आज साल का आखिरी सूर्य ग्रहण: जानें तुलसी का महत्व और ग्रहण बाद के जरूरी उपाय
साल 2025 का आखिरी सूर्य ग्रहण भले ही भारत में दिखाई न दे, लेकिन इसके धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है. इस दौरान तुलसी, मंत्र जाप और स्नान-दान जैसे उपाय ग्रहण के दुष्प्रभाव को कम करने में सहायक माने जाते हैं. ग्रहण के बाद किये गये ये उपाय आपके जीवन से नकारात्मक ऊर्जा हटाकर सकारात्मक ऊर्जा भर सकते है.
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साल 2025 का आखिरी सूर्य ग्रहण रविवार यानी 21 सितंबर की रात 10 बजकर 59 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन तड़के 3 बजकर 32 मिनट तक रहेगा. खास बात यह है कि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. यह मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, अंटार्कटिका और प्रशांत महासागर के दक्षिणी हिस्सों में देखा जा सकेगा. लेकिन ग्रहण के दौरान तुलसी का महत्व क्यों बढ़ जाता है? ग्रहण के बाद क्या करना है बेहद जरुरी? आइए आपको भी बताते हैं…
साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण क्यों है खास?
ग्रहण कन्या राशि और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में लगेगा, जिसमें सूर्य, चंद्र और बुध तीनों एक ही राशि में होंगे. इस स्थिति को ज्योतिष में बुधादित्य योग कहा जाता है. यह साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण है, जो पितृपक्ष के समापन के साथ लग रहा है. बता दें कि पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर को लगे चंद्र ग्रहण से हुई थी. वहीं अब इसकी समाप्ति भी सूर्य ग्रहण से हो रही है.
क्या भारत में रहेगा सूतक काल का प्रभाव?
भारतीय धर्मशास्त्रों के अनुसार, ग्रहण के 12 घंटे पहले सूतक काल लगता है, जिसके दौरान शुभ कार्य, यात्रा और नई चीजों की खरीदारी टालने की सलाह दी जाती है. लेकिन, इस बार भारत में ग्रहण दिखाई न देने की वजह से सूतक काल लागू नहीं होगा. हालांकि, ग्रहण के प्रभाव को लेकर धार्मिक आस्था और ज्योतिष के अनुसार सावधानी बरतना उचित माना जाता है.
ग्रहण के दौरान तुलसी का महत्व क्यों बढ़ जाता है?
ग्रहण काल में नकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय होती है, इसलिए इस दौरान विशेष उपायों को करने की सलाह दी जाती है. ग्रहण के दौरान भोजन करना वर्जित होता है और पानी में तुलसी के पत्ते डालकर पीना चाहिए ताकि ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचा जा सके. साथ ही गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से नकारात्मक प्रभाव कम होता है.
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ग्रहण बाद क्या करना जरूरी होता है?
ग्रहण के बाद पवित्र नदियों में स्नान करना और गरीबों को दान करना लाभकारी माना जाता है. घर में गंगाजल छिड़कना वातावरण को पवित्र बनाता है और ग्रहण के बाद होने वाले दोषों से मुक्ति दिलाता है. इसके अलावा, ग्रहण के दौरान सोने से बचना चाहिए और मंत्र जाप करना चाहिए, जिससे मन और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे.
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