर की अलौलिक प्रतिमा इतनी चमत्कारी है कि यहाँ आने वाले प्रत्येक शख़्स को यही प्रतीत होता है कि पूरी की पूरी प्रतिमा जीवंत है. मतलब यह कि आँखों देखे भगवान वेंकटेश्वर के साक्षात दर्शन होते हैं. बाक़ायदा मंदिर का तापमान कम रखा जाता है क्योंकि प्रतिमा पर पसीने की बूंदें साफ़ नज़र आती हैं. प्रतिमा पर चंदन का लेप लगाने की जो परंपरा है, उसमें माँ लक्ष्मी के साक्षात दर्शन होते हैं. मंदिर के गर्भगृह में मौजूद एक दीपक हमेशा प्रज्वलित रहता है. ना ही इसमें तेल डाला जाता है और ना कभी घी, फिर भी यह सदैव प्रकाशमय रहता है. इतना चमत्कारी और पवित्र है कि प्रभु तिरुपति बालाजी की चौखट से कभी कोई भक्त खाली हाथ नहीं जाता, जिस कारण मंदिर की दानपेटी करोड़ों रुपये से भरी रहती है. अबकी बार महाप्रभु की चौखट से भक्ति और समर्पण का सबूत 121 किलो सोने के रूप में दिखा है. पहली दफ़ा प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने मंदिर को मिलने वाले 121 किलो सोने के दान के बारे में बताया.
यह जगजाहिर है कि ना सिर्फ़ भारत बल्कि दुनिया के अमीर मंदिरों में तिरुपति बालाजी का नाम गिना जाता है. दुनिया के तमाम दौलतमंद और शक्तिशाली देश यहाँ नतमस्तक हो जाते हैं. भक्त द्वारा दान देना मंदिर की परंपरा है, जिस कारण एक आम आदमी से लेकर उद्योगपति, नेता और अभिनेता हर कोई तिरुपति बालाजी के धाम में आकर दान करता है. आलम यह है कि बड़ी-बड़ी कंपनियों से लेकर तेल कंपनियाँ और शक्तिशाली देशों की दौलत भी तिरुपति बालाजी के अकूत ख़ज़ाने के आगे फीकी पड़ चुकी है. हाल ही में बहुत बड़ा दान मंदिर को मिला है. दानकर्ता का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन कितने का दान है और दान करने के पीछे की वजह क्या है, यह सब कुछ मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने बताया है.
दरअसल इस ऐतिहासिक दान की जानकारी स्वयं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने सार्वजनिक की, जिसके बाद यह दान देशभर में चर्चा का विषय बन गया है. मुख्यमंत्री ने बताया कि एक भक्त द्वारा मंदिर को 121 किलो सोने का दान दिया गया है. दरअसल इस भक्त ने तिरुपति बालाजी से प्रार्थना करके अपने जिस काम-धंधे की शुरुआत की, उसमें समय के साथ-साथ करोड़ों का मुनाफ़ा होने लगा. तिरुपति बालाजी के नाम से उसका बिज़नेस खड़ा हो गया. हालाँकि मन में सदैव मंदिर को 121 किलो सोना भेंट करने का संकल्प था, जिसे अब जाकर उसने पूरा किया. अब सवाल उठता है कि भक्त द्वारा 121 किलो सोना ही क्यों? दरअसल प्रतिदिन भगवान तिरुपति बालाजी को 120 किलो सोने के आभूषणों से सजाया जाता है और भक्त के मन में इससे अधिक योगदान देने की चाह थी. इसी कारण 121 किलो सोना भेंट किया गया, जिसकी क़ीमत 140 करोड़ रुपये आँकी जा रही है.
मंदिर के प्रति लोगों के मन में कितनी आस्था है, इसका अंदाज़ा इसी से लगाइए कि जापान, अमेरिका और दुबई जैसे देशों से बड़ी संख्या में यहाँ विदेशी श्रद्धालु आते हैं. वे न केवल नक़दी बल्कि सोना, चाँदी, हीरे, आभूषण, प्रॉपर्टी और यहाँ तक कि गाय का दान भी करके जाते हैं. प्रभु तिरुपति बालाजी की चौखट पर भक्त द्वारा अर्पित किया गया 1 रुपया भी उतनी ही क़ीमत रखता है, जितना करोड़ों रुपये का आभूषण.
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