क्या मोदी से बिल्कुल अलग है RSS का रक्षा बंधन मनाने का तरीका?
यूपीए सरकार के दौरान भगवा आतंकवाद की झूठी कहानी रची गई, जो 2025 में फर्जी साबित हुई. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कट्टर हिंदू का सही अर्थ समझाया यह दूसरों का विरोध नहीं, बल्कि सबको गले लगाने का धर्म है. रक्षा बंधन इसी एकता और सामंजस्य का प्रतीक है, जिसे संघ बड़े ही अलग तरीके से मनाता है, जिससे कट्टरपंथी परेशान रहते हैं.
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मालेगांव ब्लास्ट पर NIA अदालत के फैसले ने यह साबित कर दिया कि आतंकवाद भगवा नहीं होता है। 17 साल पहले भगवा को बदनाम करने के लिए भगवाधारियों पर बम ब्लास्ट का आरोप लगाया गया. यूपीए के कार्यकाल में भगवा आतंकवाद की पूरी स्क्रिप्ट लिखी गई. जो साल 2025 में फ़र्ज़ी निकली और अब जब विघटनकारी ताकतों ने कट्टर हिंदू के नाम पर समाज में भ्रम फैलाने का कार्य किया, तो ऑटो पायलट मोड़ में रहने वाले संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कट्टर हिंदू का मतलब समझा दिया. उन्होंने साफ़ शब्दों में यह समझाया कि कट्टर हिंदू होने का मतलब दूसरों का विरोध करना नहीं है. क्योंकि हिंदू धर्म का सार सभी को गले लगाने में निहित है और इसी सार की सबसे खूबसूरत तस्वीर हर साल रक्षा बंधन के मौके पर दिखती है. देश को एकता के सूत्र में बांधना, संघ का मकसद है. और इसी मकसद से उसका रक्षा बंधन मनाने का तरीका भी दूसरों से बिलकुल अलग है. जिसे देख कट्टरपंथी ताकतें चिढ़ी रहती हैं.
धर्म वह है जो सबकी धारणा करता है. धर्म वह है जो सबको जोड़ता है. धर्म वह है जो सबको रोशनी की ओर अग्रसर करता है. धर्म वह है जो मृत्यु से अमृत की ओर अग्रसर करता है, और रक्षा बंधन भी इसी धर्म का बंधन है. ऐसा कहना है संघ प्रमुख मोहन भागवत का. आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक ऐसा संगठन है जिसकी नींव डॉ॰ केशव हेडगेवार ने विजयदशमी के मौके पर साल 1925 में रखी. जिसकी पहचान राष्ट्रवाद से होती है, हिंदुत्व से होती है, और जिसका एकमात्र एजेंडा देश को एकजुट बनाए रखना है, मतलब एकता के सूत्र में बांधकर रखना है. दुनिया की इकलौती ऐसी सबसे बड़ी स्वयंसेवी संस्था है, जिसकी दुनियाभर में 60 हज़ार से ज़्यादा शाखाएँ हैं, तो वहीं 90 लाख से ज़्यादा स्वयंसेवक इससे जुड़े हुए हैं. अटल बिहारी वाजपेयी हों, लाल कृष्ण अडवाणी हों, नीतिन गड़करी हों, या फिर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ये तमाम बड़ी हस्तियाँ संघ के स्टार प्रचारकों में रही हैं. ऐसे में यह अनुमान लगाना स्वाभाविक है कि भारतीय राजनीति में संघ की विचारधारा ने हमेशा से एक निर्णायक भूमिका निभाई है.
आज अगर भारत वसुधैव कुटुम्बकम की विचारधारा को साथ लेकर आगे बढ़ रहा है, तो वहीं संघ धर्मो रक्षति रक्षितः में यक़ीन करता है. संघ का ऐसा मानना है कि हम सब मिलकर धर्म की रक्षा करें, समाज में मूल्यों का रक्षण करें, अपनी श्रेष्ठ परंपराओं का संरक्षण करें। तभी तो धर्म सम्पूर्ण समाज की रक्षा करने में सक्षम हो सकेगा. और इसी कड़ी में रक्षा बंधन के दिन बंधने वाला सूत्र विविधताओं के बावजूद एक सामरस्य का स्थापन करता है. रक्षा बंधन को लेकर संघ के कहने का तात्पर्य यही है कि रक्षाबंधन आपसी विश्वास का पर्व है. इस पर्व पर जो-जो सक्षम हैं, वे अन्य को विश्वास दिलाते हैं कि वे निर्भय रहें, किसी भी संकट में सक्षम उनके साथ खड़े रहेंगे. और यही वजह है जिसके चलते मकर संक्रांति, हिंदू साम्राज्य दिवस, हिंदू नव वर्ष, गुरु पूर्णिमा और विजय दशमी के साथ-साथ संघ रक्षा बंधन का पर्व भी मनाता आया है. संघ का रक्षा बंधन मनाने का तरीका कितना अलग होता है, देखिए इस पर हमारी आगे की रिपोर्ट
भाई-बहन के पुनीत रिश्ते का प्रतीक रक्षा बंधन सनातन संस्कृति का एक अनमोल हिस्सा है. सारे तीज-त्यौहारों में एक ऐसा पर्व है, जो भाई और बहन के रिश्ते को जिंदगीभर के लिए बांधे रखता है. संघ की शाखाओं में भी रक्षा बंधन का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन यहाँ रक्षा सूत्र बांधने का तरीका थोड़ा अलग होता है. रक्षा बंधन के मौके पर संघ का मकसद होता है समाज में सामाजिक समरसता का संदेश देना. पिछली बार संघ की शाखाओं में राष्ट्रीय ध्वज को रक्षासूत्र बांधकर राष्ट्र रक्षा का संकल्प लिया गया था. हर वर्ष रक्षा बंधन मनाकर आरएसएस यही संदेश देता है कि रक्षा सूत्र का आशय केवल भाई-बहन के बीच ही नहीं, बल्कि व्यक्ति-व्यक्ति के बीच इस रक्षा सूत्र का प्रयोग होना चाहिए, जिससे समाज में प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे की रक्षा करने का संकल्प लेकर उसके साथ रहे. जब कभी आवश्यकता पड़े तो जिस तरह लोग अपने परिवार और अपने लोगों की रक्षा के लिए खड़े रहते हैं, वैसे ही समाज के प्रत्येक व्यक्ति को एक-दूसरे को रक्षा सूत्र बांधकर उसके रक्षा के दायित्वों का निर्वहन करने के लिए शपथ लेनी चाहिए. कुल मिलाकर देखा जाए, प्रत्येक रक्षा बंधन के मौक़े पर स्वयम् सेवक रक्षा सूत्र बांधते हैं और जिसको बांधते हैं. जीवनभर उसकी सुरक्षा का दायित्व अपने उपर लेते हैं .क्योंकि ये बंधन परिवार है. और ये परिवार हमारा भारत राष्ट्र है.
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