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सनातन धर्म में ही नहीं, इस्लाम में भी है चंद्र ग्रहण का खास महत्व, मुसलमानों के लिए भी इसका ख्याल है जरूरी, जानें क्या है मान्यता

चंद्र ग्रहण को लेकर हिन्दू धर्म में कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं. माना जाता है कि ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति को मुश्किल में डाल सकता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि चंद्र ग्रहण को सिर्फ हिन्दू धर्म में ही नहीं बल्कि मुस्लिम धर्म में भी माना जाता है. लेकिन जहां हिन्दू इसे नकारात्मक ऊर्जा से जोड़कर देखते हैं, वहां मुस्लिमों में ग्रहण को लेकर क्या मान्यताएं हैं? जानें

07 Sep, 2025
( Updated: 08 Dec, 2025
10:39 AM )
सनातन धर्म में ही नहीं, इस्लाम में भी है चंद्र ग्रहण का खास महत्व, मुसलमानों के लिए भी इसका ख्याल है जरूरी, जानें क्या है मान्यता
Chandra Grahan

आज यानी 7 सितंबर को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. वैसे तो ग्रहण का लगना एक खगोलीय घटना होती है लेकिन अगर धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो ग्रहण को बहुत ही प्रभावशाली माना गया है. ग्रहण को लेकर हिन्दू धर्म में कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं. माना जाता है कि ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति को मुश्किल में डाल सकता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि चंद्र ग्रहण को सिर्फ हिन्दू धर्म में ही नहीं बल्कि मुस्लिम धर्म में भी माना जाता है. लेकिन जहां हिन्दू इसे नकारात्मक ऊर्जा से जोड़कर देखते हैं, वहां मुस्लिमों में ग्रहण को लेकर क्या मान्यताएं हैं? आइये आपको भी बताते हैं….

इस्लाम में ग्रहण का महत्व?
सनातन धर्म में ग्रहण का विशेष महत्व होता है वहीं इस्लाम में इस समय को अल्लाह से जोड़कर देखा जाता है. जहां हिन्दू इसके नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए उपाय करते हैं वहीं मुस्लिम इसे अल्लाह का प्रतीक मानते हैं. इस्लाम में इसे नकारात्मक शक्तियों से जोड़कर नहीं देखा जाता है बल्कि इस दौरान अल्लाह से दुआ की जाती है. इसके अलावा मोहम्मद साहब ने मीडिया के जरिए बताया कि ग्रहण के दौरान मुसलमानों को क्या करना चाहिए और किस नमाज को अदा करनी चाहिए… लेकिन उससे पहले जान लेते हैं कि ग्रहण के बारे में इस्लाम क्या कहता है.

कहा जाता है कि इस्लाम से पहले अरब के लोगों का मानना था कि ग्रहण तब लगता है जब किसी बड़े आदमी या फिर किसी बच्चे का जन्म होता है लेकिन बदलते समय के साथ ये मानसिकता भी बदल गई और अब इसे अल्लाह की दुआ से जोड़कर देखा जाता है.

ग्रहण के दौरान कौन सी नमाज अदा करें?

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  • सबसे पहले तकबीर कहकर नमाज शुरू करें.
  • इसके बाद सुरह फातिहा पढ़ें.
  • फिर कुरआन की कोई लंबी सूरह पढ़ें.
  • अब रुकू में धीरे-धीरे झुकें और कुछ समय इसी स्थिति में रहें.
  • फिर सज्दे में जाएं और अपने सिर को जमीन पर लगाएँ.

इसके अलावा इस्लाम में ग्रहण को एक सीख के रूप में देखा जाता है. ईस्लाम में माना जाता है कि जब दुनिया पल में अल्लाह के एक हुक्म से बदल सकती है तो ये इस बात का सबूत है कि मालिक सिर्फ एक ही है. वहीं हर जगह है. ये ग्रहण हमें सिखाता है कि डरना नहीं चाहिए बल्कि इस दौरान अल्लाह को याद करना चाहिए.

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