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Sawan Shivratri 2025: सावन शिवरात्रि का क्यों है इतना महत्व.. जानें पूजा की विधि

भोलेनाथ को सावन का महीना सबसे प्रिय होता है. शिव पुराण में सावन को लेकर कई बाते कही गई है. ऐसा माना जाता है कि भोलेनाथ की पूजा सावन महीने में करने से साधक की सभी मनोकामना पूरी होती है और भगवान शिव की अपने भक्तों पर असीम कृपा बनी रहती है.

Created By: NMF News
04 Jun, 2025
( Updated: 04 Dec, 2025
12:04 AM )
Sawan Shivratri 2025: सावन शिवरात्रि का क्यों है इतना महत्व.. जानें पूजा की विधि

सावन का महीना... वह पवित्र समय जब धरती हरियाली ओढ़ती है और वातावरण शिवमय हो उठता है. और इस माह की सबसे विशेष रात्रि सावन शिवरात्रि, जब भक्तजन व्रत, उपवास, जलाभिषेक और भजन-कीर्तन के माध्यम से भगवान शिव को समर्पित हो जाते हैं और हर तरफ़ ‘बोल बम’ के जयकारे की गूंज सुनाई देती है. सावन शिवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, बल्कि भक्ति, तपस्या और आत्मशुद्धि का एक बड़ा अवसर है. ऐसे में हम आपको बताएंगे – क्या है शिवरात्रि का महत्व, कब है शुभ समय और कैसे होती है सावन शिवरात्रि की पूजा.

भोलेनाथ को सावन का महीना सबसे प्रिय होता है. शिव पुराण में सावन को लेकर कई बातें कही गई हैं. यूं तो साल भर भगवान शिव की पूजा की जाती है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि भोलेनाथ की पूजा सावन महीने में करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और भगवान शिव की अपने भक्तों पर असीम कृपा बनी रहती है. यह महीना इतना पावन और शुभ होता है कि जो भी भक्त अपने कष्ट लेकर महादेव के पास आता है, उसके हर दुख दूर होते हैं.

सावन शिवरात्रि का शुभ समय

सावन शिवरात्रि इस साल जुलाई महीने के अंत में पड़ेगी. वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन महीने की शुरुआत 23 जुलाई को सुबह 4 बजकर 39 मिनट पर होगी और समापन 24 जुलाई को देर रात 2 बजकर 28 मिनट पर होगा. यूं तो हर महीने मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है और उस दिन विशेष पूजा का महत्व होता है. इस दिन व्रत और संकल्प के साथ विशेष पूजा की जाती है. इस साल सावन शिवरात्रि 23 जुलाई को निशा काल में मनाई जाएगी, जिसका शुभ मुहूर्त रात 12:07 से 12:48 तक रहेगा.

पूजा की विधि

  • सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करें.
  • पूजा घर को अच्छे से साफ करें.
  • फिर भगवान शिव की प्रतिमा या मंदिर में स्थापित शिवलिंग का पंचामृत और गंगाजल से जलाभिषेक करें.
  • शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, फूल और धतूरा चढ़ाएं.
  • फिर भगवान के सामने दीपक जलाएं.
  • रुद्राक्ष की माला से 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें और अंत में शिव के चरणों में शीश नवाएं.

महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में अंतर:

महाशिवरात्रि:

  • महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है.
  • इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था.
  • यह पर्व साल में केवल एक बार मनाया जाता है.
  • इस दिन व्रत करने से उत्तम वर की प्राप्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

शिवरात्रि:

  • शिवरात्रि हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है.
  • इस दिन भगवान शिव ने हलाहल विष को कंठ में धारण किया था.
  • यह हर महीने आती है, इसलिए इसे मासिक शिवरात्रि कहा जाता है.
  • इस दिन व्रत-पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

कांवड़ यात्रा और शिवभक्ति का पर्व

सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व होता है. भोलेनाथ के भक्त इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं. सावन महीने की सबसे बड़ी विशेषता होती है कांवड़ यात्रा, जिसमें भक्त हरिद्वार, गंगोत्री या अन्य पवित्र स्थलों से गंगा जल लाकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं.

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