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राजनीतिक उथल-पुथल के बीच क्या सुरक्षित है पशुपतिनाथ मंदिर?

नेपाल और भारत का रोटी-बेटी का रिश्ता सदियों पुराना है। साल 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी ने नेपाल जाकर पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की थी. आज वही मंदिर 10 किलो सोना चोरी होने की वजह से सुर्खियों में है. सोने की चोरी ने न सिर्फ भक्तों की आस्था को झकझोरा है, बल्कि नेपाल की राजनीति में भी भूचाल ला दिया है. पीएम प्रचंड, जिन पर पहले मंदिर तोड़ने और नास्तिक होने के आरोप लगे, अब मंदिर-मंदिर जाकर माथा टेक रहे हैं.

12 Sep, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
05:18 PM )
राजनीतिक उथल-पुथल के बीच क्या सुरक्षित है पशुपतिनाथ मंदिर?

नेपाल और भारत का रोटी-बेटी का रिश्ता सदियों पुराना है और इसी रिश्ते के खातिर संकट की घड़ी में भारत हमेशा नेपाल के साथ खड़ा नज़र आता है. यह बंधन अनादि काल से है, इसलिए दोनों राष्ट्र की धार्मिक, सांस्कृतिक, भाषायी और ऐतिहासिक स्थिति में समानताएँ सागर की गहराई से कम नहीं हैं. आलम यह है कि साल 2014 में प्रधानमंत्री बनते ही नरेंद्र मोदी नेपाल दौरे पर गए और भगवान शिव के दैदीप्यमान लिंग पशुपतिनाथ मंदिर के आगे नतमस्तक हुए. यहाँ शिव भक्त पीएम मोदी ने पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की. भगवान शिव की इसी अलौकिक दुनिया में उन्होंने चंद मिनटों के लिए सही, लेकिन ध्यान लगाया. और आज भगवान पशुपतिनाथ की इसी दरबार से 10 किलो सोना गायब है या फिर यूँ कहें कि भगवान के घर से चोरी हुई है, जिसके चलते समूचे नेपाल में हड़कंप मच गया है. ऐसे में एक्शन में आई मोदी सरकार क्या करेगी? पशुपतिनाथ मंदिर से चोरी हुआ सोना क्या शिव भक्त पीएम मोदी लेकर आएँगे? क्या ऐसा मुमकिन है? देखिए इस पर हमारी यह ख़ास रिपोर्ट.

पशुपतिनाथ मंदिर से सोना क्या ग़ायब हुआ, नेपाल सुर्खियों में आ गया. नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड की धार्मिक यात्रा पहले से ही आलोचकों के निशाने पर थी और अब मंदिर से सोना चोरी होने की खबर ने नेपाल के राजनीतिक गलियारों में भूचाल ला दिया है. दरअसल, नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’, जिनकी पहचान एक नास्तिक नेता के तौर पर होती रही है, पर लंबे समय से यह आरोप लगते रहे हैं कि उनकी शह पर नेपाल में दर्जनों मंदिर ढहा दिए गए और आज वही प्रचंड मंदिर-मंदिर जाकर माथा टेक रहे हैं.जो माओवादियों से लेकर कट्टरपंथियों तक को खटक रहा है. कहा जाता है कि 90 के दशक में राजशाही के ख़िलाफ़ उन्होंने आवाज़ उठाई थी. कई मौक़ों पर उन्होंने खुद को नास्तिक बताया. आरोप यह भी लगते रहे कि उन्हीं की लीडरशिप में दर्जनों मंदिर तोड़े गए और हिंदू रीति-रिवाज निभाने पर बैन लगाया गया. लेकिन आज जब वो सत्ता में हैं, तो उनका भारत आकर महाकाल मंदिर जाना और अपने ही देश के पशुपतिनाथ मंदिर में जाकर शीश झुकाना, उनकी ही पार्टी के कई नेताओं को रास नहीं आ रहा और अब ऊपर से सोने की चोरीयह प्रचंड सरकार के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है, क्योंकि पशुपतिनाथ मंदिर से न सिर्फ़ पीएम मोदी बल्कि दुनिया भर के करोड़ों शिवभक्तों की आस्था जुड़ी हुई है.

काठमांडू के देवपाटन गांव में बागमती नदी के तट पर स्थित भगवान शिव का यह पवित्र धाम उनके पशुपति स्वरूप को समर्पित है. हर साल हजारों भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं। मान्यता है कि पशुपतिनाथ के दर्शन करने से मनुष्य को अगले जन्म में पशु योनि में जन्म नहीं लेना पड़ता. आज भी यहाँ पूजा-पाठ की परंपरा निभाने के लिए दक्षिण भारत के ब्राह्मणों को रखा जाता है. मंदिर में चार पुजारी और एक मुख्य पुजारी दक्षिण भारत से ही आते हैं. मान्यता यह भी है कि पशुपतिनाथ के दर्शन का पूरा पुण्य तभी मिलता है, जब श्रद्धालु केदारनाथ धाम भी जाए, क्योंकि भगवान शिव पशुपतिनाथ मंदिर में भैंस के सिर और केदारनाथ में भैंस की पीठ के रूप में विराजमान हैं. आमतौर पर शिव की आराधना के बाद उनके गण नंदी के दर्शन करना अनिवार्य माना जाता है, लेकिन यहाँ नंदी महाराज के दर्शन करने की सख़्त मनाही है. कहा जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को अगले जन्म में पशु योनि में जाना पड़ता है. भगवान पशुपतिनाथ का यह शिवलिंग अपने आप में अद्वितीय है. इसमें चार दिशाओं में चार मुख और ऊपर पाँचवां मुख है. प्रत्येक मुखाकृति के दाहिने हाथ में रुद्राक्ष की माला और बाएँ हाथ में कमंडल है. दक्षिणमुख ‘अघोर’ मुख कहलाता है. पूर्वमुख ‘तत्पुरुष’ रूप है. उत्तरमुख ‘अर्धनारीश्वर’ स्वरूप है. पश्चिममुख को ‘सद्योजात’ कहा जाता है. जबकि ऊपरी भाग का ‘ईशान’ मुख निराकार माना जाता है और यही भगवान पशुपतिनाथ का श्रेष्ठतम मुख है.

विश्व धरोहर में शामिल भगवान पशुपतिनाथ के इस धाम से हुई चोरी की घटना भक्तों की आस्था पर सबसे बड़ी चोट है. 100 किलो के आभूषणों में से 10 किलो सोना गायब है. इस मामले को लेकर मंदिर से जुड़े अधिकारियों ने रिपोर्ट दर्ज करा दी है, जिस पर प्रचंड सरकार ने सीआईएए से जांच बिठा दी है. चोरी को लेकर यह दावा किया गया है कि जलाहारी बनाने के लिए 103 किलो सोना खरीदा गया था, लेकिन आभूषण में से 10 किलो सोना गायब मिला. इतनी बड़ी चोरी, वह भी इतने बड़े तीर्थस्थल से, मंदिर प्रशासन से लेकर सरकार तक को सवालों के कठघरे में खड़ा करती है. फ़िलहाल, पशुपतिनाथ मंदिर नेपाली सेना समेत सुरक्षाकर्मियों के घेरे में है. बीते रविवार को मंदिर के कपाट भी बंद रखे गए. अब आगे यह देखना है कि इस मामले में दोषी कब तक पकड़े जाते हैं और क्या भारत सरकार की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया सामने आती है.

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