“महादेवी” हथिनी को लेकर मचा बवाल, वनतारा से जैन मठ में क्या होगी वापसी ?
वनतारा से महादेवी को वापस लाओ के नारे लग रहे हैं, सड़कों पर साधु-संतों की फ़ौज उतर आई है, साइलेंट प्रोटेस्ट में जीओ का बहिष्कार किया जा रहा है। ऐसे में क्या पीएम मोदी के रहते अंबानी के वनतारा से जैन मठ में हो पाएगी महादेवी की वापसी ? ये पूरा माजरा क्या है ? इसी पर देखिये आज की हमारी ये स्पेशल रिपोर्ट.
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महाराष्ट्र से गुजरात तक , महादेवी हथिनी की घर वापसी को लेकर बवाल मचा हुआ है। वनतारा से महादेवी को वापस लाओ के नारे लग रहे हैं, सड़कों पर साधु-संतों की फ़ौज उतर आई है, साइलेंट प्रोटेस्ट में जीओ का बहिष्कार किया जा रहा है। ऐसे में क्या पीएम मोदी के रहते अंबानी के वनतारा से जैन मठ में हो पाएगी महादेवी की वापसी ? ये पूरा माजरा क्या है ?
गुजरात के जामनगर रिफ़ाइनरी कॉम्पलेक्स के भीतर 3 हज़ार एकड़ में फैला वनतारा उद्योगपति मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी की वो दिमाग़ी उपज है , जो आज की डेट में जंगली जानवरों का सबसे बड़ा आशियाना बना हुआ है। जंगल का यही सितारा दुनिया का सबसे बड़ा वन्यजीव बचाव केंद्र है, जहां प्रताड़ित, घायल और संकटग्रस्त जानवरों को एक नई ज़िंदगी मिलती है। इसी नयी ज़िंदगी की तलाश में महाराष्ट्र के कोल्हापुर से 36 वर्षीय महादेवी हथिनी वनतारा क्या पहुँची, पूरे महाराष्ट्र में बवाल मच गया। इस पूरे मामले की शुरुआत कोल्हापुर के स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक पत्ताचार्य महास्वामी संस्था (जैन मठ) से होती है, जहां महादेवी हथिनी को उस वक़्त लाया गया, जब वो महज 3 साल की थी। पिछले 33 वर्षों से महादेवी हथिनी मठ के धार्मिक जुलूसों में शामिल होती आई है, लेकिन महादेवी हथिनी के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया गया। जिसका नतीजा ये हुआ कि कठोर कंक्रीट फर्श पर लंबे समय तक खड़े रहने से उसे गंभीर बीमारियां हुईं, जैसे पैरों में सड़न, टूटे हुए नाखून, घिसे हुए पैरों के पैड और ग्रेड 4 का गठिया । कथित तौर पर कहा जा रहा है कि महादेवी हथिनी मानसिक रूप से बीमार थी, जिसके चलते साल 2017 में मठ के मुख्य पुजारी पर हमला किया। आरोप है कि महादेवी हथिनी पिछले 33 साल तक बिना किसी अन्य हथिनी के साथ संपर्क के एक कंक्रीट शेड में जंजीरों में जकड़ी रही, नुकीली लोहे की छड़ से उसे कंट्रोल किया जाता था और तो और, धार्मिक जुलूसों के नाम पर महादेवी हथिनी को सड़कों पर भीख माँगने के लिए मजबूर किया जाता था । मतलब ये कि एक लंबे समय से महादेवी हथिनी का शोषण होता रहा और जब इसके ख़िलाफ़ पशु अधिकार संगठन पेटा ने आवाज़ उठाई, हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया तो हथिनी को गुजरात के वनतारा में स्थानांतरित करने का फैसला सुनाया गया। अदालती आदेश का सम्मान करते हुए, मठाधीश और ग्रामीणों ने आखिरकार हथिनी को भावभीनी विदाई के साथ उसे भेज दिया था, लेकिन अब उन्हें महादेवी की कमी खल रही है। अब वे महादेवी को वापस नंदिनी मठ भेजे जाने की मांग कर रहे हैं। हालाँकि इस माँग के बीच वनतारा को स्थानीय लोगों का ग़ुस्सा झेलना पड़ रहा है। मतलब ये कि हथिनी महादेवी की आजादी पर फिर से संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
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ख़बरों की मानें, महादेवी हथिनी को वापस लाने का विवाद तेज़ हो गया है, जिसके चलते कोल्हापुर के करीब 700 से भी ज्यादा गांवों में लोगों ने रिलायंस की सेवाओं का भी बहिष्कार करना शुरु कर दिया है..और यही बहिष्कार अंबानी का सिरदर्द भी बनी हुई है। स्थानीय लोगों के मन में है कि वनतारा से उनकी महादेवी हथिनी की वापसी नहीं होनी है, जब की ऐसा नहीं है….5 दिन पहले इंस्टाग्राम पर वनतारा की तरफ़ से महादेवी हथिनी की कुछ तस्वीरें शेयर की गई और ये बताया गया कि महादेवी यानी की माधुरी सुरक्षित वनतारा में पहुँच गई है और धीरे-धीरे जंगल के वातावरण में ख़ुद को ढाल रही है। वो ख़ुद की आज़ादी का आनंद ले पा रही है। संवेदनशील इलाज से गुजर रही है। मतलब बिलकुल साफ़ है कि जंगल के वातावरण में स्वस्थ महादेवी ख़ुद को ज़्यादा सुरक्षित महसूस कर रही है, लेकिन क्या अब उसकी घर वापसी होनी चाहिए ? यही सवाल इस पूरे विवाद की जड़ बना हुआ है। इस पूरे विवाद को सुलझाने प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेद्र फडणवीस सामने आ चुके हैं , इसलिए ये देखना बाक़ी है कि कोर्ट के फ़ैसले विरोध होगा या फिर स्वीकार्यता ? अंत सवाल यही उठता है कि पीएम मोदी के रहते क्या अंबानी के वनतारा से हो पाएगी “महादेवी” की घर वापसी ?
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