बंगाल हिंसा के बीच शंकराचार्य की भविष्यवाणी से ममता की सिट्टी-पिट्टी गुम
दीदी की कुर्सी पर ख़तरे के बादल मंडरा रहे हैं और इसी ख़तरे के बीच अब देश के शंकराचार्य दीदी को इस लायक़ भी नहीं समझा पा रहे हैं कि वो दंगों की आग को शांत कर पाये…आलम ये है कि , भाजपा के साथ-साथ अब स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज भी बंगाल में राष्ट्रपति शासन की माँग कर रहे हैं.
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आज अगर यूपी-बिहार-महाराष्ट्र में देश का मुसलमान वक़्फ़ क़ानून से बेफिक्र है, तो फिर पश्चिम बंगाल में वक़्फ़ की आड़ में हिंसक दंगे क्यों ? देश की अत्याधिक मुस्लिम आबादी यूपी में बसती है, तो फिर मुस्लिम बहुल मुर्शीदाबाद में दंगे क्यों ? चंडी पाठ करने वाली दीदी की सत्ता में हिंदुओं का पलायन क्यों ? इन्हीं सवालों के चलते दीदी की कुर्सी पर ख़तरे के बादल मंडरा रहे हैं और इसी ख़तरे के बीच अब देश के शंकराचार्य दीदी को इस लायक़ भी नहीं समझा पा रहे हैं कि वो दंगों की आग को शांत कर पाये आलम ये है कि, भाजपा के साथ-साथ अब स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज भी बंगाल में राष्ट्रपति शासन की माँग कर रहे हैं.
ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज समाज में पूजी जाने वाली एक ऐसा प्रभावशाली शख़्सियत है, जिन्होंने धर्म पथ पर चलकर समय-समय पर देश का मार्गदर्शन किया है. शास्त्र के विरुद्ध जाकर किये गये कार्यों को उन्होंने कभी स्वीकारा नहीं. सरकार किसी की भी हो, जहां कभी ग़लत होता देखा, उसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई हालाँकि अपने बयानों के चलते विवादों में भी रहते हैं, क्योंकि ये वहीं शंकराचार्य हैं, जिन्होंने ये सदैव माना कि मोदी के प्रधानमंत्री बन जाने के बाद हिंदुओं का स्वाभिमान जागा है. विश्व पटल पर सनातन की चमक वापस लौटी है. पीएम मोदी को एक बहादुर जन नायक माना है, लेकिन पीएम मोदी हाथों होने वाली रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर भी सवाल उठाए थे, अधूरे मंदिर का तर्क दिया था. हाल ही में महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर हुए हादसे को लेकर योगी के इस्तीफ़े की माँग कर डाली थी. एक लंबे समय से गौ को राष्ट्रीय माता का दर्जा दिलाने के विष संघर्ष कर रहे हैं. खुलकर कहते हैं, पीएम मोदी को तभी एक सच्चा शिव भक्त माना जा सकता है, जब तक की वो गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध ना लगा दे. इसी कड़ी में अब स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बंगाल की क्वीन कहे जाने वाली ममता बनर्जी को आईना दिखाया है. दीदी के इस भ्रम को तोड़ा है कि वो बंगाल को सँभाल सकती है, तभी तो मुर्शीदाबाद हिंसा के बाद शंकराचार्य बंगाल में राष्ट्रपति शासन लाने की वकालत कर रहे हैं. इसको लेकर शंकराचार्य का कहना है. बंगाल में स्थित को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रपति शासन लागू करना चाहिए। केंद्र सरकार को वहां की स्थिति पर राजनीति करना है और फोटो बनवाना है। अभी भी समय है गौ माता की रक्षा के लिए बंगाल के हिंदू खड़े हो जाएं और जो गौ माता को मारने आए उसे मारना शुरू करें।
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अब जब दंगों का आग में हिंदुओं की दुकानें जलकर राक हो चुकी है. हिंदुओं के घर-बार लूटे जा चुके हैं. चरमपंथियों की भीड़ ने पिता-बेटा और एक नाबालिग को मौत के घाट उतार दिया है. हिंदू ख़ुद के राज्य से पलायन करने पर मजबूर है, तो ऐसे में ममता को क्या हिंदू हितैषी समझा जा सकता है ? वक्फ के विरोध में हिंदुओं का कत्लेआम किया गया, जबकी दीदी ख़ुद वक़्फ़ संसोधन क़ानून के विरोध में है. .प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ तो दीदी ने मृत्यु कुंभ बताया था, लेकिन आज उन्हीं के गढ़ में मातम पसरा हुआ है. ऐसे में शंकराचार्य द्वारा राष्ट्रपति शासन लगाने की माँग क्या उचित है, क्योंकि देश का संविधान कहता है..किसी भी राज्य में संवैधानिक तंत्र के विफल होने पर राज्य की सरकार को बर्खास्त करके , केंद्र के प्रत्यक्ष नियंत्रण में राष्ट्रपति शासन स्थापित किया जा सकता है.
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