संत प्रेमानंद महाराज की बिगड़ी तबीयत, सुबह की पदयात्रा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
सोशल मीडिया की सुर्खियों में बने रहने वाले प्रेमानंद महाराज इन दिनों भक्तों के बीच चर्चा में हैं. दरअसल इन दिनों महाराज जी का स्वास्थ्य खराब होने के कारण उनके भक्त काफी चिंतित हैं. अनिश्चित काल के लिए सुबह होने वाली पैदल यात्रा को भी स्थगित कर दिया गया है. पूरी जानकारी के लिए आगे पढ़ें…
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वृंदावन के विख्यात संत प्रेमानंद महाराज की तबीयत खराब होने के कारण उनकी प्रतिदिन होने वाली सुबह की पदयात्रा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है. इसकी आधिकारिक घोषणा श्री हित राधा केली कुंज की ओर से सोशल मीडिया के माध्यम से की गई.
प्रेमानंद महाराज वृंदावन स्थित श्रीकृष्ण शरणम् सोसाइटी में निवास करते हैं. वह प्रतिदिन सुबह 4 बजे सोसाइटी से श्री हित राधा केली कुंज आश्रम तक पैदल यात्रा करते हैं. इस दौरान हजारों भक्त उनकी एक झलक पाने के लिए रात से ही मार्ग पर एकत्रित हो जाते हैं. मार्ग को रंगोलियों से सजाया जाता है और फूलों की वर्षा की जाती है.
प्रेमानंद महाराज की तबीयत बिगड़ी!
प्रेमानंद महाराज लंबे समय से गुर्दे की बीमारी से पीड़ित हैं और उन्हें नियमित रूप से डायलिसिस करवाना पड़ता है. जानकारी के अनुसार, पिछले दो दिनों से वह अपनी सुबह की पदयात्रा पर नहीं निकल सके. इस दौरान सूचना के अभाव में कई भक्त हमेशा की तरह उनके दर्शन के लिए मार्ग पर प्रतीक्षा करते रहे. भक्तों की असुविधा को देखते हुए आश्रम की ओर से यह स्पष्ट किया गया कि स्वास्थ्य कारणों से उनकी पदयात्रा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया गया है.
भक्तों से की गई अपील
आश्रम की ओर से जारी सूचना में भक्तों से अपील की गई है कि वे दर्शन के लिए मार्ग पर प्रतीक्षा न करें. साथ ही, यह भी बताया गया कि प्रेमानंद महाराज का स्वास्थ्य उनकी प्राथमिकता है. गौरतलब है कि इससे पहले भी कई अवसरों पर उनकी सेहत के कारण यह पदयात्रा कई दिनों तक स्थगित की जा चुकी है.
महाराज जी के स्वास्थ्य होने की भक्त कर रहे हैं कामना
प्रेमानंद महाराज की यह पदयात्रा न केवल वृंदावन, बल्कि देश-विदेश के भक्तों के लिए आध्यात्मिक महत्व रखती है. उनके अनुयायी उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी भक्तों ने उनके स्वास्थ्य के लिए प्रार्थनाएं शुरू कर दी हैं.
कौन है प्रेमानंद महाराज?
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सोशल मीडिया की सुर्खियों में बने रहने वाले प्रेमानंद जी महाराज का असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है. इनका जन्म एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था. इनका परिवार भगवान के प्रति बहुत समर्पित था. दादा भी संन्यासी थे. जिस कारण पूरे घर में भक्ति का माहौल बना रहता था. महाराज जी के पिता ने भी जीवन में बाद के वर्षों में संन्यास ले लिया. घर में इतना पवित्र माहौल होने के कारण महाराज की रुचि आध्यात्मिकता की तरफ बढ़ने लगी. जिसके बाद पांचवीं कक्षा में ही उन्होंने भगवद्गीता को पढ़ना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे जीवन के हर पहलू को समझना शुरू किया और 13 वर्ष की उम्र में घर छोड़ दिया. ब्रह्माचारी बनने की दीक्षा ग्रहण कर ली. इसके अलावा उन्होंने अपने प्रवचनों के दौरान कई बार जिक्र किया है कि वो शुरुआत में भगवान शिव के भक्त थे. इसके बाद जब वो वृंदावन पहुँचे तो उन्होंने कभी नहीं सोचा होगा वो वृंदावन में ही निवास करने लगेंगे. यहाँ रहकर वे रोजाना बाँके बिहारी मंदिर में जाया करते थे. इस दौरान उनकी मुलाकात यहीं के ही एक महान संत से हुई. उन्होंने कहा कि उन्हें राधा वल्लभ मंदिर में जाना चाहिए. जिसके बाद वे मंदिर भी जाने लगे औऱ महाराज जी ने 10 वर्षों तक अपने गुरु सद्गुरु देव की सेवा भी की. इनके आशीर्वाद से वे श्री राधे के परम भक्त बने और आज पूरी दुनिया उनसे प्रेरित होती है.
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